Menopause: महिलाओं को कब होता है मेनोपॉज? डॉक्टर से जानिए इसके साइन और थेरेपीज
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Menopause: महिलाओं को कब होता है मेनोपॉज? डॉक्टर से जानिए इसके साइन और थेरेपीज

What is Menopause: मेनोपॉज के बारे में आपने जरूर सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये है क्या? और महिलाओं की जिंदगी में ये स्टेज कब आता है. 

Menopause: महिलाओं को कब होता है मेनोपॉज? डॉक्टर से जानिए इसके साइन और थेरेपीज

Understanding Menopause: मेनोपॉज एक वूमन की लाइफ का वो नेचुरल पार्ट होता है जब बायोलॉजिकल एजिंग के बाद पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं. आमतौर पर 45 से 55 साल की उम्र के आसपास महिलाएं ये स्टेज एक्सपीरिएंस करती हैं. इसको लेकर हमने डॉ. स्मिता सुडके (Dr Smita Sudke) से विस्तार में बात की.

मेनोपॉज के स्टेजेज

डॉ. स्मिता ने बताया कि महिलाओं में नेचुरल मेनोपॉज के 3 स्टेजेज होते हैं. आइए जानते हैं कि वो कौन-कौन से हैं.

1. पेरिमेनोपॉज (Perimenopause)

'पेरिमेनोपॉज' को 'मेनोपॉज ट्रांजिशन' भी कहा जाता है जिसका मतलब है 'मेनोपॉस के आसपास'. ये फाइनल एपिसोड ऑफ फ्लो के कई साल पहले होता है. ये मेनोपॉज के 8 से 10 साल पहले हो सकता है जब ओवरीज कम एस्ट्रोजेन प्रोड्यूस करने लगी है.

 

2. मेनोपॉज (Menopause) 

ये लाइफ का वो स्टेज है जब महिलाओं की ओवरीज एस्ट्रोजेन प्रोड्यूस करना बंद कर जेती है और एग रिलीज होने लगता है जिसके कारण पूरी तरह पीरियड्स रुक जाते हैं

3. पोस्ट मेनोपॉज (Post-Menopause)

ये महिलाओं के जीवन का वो स्टेज है जब वो कम से कम 12 महीने के लिए मेंस्ट्रुअल फ्लो महसूस नहीं करती हैं.

मेनोपॉज के लक्षण

मेनोपॉजल ट्रांजिशन के समय महिलाओं को कुछ अहम लक्षण महसूस हो सकते हैं, हालांकि हर किसी के मामले ये अलग-अलग हो सकते हैं, जैसे-

1. शरीर के ऊपरी हिस्से का अचानक गर्म हो जाना और रात के वक्त पसीना आना

2. मेंस्ट्रुअल फ्लो में इरेगुलेरिटी और चेंजेज

3. योनि का सूखापन, संभोग के दौरान दर्द और असंयम होना

4. सोने में दिक्कत होना या नींद की कमी

5. मूड में बदलाव, डिप्रेशन और एंग्जाइटी

 

कैसे होता है डायग्नोसिस?

हालांकि डायग्नोसिस आम तौर पर क्लिनिकल होता है, लेकिन मेनोपॉज या पोस्टमेनोपॉज की पहचान ब्लड टेस्ट के जरिए भी की जा सकती है, जो एक वेरी हाई फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH) के लेवल को दर्शाता है, जो एक रैंडम ब्लड सैंपल में 25 IU/L से ज्यादा है, जो बढ़ती ओवरी की बढ़ती इनएक्टिविटीज से जुड़ा है.  एफएसएच में वृद्धि जारी रहती है, क्योंकि इसके काउंटरपार्ट एस्ट्राडियोल में आखिरी पीरियड के बाद तकरीबन 2 सालों तक गिरावट होती है, जिसके बाद इनमें से हर हार्मोन का लेवल स्थिर हो जाता है.

मेनोपॉज से जुड़े लॉन्ग टर्म हेल्थ रिस्क

 

1. किसी भी स्थिति के लिए रिस्क आपकी फैमिली हिस्ट्री, मेनोपॉज से पहले आपकी सेहत और लाइफस्टाइल फैक्टर्स जैसे कई चीजों पर निर्भर करता है.

2. मेनोपॉज के बाद आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली दो स्थितियां ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) , यानी हड्डियों का नाजुक होना और कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease) का खतरा होता है.

3. पोस्टमेनोपॉज के दौरान पीरियड जैसा फ्ला, यहां तक कि स्पॉटिंग भी, एंडोमेट्रियल कैंसर (Endometrial Cancer) का संकेत हो सकता है।

मेनोपॉज मैनेजमेंट

पेरीमेनोपॉज़ लाइफ का एक नेचुरल स्टेज है. ये कोई बीमारी या डिसऑर्डर नहीं है. इसलिए, इसमें किसी भी तरह के मेडिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता नहीं होती है. हालांकि, मेनोपॉज से जुड़े हार्मोनल चेंजेष फिजिकल, मेंटल, इमोशनल और सोशल वेल बीइंग को प्रभावित कर सकते हैं. पैलिएटिव मेडिकल थेरेपी कभी-कभी मददगार और सही हो सकती है.

1. हार्मोन थेरेपी

हार्मोन रिपलेसमेंट थेरेपी (HRT) के जरिए महिलाओं में बिना यूटेरस के एस्ट्रोजेन का इस्तेमाल होता है. इसके अलावा एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरॉन का यूज उन महिलाओं में होता है जिनका यूटेरस इनटैक्ट होता है. अगर हार्मोन थेरेपी में टेस्टोस्टेरॉन को शामिल कर दिया जाए तो पोस्टमेनोपॉजल महिलाओं के सेक्सुअल फंक्शंस में पॉजिटिव इफेक्ट होने लगता है. अगर इसका ज्यादा इस्तेमाल किया गया तो महिलाओं में हेयरग्रोथ और एक्ने देखने को मिल सकता है.

2. नॉनहार्मोन थेरेपीज

इसमें कई थेरेपीज शामिल हैं जैसे- डाइट का बदलाव होना, एक्सरसाइज करना, सपोर्ट ग्रुप्स में शामिल होना, कैल्शियम और विट डी3 सप्लिमेंटेशन जैसी दवाइयां लेना वगैरह.

 

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

 

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