Special Report: चीन का 'लहसुन अटैक' वाया नेपाल-बांग्‍लादेश, बैन के बाद क्‍यों हो रही बिक्री?
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Special Report: चीन का 'लहसुन अटैक' वाया नेपाल-बांग्‍लादेश, बैन के बाद क्‍यों हो रही बिक्री?

chinese Vs Indian garlic: अगर आप अपने खाने में लहसुन का प्रयोग कर रहे हैं तो हो जाएं सावधान क्योंकि हो सकता है जो बाजार से लहसुन घर ला रहे हैं वो चाइनीज हो सकते हैं जो आपके सेहत को खराब कर सकता है.

Special Report: चीन का 'लहसुन अटैक' वाया नेपाल-बांग्‍लादेश, बैन के बाद क्‍यों हो रही बिक्री?

Asli aur Nakli Lehsun: (अमित त्रिपाठी, महाराजगंज)-  अगर आप अपने खाने में लहसुन का प्रयोग कर रहे हैं तो हो जाएं सावधान क्योंकि हो सकता है जो बाजार से लहसुन घर ला रहे हैं वो चाइनीज हो सकते हैं जो आपके सेहत को खराब कर सकता है. भारत में इस बार लहसुन की पैदावार कम होने की वजह से इसके दाम आसमान छू रहे हैं. भारत में कीमतों में इजाफा होने पर अब तस्कर चाइनीज लहसुन नेपाल और बांग्लादेश से भारत ला रहे हैं . चीन से लहसुन पहले नेपाल लाया जा रहा है फिर उसे नेपाल की खुली सीमा के रास्ते सीमावर्ती क्षेत्रों समेत कई शहरों में भेजा जा रहा है. चाइनीज लहसुन में ज्यादा मुनाफा के कारण भारत-नेपाल सीमा पर इसकी तस्करी बीते दिनों काफी ज्यादा बढ़ गई है. बात करें अगर महाराजगंज जनपद की तो यहां कस्टम की टीम ने बीते 3 महीना में 9300 किलो चाइनीज लहसुन को पकड़ा है वहीं 1600 किलो को बीते दिनों डिस्ट्रॉय भी किया गया है. चाइनीज लहसुन की हाल में चर्चा तब और बढ़ गई जब लखनऊ के एक वकील चाइनीज लहसुन को लेकर हाई कोर्ट पहुंच गए हैं. जज ने केंद्र और यूपी सरकार से रिपोर्ट भी मांगी है जिसके बाद चाइनीज लहसुन को लेकर बहस शुरू हो गई.

नेपाल के सीमावर्ती महराजगंज के बाज़ारों में भारतीय लहसुन 260- 300 रुपये किलो तक बिक रहे हैं वहीं चाइनीज लहसुन 100 से 150 रुपये किलो में बिक रहे है जिसका फायदा तस्कर उठा रहे हैं और खुली सीमा का फ़ायदा उठाकर नेपाल से भारी मात्रा में चाइनीज लहसुन भारतीय बाज़ारो में खपा रहे हैं. चाईनीज लहसुन के बारे में डॉक्टर अमित राव गौतम ने बताया कि यह हमारे सेहत के लिए बहुत ही खतरनाक है क्योंकि इसकी नेचुरल प्रोसेस से पैदावार नहीं होती. इसको आर्टिफिशियल तरीके से विकसित किया जाता है. दूसरा इसके कई साइड इफेक्ट हैं जैसे गैस्ट्राइटिस होना. पेट में सूजन होना और कैंसर भी हो सकता है जिससे ये भारत में प्रतिबंधित है.

किराना व्‍यापारियों का कहना है कि चाइनीज लहसुन को छीलने में आसानी होती है और उसका दाना मोटा होता है. इसलिए इसकी डिमांड ज्यादा है. वहीं रेट में भी दूने का अंतर होता है जिसके कारण चाइनीज लहसुन बेचा जा रहा है. वहीं फुटकर सब्जी के दुकानदारों का कहना है कि मंडियों में यही लहसुन उन्हें मिल रहा है इसलिए मजबूरी में वह चाइनीज लहसुन बेचते हैं.

क्‍यों लगा है बैन
2014 में भारत सरकार ने चीन से आने वाले चाइनीज लहसुन के भारत में आयात पर बैन लगा दिया था इस बैन के पीछे तीन वजह बताई गई थीं: 
1. ज्‍यादा उपज के लिए जरूरत से ज्यादा रासायनिक कीटनाशक का इस्तेमाल. फफूंद से बचाने के लिए मिथाइल ब्रोमाइड का इस्‍तेमाल होता है. 
2. चाइनीज लहसुन की गुणवत्ता भारत के मानक पर खरी नहीं उतरी. टेस्‍ट में फेल हो चुका है. 
3. इसकी कम कीमत भारतीय किसानों को घाटा पहुंचाती है.

देसी और चाइनीज लहसुन में फर्क
देसी: 
साइज छोटा होता है. छिलका थोड़ा मोटा होता है. रंग सफेद और खाने में तीखापन. तेज महक होती है और ज्‍यादा झार देता है. देसी लहसुन की कलियां गंध और स्‍वाद में तेज होती हैं. इनमें औषधीय गुण होते हैं. 

चाइनीज: बड़ा आकार होता है. महक बेहद हल्‍की होती है. रंग सफेद से लेकर हल्‍का गुलाबी तक होता है. स्‍वाद में तीखापन भी नहीं होता.

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