'स्लीपमैक्सिंग' का ट्रेंड सोशल मीडिया पर जरूर बढ़ रहा है लेकिन ज्यादातर डिवाइस मेडकली और साइंटिफिकली प्रूवेन नहीं है. यही वजह है कि इससे नुकसान की आशंका बनी रहती है.
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What is Sleepmaxxing: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में सुकून भरी नींद किसी लग्जरी से कम नहीं है, इसलिए जिन लोगों को प्रोपर स्लीप नसीब नहीं होती, वो कुछ खास तरीके अपना रहे हैं. 'स्लीपमैक्सिंग' नामक एक नया वेलनेस ट्रेंड आया है, जिसमें कई तरह के टूल्स और तकनीकों का इस्तेमाल करके नींद को बेहतर बनाने पर फोकस किया जाता है, इस ट्रेंड ने तकरीबन 99 मिलियन टिकटॉक पोस्ट्स के साथ काफी पॉपुलैरिटी हासिल की है। हालांकि एक्सपर्ट्स इसके संभावित नुकसानों के बारे में चेतावनी देते हैं.
स्लीपमैक्सिंग क्या है?
स्लीपमैक्सिंग में स्लीप क्वालिटी और ड्यूरेशन को बढ़ाने के लिए हर मुमकिन कोशिशें शामिल है. आइए जानते हैं कि इसके लिए कौन-कौन से टूल्स का इस्तेमाल किया जाता है.
1. फिजिकल टूल्स
रेशम से बना आंखों का मास्क (Silk eye mask), वजनदार कंबल (Weighted blanket), नाक की पट्टी (Nasal strips) और टूमलाइन (tourmaline) जैसे शांत करने वाले इंसर्ट के साथ खास तकिए.
2. रिलैक्स करने वाले तरीके
इसमें अरोमाथेरेपी ऑयल (Aromatherapy oils), मंद रोशनी (Dimmed lighting), गर्म पानी से स्नान (Warm shower), हर्बल चाय (Herbal tea) और बुक रीडिंग शामिल हैं.
तकनीक और सप्लीमेंट्स
स्लीप पैटर्न को मॉनिटर करने के लिए स्लीप ट्रैकर्स (Sleep trackers), मेलाटोनिन (Melatonin) जैसे हर्बल सप्लीमेंट्स और शोर-रद्द करने वाले उपकरण या व्हाइट नॉइज़ मशीनें
स्लीपिंग टूल्स की डिमांड बढ़ी
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक स्लीप टूल्स का मार्केट तेजी से बढ़ रहा है, जो 2024 में 64.2 बिलियन यूएस डॉलर से बढ़कर 2030 तक 89.1 बिलियन यूएस डॉलर होने का अनुमान है. अकेले वियरेबल स्लीप ट्रैकर बाजार के 2023 में $13.4 बिलियन से दोगुने से ज्यादा होकर 2030 तक $27.8 बिलियन होने की उम्मीद है.
स्लीपमैक्सिंग के नुकसान
इसकी पॉपुलैरिटी के बावजूद, कई स्लीपमैक्सिंग टूल्स को लेकर साइंटिफिक वैलिडेशन की कमी हैं. ऐसे तरीकों पर ज्यादा डिपेंड होना ऑर्थोसोम्निया (Orthosomnia) को जन्म दे सकती है, जो 2017 में गढ़ा गया एक शब्द है, जो स्लीप ट्रैकर डेटा पर हावी होने के कारण होने वाली चिंता को बताता है.
1. ऑर्थोसोम्निया इफेक्ट
ऑर्थोसोम्निया से पीड़ित लोग अक्सर स्लीप मेट्रिक्स को चेक करते हैं और स्ट्रेस महसूस करते हैं, भले ही वो तरोताजा होकर उठें.
2. डिवाइसों की इनएक्यूरेसी
सिंगापुर के एशिया स्लीप सेंटर के डॉ. केनी पैंग (Dr. Kenny Pang) के मुताबिक, ज्यादातर ओवर-द-काउंटर स्लीप ट्रैकिंग डिवाइस न तो मेडिकली और न ही साइंटिफिक तरीके से सटीक साबित हुए हैं. इससे स्लीप क्वालिटी को लेकर चिंता बढ़ सकती है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.