Knowledge: अब 'गरीबों के अनाज' पर पूरी दुनिया की नजर, क्यों सरकार दे रही जोर Millet Crops का उत्पादन बढ़ाने पर?
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Knowledge: अब 'गरीबों के अनाज' पर पूरी दुनिया की नजर, क्यों सरकार दे रही जोर Millet Crops का उत्पादन बढ़ाने पर?

Knowledge: मोटे अनाज वाली फसलों जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, सांवा, कंगनी, चेना, कोदो, कुटकी और कुट्टू को मिलेट क्रॉप कहलाते हैं. मिलेट्स में पोषक तत्व दूसरे खाद्य पदार्थों की अपेक्षा बहुत अधिक मात्रा में होते हैं. आज ही इन्हें अपनी थाली में शामिल करें. 

Knowledge: अब 'गरीबों के अनाज' पर पूरी दुनिया की नजर, क्यों सरकार दे रही जोर Millet Crops का उत्पादन बढ़ाने पर?

Knowledge: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2023-24 (Budget 2023-24) के लिए देश का आम बजट 2023-24 पेश कर चुकी हैं. बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने मिलेट्स यानी मोटे अनाज को श्रीअन्न नाम दिया. साथ ही इसका उत्पादन बढ़ाने की बात कही. मिलेट्स उस मोटे अनाज को कहते हैं जो 5 हजार से ज्यादा वर्षों से भारतीय उपमहाद्वीप में उगाया और भोजन के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है.

मॉडर्न लाइफस्टाइल ने इसे आम लोगों की थाली से दूर कर दिया. खासतौर पर शहरों में गेहूं और चावल ज्यादा प्रचलन में है. नतीजतन आज कम उम्र में हमारा शरीर कई बीमारियों का घर बनता जा रहा है. यूं तो मोटे अनाज को गरीबों का अनाज कहा जाता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से पूरी दुनिया में इसकी चर्चा जोरों पर हैं. आज जानेंगे कि आखिर क्या है मिलेट्स और इससे होने वाले फायदे क्या हैं...

इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर 2023
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार 2018 में देश की हर थाली में मिलेट्स शामिल होने का अभियान चलाया था. अब राज्य सरकारें किसानों को मोटे अनाज उगाने के लिए प्रेरित कर रही हैं. वहीं, इसे  जनता की थाली तक पहुंचाने के लिए भी प्रयास जारी हैं. भारत की मांग पर यूनाइटेड नेशन ने 5 मार्च 2021 को साल 2023 को 'इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट' घोषित किया था.

भारत की इस मांग को दुनिया के 72 देशों का समर्थन मिला था. वैसे तो विश्व भर में मिलेट्स की 13 वैरायटी मौजूद है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज साल 2023 के लिए 8 अनाजों- बाजरा, रागी, कुटकी, सांवा, ज्वार, कंगनी, चेना और कोदो को शामिल किया गया है. 

मिलेट्स को बांटा गया है दो हिस्सों में 
पहला मोटे दाने वाले अनाज, जिन्हें कटाई के बाद प्रोसेसिंग की जरूरत नहीं होती. सफाई के बाद ये इस्तेमाल के लिए तैयार रहते हैं. इनमें रागी, ज्वार और बाजरा शामिल हैं. दूसरा छोटे दाने वाले अनाज होते हैं. इसके बीज काफी छोटे होते हैं, जिन्हें हटाना पड़ता है. इसके बाद ही ये खाने लायक होते हैं.  इनमें कोदो, फ्रॉक्सटेल मिलेट्स यानी कंगनी शामिल है.

मिलेट्स पोषक तत्वों का हैं भंडार 
गेहूं और धान की फसलों के मुकाबले मिलेट्स में कैल्शियम और आयरन की मात्रा ज्यादा होती है. ये अनाज सुपरफूड कहलाते हैं, क्योंकि इनमें बीटा-कैरोटीन, नाइयासिन, विटामिन-बी6, फोलिक एसिड, पोटैशियम, मैग्नीशियम, जस्ता आदि  प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं. मिलेट्स पचने में आसान होते हैं, क्योंकि इसमें फाइबर यानी रेशा मौजूद होता है. यही फाइबर सॉल्युबल और नॉन सॉल्युबल दोनों ही तरह से डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए फायदेमंद है. सॉल्युबल फाइबर से पाचन बेहतर होता है. नॉन सॉल्युबल फाइबर मल को आसानी से शरीर के बाहर निकालने में मदद करते हैं. 

आसानी से नहीं पचता गेंहू का महीन आटा
गेंहू सुपर फूड नहीं है. गेंहू का महीन आटा जल्दी नहीं पचता, जिसके कारण भारीपन और पाचन से जुड़ी समस्याएं होती हैं. ऐसा नहीं है कि आपको गेंहू का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इसे खाने का सेफ तरीका यह है कि चोकर वाले गेंहू के आटे का उपयोग करें. साथ ही इसमें मक्का, ज्वार और चने के आटे को मिलाएं. महीन गेंहू का आटा (मैदा) खाने से परहेज करें.

मिलेट्स के फायदे 
हड्‌डियों, दांतों और बालों को मजूबती देता है.
बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करता है.
तेजी से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है, जिससे वजन कंट्रोल में रहता है.
गैस्ट्रिक अल्सर या कोलन कैंसर का जोखिम कम करता है.
पाचन तंत्र सही रहता है, कब्ज और एसिडिटी की प्रॉब्लम नहीं होती.
ब्लड प्रेशर और टाइप-2 डायबिटीज को कंट्रोल करता है.
हार्ट की सेहत बेहतर होती है. 

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