इंटरमिटेंट फास्टिंग दिल की बीमारी और डायबिटीज से जूझ रहे लोगों की मुश्किलों को काफी हद तक कम कर सकता है. एक अध्ययन के अनुसार, अपने भोजन में प्रतिदिन 10 घंटे का अंतर रखने से ब्लड शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है.
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इंटरमिटेंट फास्टिंग दिल की बीमारी और डायबिटीज से जूझ रहे लोगों की मुश्किलों को काफी हद तक कम कर सकता है. एक अध्ययन के अनुसार, अपने भोजन में प्रतिदिन 10 घंटे का अंतर रखने से ब्लड शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है. इंटरमिटेंट फास्टिंग एक खास प्रकार का डाइट प्लान है, जिसमें खाने और उपवास करने के समय को विशेष तरीके से कंट्रोल किया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य शरीर को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाना और वजन कम करने में मदद करना है.
इंटरमिटेंट फास्टिंग में इस बात का ध्यान रखा जाता है कि कब खाना है और कब नहीं खाना है. ये आपके मेटाबॉलिक सिंड्रोम को मैनेज करने में भी मदद कर सकता है. मेटाबॉलिक सिंड्रोम एक ऐसी मेडिकल स्थिति है जो आपको दिल का मरीज बना सकती है या फिर डायबिटीज और स्ट्रोक का कारण बन सकती है. सिंड्रोम के लिए जिम्मेदार रिस्क फैक्टर में हाई ब्लड शुगर, हाई बीपी और हाई कोलेस्ट्रॉल शामिल हैं. ये सभी प्रमुख कारक दिल के लिए ठीक नहीं होते.
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन डिएगो और अमेरिका में साल्क इंस्टीट्यूट के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में निष्कर्ष निकला कि इंटरमिटेंट फास्टिंग से उन लोगों की मदद हो सकती है, जो अपने मेटाबॉलिक सिंड्रोम को लेकर फिक्र करते हैं और टाइप 2 डायबिटीज के खतरे कम करना चाहते हैं.
कैसे हुए अध्ययन
ट्रायल स्टेज की रिपोर्ट, एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन में ऑनलाइन प्रकाशित की गई. रिपोर्ट के मुताबिक, मेटाबॉलिक सिंड्रोम वाले 108 मरीजों को या तो टाइम-प्रतिबंधित डाइट ग्रुप और कंट्रोल ग्रुप में डिवाइड किया गया. दोनों ग्रुप को तय स्टैंडर्ड के मुताबिक ट्रीटमेंट दिया गया और इन्हें मेडिटेरियन डाईट (फल, सब्जी, फिश जैसा आहार ) के पोषक तत्वों के फायदे समझाए गए. टाइम-प्रतिबंधित डाइट लेने वाले ग्रुप के प्रत्येक व्यक्ति को अपने खाने में 10 घंटे का अंतर रखना था, जो जागने के कम से कम एक घंटे बाद शुरू होता था और सोने से कम से कम तीन घंटे पहले समाप्त होता था. तीन महीने बाद, जिन मरीजों ने टाइम-प्रतिबंधित डाइट का नियमानुसार पालन किया उनमें दिल की सेहत महत्वपूर्ण सुधार देखा गया.
एक्सपर्ट का क्या कहना?
साल्क इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर सच्चिदानंद पांडा ने बताया कि दिन का समय मानव शरीर में शुगर और फैट की प्रोसेसिंग में अहम भूमिका निभाता है. शोधकर्ताओं ने कहा कि इंटरमिटेंट फास्टिंग ने लोगों को शरीर का वजन कम करने, उचित बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) बनाए रखने और एब्डॉमिनल ट्रंक फैट (एक प्रकार का वसा जो मेटाबॉलिक डिजीज से जुड़ा है) को मैनेज करने में अहम भूमिका निभाई.