DNA: धंसते जोशीमठ को छोड़ना क्यों नहीं चाहते लोग? एक साल बाद फिर जान दांव पर लगाकर रहने को हुए मजबूर
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DNA: धंसते जोशीमठ को छोड़ना क्यों नहीं चाहते लोग? एक साल बाद फिर जान दांव पर लगाकर रहने को हुए मजबूर

DNA on Joshimath Land Subsidence: उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने की वजह से एक साल पहले लोगों से घर खाली करा लिए गए थे. अब एक साल बाद फिर से उन्हीं घरों में लौटकर रहने को मजबूर हो गए हैं.  

 

DNA: धंसते जोशीमठ को छोड़ना क्यों नहीं चाहते लोग? एक साल बाद फिर जान दांव पर लगाकर रहने को हुए मजबूर

Zee News DNA on Joshimath land subsidence: ठीक एक साल पहले जोशीमठ में उस समय Tension High हो गई थी, जब सैंकड़ों घरों में दरार आ गई थी. तब सरकार ने जरूरी कदम उठाते हुए सैंकड़ों लोगों को अस्थाई तौर पर शिफ्ट किया था, लेकिन सालभर के अंदर प्रशासनिक इंतजाम धराशाई हो गए और जोशीमठ के हज़ारों लोग फिर से खतरनाक घोषित किए गए घरों में रहने को मजबूर हैं. इस बीच GSI यानी Geological Survey of India और CBRI यानी Central Building Research Institute की Report आई है. जिसमें बताया गया है कि जोशीमठ के 1200 से ज्यादा घर खतरनाक स्थिति में है. इन घरों को तत्काल खाली कराने का सुझाव दिया गया है. तो क्या बीते एक साल में जोशीमठ में कुछ नहीं बदला है. 

पिछले साल जोशीमठ से शिफ्ट किए गए थे लोग

जनवरी 2023 में जोशीमठ के ज्यादातर घरों में दरारें आ गई थी. जिसके बाद उत्तराखंड सरकार ने तेजी दिखाते हुए चिन्हित किए गए घरों को खाली करने का निर्देश दिया था. रातोंरात लोगों को जोशीमठ से शिफ्ट किया जा रहा था. प्रशासन ने दरारों वाले मकानों पर Cross का निशान लगाकर उन्हें खतरनाक घोषित कर दिया गया था, हज़ारों लोगों को Hotels या फिर सरकारी इमारतों में Shift किया गया था. सालभर पहले माहौल ऐसा बना दिया गया था, जैसे जोशीमठ कुछ ही घंटों में देश के नक्शे से मिट जाएगा. 

आज से ठीक एक साल पहले जोशीमठ के जो हालात थे, क्या वो बदल गए हैं? जो लोग अपना घर छोड़कर Hotels में शिफ्ट हो गये थे, उनका क्या हुआ. आज आपको इसपर Detail Report बताएंगे. उससे पहले जोशीमठ के धंसने और घरों में दरार को लेकर जो रिपोर्ट सामने आई है उसमें क्या है. उसके बारे में आपको बताते हैं. क्योंकि, स्थानीय लोगों का कहना था कि क्षेत्र में दरार आने की वजह NTPC का जल विद्युत प्रोजेक्ट है.

क्यों धंस रही जमीन, सामने आई रिपोर्ट

जोशीमठ के धंसने की वजह जानने के लिए सरकार ने जांच दो एजेंसियों से कराई थी. CBRI यानी Central Building Research Institute और GSI यानी Geological Survey of India ने जांच की. पहले CBRI की रिपोर्ट आई और अब GSI की रिपोर्ट सामने आई है. GSI की रिपोर्ट में बताया गया है कि घरों में दरार की वजह NTPC की जल विद्युत परियोजना नहीं है, बल्कि क्षेत्र में ऊंची इमारतों का तेजी से निर्माण और प्राकृतिक जल निकासी में गड़बड़ी है.

