Transplant First, Charge Later: किडनी ट्रासप्लांट कराना काफी लोगों के लिए मुश्किल होता है क्योंकि फंड की कमी से देरी हो जाती है, लेकिन अब इस दिक्कत को दूसर करने का प्रयास किया जा रहा है.
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Kidney Transplantation of 12 Years Old Boy: ऑर्गन डोनेशन से काफी लोगों को नई जिंदगी मिल जाती है, लेकिन कई ऐसे भी हैं जिनकी कोशिश पैसे की कमी के कारण ऐन मौके पर नाकाम हो जाती है. जो पेशेंट कई सालों से अंग प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहे हैं, और जब ऑर्गन डोनर मिल जाता है, तो पैसे की अड़चन आन पड़ती है, लेकिन अब शायद ऐसी दिक्कत नहीं होगी क्योंकि इसको लेकर नई कोशिशें की जा रही हैं.
12 साल के बच्चे का किडनी ट्रासप्लांट हुआ
पहली बार मुंबई के जोनल ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेशन कमेटी (Zonal Transplant Coordination Committee) ने पेडर रोड के जसलोक अस्पताल ने इस बात के लिए मना लिया कि 12 साल के बच्चे का का किडनी ट्रांसप्लांट तुरंत किया जाए, इसके बाद कई तरीकों से फंड रेज करके पैसे का इंतजाम करें. ZTCC वो संस्था है जो केडेवर ऑर्गन बांटती है.
पैसे की कमी के कारण नहीं आई दिक्कत
यंग ऑर्गन रेसिपिएंट मेकेनिक का बेटा है जिसके पास ट्रासप्लांट के लिए पैसे नहीं है, अगर जोनल ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेशन कमेटी ने मामले में दखल न दिया होता, तो इसको वेटिंग लिस्ट में डाल दिया जाता. अब ZTCC की कोशिश है कि ज्यादा ये ज्यादा अस्पतालों को इस तरह के अप्रोच के लिए प्रोत्साहित किया जाए और इस बात को लेकर सुनिश्चित किया जाए कि आर्थिक तंगी के कारण ट्रांसप्लांट में देरी न की जाए
कितना आता है ट्रासप्लांट कराने का खर्च?
एक ऑर्गन ट्रांसप्लांट का खर्च 7 से 30 लाख तक आ सकता है, ये इस बात पर निर्भर करता है कि ऑर्गन कॉन सा है और कौन से अस्पताल में सर्जरी की जा रही है. ZTCC के अध्यक्ष एसके माथुर (S K Mathur) ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'ये समस्या पूरे देश में है, जब पशेंट उस खास दिन पैसे की पेमेंट को लेकर तैयार नहीं हो पाते हैं, जब ऑर्गन अचानक अवेलेबल हो जाता है.'
सरकारी स्कीम से मदद
ऐसे हालात में जब फंड को ट्रस्ट और सरकारी स्कीम के जरिए मुहैया कराया जाता है, तब अस्पताल इस बात को लेकर कॉन्फिडेंट रह सकते हैं कि पैसे आखिर में मिल ही जाएंगे. महाराष्ट्र में महात्मा ज्योतिबा फूले जन आरोग्य योजना (MJPJAY) के तहत 2.5 लाख रुपये किडनी ट्रांसप्लांट के लिए दिए जाते हैं, इस स्कीम के नए स्वरूप में रकम बढ़ाकर 4 लाख तक कर दी गई है.
महाराष्ट्र सीएम रिलीफ फंड से भी मिलती है मदद
एसके माथुर (S K Mathur) ने बताया कि जसलोक हॉस्पिटल ने 12 साल के बच्चे आदित्य चौधरी (Aditya Chaudhary) के मामले में कोऑपरेट किया और सर्जरी मुमकिन हो पाई. ऑर्गन रेसिपिएंट को हालात के हिसाब से 8 से 9 महीने तक अंगदाता का इंतजार करना पड़ता है और कई बार शॉर्ट नोटिस पर ऑर्गन मिल जाता है. आदित्य के मामले में भी पिछले हफ्ते डोनर मिल गया था और फिर 30 जनवरी 2024 को सर्जरी की गई.