Chandrayaan 3 Mission 23 अगस्त को विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कामयाबी के साथ उतर गया. इस समय विक्रम लैंडर और प्रज्ञान दोनों सफलता के साथ अपने फर्ज को अंजाम दे रहे हैं, यहां हम बताएंगे कि लैंडर और रोवर का नाम विक्रम-प्रज्ञान क्यों पड़ा.
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Vikram Lander-Prgyan Rover News: 23 अगस्त को भारत ने इतिहास रच दिया. दिन, मौका और कामयाबी तीनों खास. 23 अगस्त से पहले तक दुनिया के तीन देशों(America, Russia,Chian)ने चांद पर कामयाबी के झंडे गाड़े थे लेकिन भारत की कामयाबी अहम इसलिए बन गई क्योंकि दक्षिणी ध्रुव पर उतरने में ये तीनों देश नाकाम रहे है या कभी उस दिशा में नहीं सोचा. चंद्रयान 3 से पहले रूस का लूना 25 मिशन तेजी से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर आगे बढ़ रहा था. ये बात अलग है कि सॉफ्ट लैंडिंग से पहले हादसे का शिकार हो गया. भारत का विक्रम लैंडर अब चांद पर पैर जमाकर खड़ा हो चुका है और प्रज्ञान रोवर चहलकदमी कर रहा है. यहां हम बताएंगे कि लैंडर का नाम विक्रम और रोवर को प्रज्ञान नाम क्यों दिया.
विक्रम लैंडर
चंद्रयान 3 मिशन की तरह चंद्रयान 2 में भी लैंडर को विक्रम और रोवर को प्रज्ञान नाम दिया गया था. अब बताते है कि इस नामकरण के पीछे की कहानी क्या है. जैसा कि हम सब जानते हैं कि इंडिन स्पेस प्रोग्राम के जनक के तौर पर विक्रम साराभाई को जाना जाता है. विक्रम का अर्थ बहादुरी होता है. उनके सम्मान में लैंडर का नाम विक्रम रखा गया. चंद्रयान 2 की तुलना में चंद्रयान 3 में विक्रम लैंडर के पैर को और मजबूत बनाया गया था ताकि वो चांद की सतह पर और मजबूती के साथ पैर जमा सके.
प्रज्ञान रोवर
अब बात करते हैं रोवर की. रोवर को प्रज्ञान नाम दिया गया. इसकी उत्पत्ति संस्कृत से हुई है जिसका अर्थ विजडम यानी बुद्धिमानी से जुड़ा है. इस नाम के पीछे की कहानी यह है कि वैज्ञानिकों के मुताबिक इसका काम चांद की सतह को परखना और जानकारी इकट्ठा करना है. इसमें रोवर को अपने दिमाग का इस्तेमाल करना पड़ेगा लिहाजा नाम प्रज्ञान रखा गया. अगर चंद्रयान 2 की बात करें तो हार्ड लैंडिंग होने के बाद वो चांद में ही खो गया हालांकि प्रज्ञान रोवर काम कर रहा है. इसी लिए चंद्रयान 3 मिशन के लिए अलग से प्रज्ञान रोवर को डिजाइन नहीं किया गया था.