GSI ने सुझाव दिया है कि जोशीमठ में ऊंची इमारतों के निर्माण पर रोक लगाई जाए. इसी के साथ जोशीमठ में सड़क चौड़ीकरण के निर्माण कार्य को भी रोका जाए.  GSI से अलग CBRI यानी Central Building Research Institute ने तीन महीने तक जोशीमठ में करीब 2500 इमारतों की जांच की. जिसके बाद तैयार रिपोर्ट को केंद्र और राज्य सरकार को सौंपा है. CBRI की रिपोर्ट जोशीमठ के लोगों की चिंता बढ़ाने वाली है.

1200 घर और इमारतें खतरनाक पाई गईं

CBRI ने जोशीमठ के 9 Wards के 14 इलाकों को High Risk Zone घोषित किया है. इन इलाकों में 1200 घर और इमारतें खतरनाक हैं और रहने लायक बिल्कुल नहीं हैं. CBRI ने उत्तराखंड प्रशासन से 1200 घर और इमारतों को तत्काल प्रभाव से खाली कराने को कहा है. CBRI ने उत्तराखंड प्रशासन को मकान खाली कराने का सुझाव इसलिए दिया, क्योंकि जिन घरों को सालभर पहले खाली करा लिया गया था, दरार और खतरनाक स्थिति वाले उन्हीं घरों में लोग अपनी जान दांव पर लगाकर फिर से रहने लगे हैं. ऐसे में अगर जरा सा तेज भूंकप या भूधंसाव बड़े संकट की वजह बन सकता है.

जोशीमठ के 1200 से ज्यादा घर रहने लायक नहीं है और उन्हें CBRI ने खतरनाक घोषित कर दिया है, फिर भी लोग जान दांव पर लगाकर इन घरों में रह रहे हैं. सवाल है कि सालभर पहले उत्तराखंड सरकार ने जोशीमठ के स्थानीय लोगों के विस्थापन का जो Plan तैयार किया था, उसका क्या हुआ. 

राजेश्वरी देवी. जो अपने पांच बच्चों के साथ दरक चुके ऐसे ही एक घर में रहती हैं. ये जानते हुए कि चौबीस घंटे इनके सिर पर खतरा मंडरा रहा है. लेकिन राजेश्वरी ने ऐसा क्यों किया, सच सरकार की पोल खोल देगा. राजेश्वरी देवी बताती हैं कि पहले तो होटल में रखा. फिर होटल वालों से कहा कि घर जाओ सीजन खुल गया. पुलिस वाले डरते थे. भगा देते थे. रात को नींद नहीं आती है. जब से दरारें आई. तब से नहीं सो पा रहीं. अटैक आया जब ये बच्चा पेट में था. 

धंसते घरों में वापस लौटने को मजबूर

राजेश्वरी देवी अकेली नहीं है. जोशीमठ में ऐसे हज़ारों लोग हैं, जिन्हें पिछले साल सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट किया गया. लेकिन अब वापस घर लौटने पर मजबूर हैं. इन्हीं में प्रियंका, आशा देवी और निर्मल भी शामिल हैं. जो किसी भी समय ढहने की कगार पर पहुंच चुके घर में रहने को मजबूर हैं.

उत्तराखंड सरकार ने असुरक्षित घरों में रहने वाले लोगों को दो विकल्प दिये हैं, पहला लोग मुआवजा लेकर खुद से कहीं जाकर अपना घर बना लें. या फिर जोशीमठ से 90 किलोमीटर दूर गौचर में शिफ्ट होने के लिए राजी हों. लेकिन सरकार के इन दोनों विकल्पों से जोशीमठ के ज्यादातर लोग संतुष्ट नहीं हैं, और इन्हीं में विजय लाल शामिल हैं.

