Continuous Glucose Monitoring: कंटीन्यूअस ग्लूकोज मॉनिटर को कई सेलिब्रिटीज प्रमोट करते हैं, लेकिन ये आपके लिए कितना इफेक्टिव है ये जानना जरूरी है.
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Blood Sugar Monitors: ग्लूकोमीटर को शुगर लेवल नापने का सबसे आसान और बेस्ट तरीका माना जाता है, लेकिन अब ब्लड शुगर मॉनिटर का क्रेज बढ़ता जा रहा है, जिसको काफी सेलिब्रटीज प्रमोट कर रहे हैं. हालांकि डायबिटीज के मरीजों में इन वियरेबल टूल्स का ट्रेंड देखा जा रहा है, लेकिन नॉन-डायबिटिक लोगों में इसके इस्तेमाल को लेकर आलोचनाएं भी की जा रही हैं.
क्या कहती है स्टडी?
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव हेल्थ एंड किडनी डिजीजेज द्वारा की गई स्टडी ने दो हफ्ते में 30 हेल्दी वालंटियर पर इन टूल्स का परीक्षण किया. प्रतिभागियों ने दोनों हफ्तों में एक जैसे भोजन का सेवन किया, जिससे रिसर्चर्स को समान परिस्थितियों में ब्लड शुगर की रीडिंग की तुलना करने का मौका मिला. रिजल्ट्स से हाई इनकंसिस्टेंसी और डिवाइस रीडिंग में असंगति का पता चला, जो स्टैंडर्स ब्लड टेस्ट रिजल्ट से काफी अलग थे. शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि स्वस्थ व्यक्तियों में फूड स्पेसिफिक ब्लड शुगर रिस्पॉन का निर्धारण करने के लिए सीजीएम (Continuous Glucose Monitors) भरोसेमंद नहीं थे. उन्होंने अंदाजा लगाया कि भरोसेमंद डेटा लाने के लिए किसी को एक ही भोजन को 67 बार तक सेवन करना होगा.
डाइटीशियन ने क्या कहा?
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में एक डाइटीशियन और रिसर्च निकोला गेस (Nicola Guess) ने इन फाइंडिंग्स का समर्थन करते हुए कहा कि गैर-मधुमेह रोगियों के लिए सीजीएम कोई मीनिंगफुल इनसाइट प्रदान नहीं करते हैं. उन्होंने रक्त शर्करा के स्पाइक्स के आधार पर "प्रॉब्लमैटिक" फूड्स की पहचान करने के दावों को खारिज कर दिया, य् देखते हुए कि ऐसी थ्योरी का समर्थन करने के लिए सीमित सबूत हैं. ब्लड शुगर का लेवल स्वाभाविक रूप से भोजन से पहले 4-6 mmol और खाने के बाद 8 mmol तक उतार-चढ़ाव करता है, जो सीमाएं सामान्य सीमा के भीतर हानिकारक नहीं हैं.
सेलिब्रिटी करते हैं प्रमोट
स्टडी कंटीन्यूअस ग्लूकोज मॉनिटर के एक बढ़ते हुए चलन पर फोकस करता है जिसका प्रचार कई सेलेबिट्रीज करते है. इनके प्रोग्राम ये तर्क देते हैं कि ब्लड शुगर स्पाइक्स का कारण बनने वाले फूड्स से परहेज करने से क्रेविंग, कैलोरी सेवन और दिल की बीमारी जैसे दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिम कम हो सकते हैं. हालांकि, आलोचकों का तर्क है कि ऐसे दावों के पीछे मजबूत वैज्ञानिक समर्थन का अभाव है. विशेषज्ञों ने ये भी चेतावनी दी है कि स्वस्थ व्यक्तियों में सीजीएम का उपयोग चिंता या डिसऑर्डर्ड ईटिंग बिहेवियर में योगदान कर सकता है.
सीजीएम पर सवाल
जबकि ब्लड शुगर मॉनिटर डायबिटीज पेशेंट के लिए इनवेल्युएबल हैं, स्वस्थ आबादी में उनका एप्लीकेशन तेजी से जांच पड़ताल के अधीन है. स्टडी नॉन-डायबिटिक लोगों के लिए इन टूल्स की विश्वसनीयता और जरूरत पर सवाल उठाता है और सीजीएम-बेस्ड पर्सनलाइज्ड न्यूट्रिशन प्रोग्राम के मार्केटिंग को चुनौती देता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.