दुर्गालाल की कहानी भी कम दर्दभरी नहीं है. अपना दर्द बयां करते करते इनकी आंखें भर आती हैं. दुर्गालाल बताते हैं कि इन्हें मुआवजे के नाम पर एक रुपया तक नहीं मिला. भविष्य का क्या होगा पता नहीं, इसलिए जिंदगी दांव पर लगाकर इस जर्जर हो चुके मकान में रहने को मजबूर हैं.

सरकार की मुआवजा स्कीम बनी मजाक

जोशीमठ के स्थानीय लोगों के मुताबिक सरकार की मुआवजा स्कीम मजाक से कम नहीं है, अंजू सकलानी बताती हैं कि उन्हें सरकार ने मुआवजा दिया 5 लाख रुपये. जबकि घर की दूसरी मंजिल बनाने में ही 12 लाख रुपये खर्च हो गए. 5 लाख में तो 1 कमरे का घर नहीं बनेगा. कैसे लोन लेकर पूरा मकान बनाया. 30 –35 लाख की तो जमीन मिलेगी. हम तो नहीं जायेंगे. चाहे कुछ हो जाए जो होगा मातृभूमि पर ही होगा. 

जोशीमठ के सुनील गांव में घरों में दरारें लगातार बढ़ रही हैं और नए घरों को अपने चपेट में ले रही हैं. दूसरी तरफ लोग इन घरों में रहने को मजबूर हैं. जो चिंता की बात है.

गौचर में बसाना चाहती है सरकार

सालभर पहले जोशीमठ के जिन लोगों को Hotels में शिफ्ट किया गया था, वो अपने दरार पड़ चुके घरों में लौट आए हैं. उत्तराखंड सरकार इन लोगों को चमोली जिले के गौचर में विस्थापित करना चाहती है.

सरकार ने गौचर के बमोथ गांव में High Risk Zone में रहने वाले लोगों को विस्थापित करने का प्लान तैयार किया है, यहां 26 एकड़ भूमि पर लोगों को बसाने का प्लान है. बमोथ जोशीमठ से करीब 90 किलोमीटर दूर है. लेकिन यहां जोशीमठ के लोग आने को तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि बमोथ में जोशीमठ की तरह रोजगार के साधन नहीं हैं.

जोशीमठ चार धाम यात्रा का पहला द्वार है. इसलिए चार धाम यात्रा के दौरान ये शहर पर्यटकों से भरा रहता है. इससे जोशीमठ के लोगों की आजीविका चलती रही है. गौचर के जिस बमोथ गांव में लोगों को बसाने का प्रस्ताव दिया है, वहां से सबसे नजदीक ऐसा दूसरा सांस्कृतिक शहर रुद्रप्रयाग है. जोकि बमोथ से 18 किलोमीटर दूर है. ऐसे में रोजगार और काम के जो अवसर जोशीमठ में हैं, वो गौचर के बमोथ गांव में संभव नहीं हैं.

रोजगार न मिलने से लोग झिझके

जोशीमठ के High Risk Zone में रहने वाले लोगों की सबसे बड़ी चिंता यही है कि अगर वो बमोथ में शिफ्ट हो गये तो रोजगार ना होने से उनकी जरूरतें कैसे पूरा होंगी. 

जोशीमठ से विस्थापन को लेकर High Risk Zone में रहने वाले लोगों की चिंता जायज है, वो अपने रोजगार को लेकर चिंतित हैं. लेकिन CBRI और GSI की ताजा सर्वे रिपोर्ट को भी ध्यान में रखना होगा, क्योंकि दोनों की रिपोर्ट से साफ हो चुका है कि जोशीमठ में 1200 से ज्यादा घर खतरनाक स्थिति में हैं और इन घरों में हज़ारों लोग रह रहे हैं. अगर कोई हादसा हुआ तो बड़ा नुकसान हो सकता है. ऐसे स्थिति ना बने इसके लिए सरकार को पुख्ता प्लान पर काम करने की जरूरत है.

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