Atal Bihari Vajpayee: आपातकाल में एम्स में भर्ती थे अटल बिहारी वाजपेयी, किसकी होती थी मुलाकात की हिम्मत? एक का इंदिरा गांधी से रिश्ता
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Atal Bihari Vajpayee: आपातकाल में एम्स में भर्ती थे अटल बिहारी वाजपेयी, किसकी होती थी मुलाकात की हिम्मत? एक का इंदिरा गांधी से रिश्ता

Bharat Ratna Atal Bihari Vajpayee: भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की छठी पुण्यतिथि पर शुक्रवार को राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री और दिग्गज नेताओं समेत पूरे देश ने उन्हें कृतज्ञतापूर्वक नमन किया. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 और निधन 16 अगस्त, 2018 को हुआ था. 

Atal Bihari Vajpayee: आपातकाल में एम्स में भर्ती थे अटल बिहारी वाजपेयी, किसकी होती थी मुलाकात की हिम्मत? एक का इंदिरा गांधी से रिश्ता

Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary: देश के पूर्व प्रधानमंत्री, भाजपा के शीर्ष नेता, कवि, पत्रकार, संपादक और अद्भुत वक्ता अटल बिहारी वाजपेयी की आज शुक्रवार (16 अगस्त) को पुण्यतिथि है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला जैसे दिग्गजों समेत सत्ता पक्ष और विपक्ष के राजनेताओं ने आदर और प्यार से अटलजी को याद और नमन किया. 

कृतज्ञ देश ने दी भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि

इनके अलावा पूरे देश ने कृतज्ञता से भर कर अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी. प्रधानमंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा करने वाले पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में और निधन 16 अगस्त, 2018 को एम्स, नई दिल्ली में हुआ था. 94 साल की उम्र में सांसें लेने वाले अटल इससे पहले कई बार एम्स में जाने के बाद स्वस्थ होकर वापस लौटे थे. 

आपातकाल में भी एम्स में भर्ती हुए थे अटलजी, दिलचस्प दौर

दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (AIIMS) अस्पताल में अटल बिहारी वाजपेयी का आपातकाल ((जून 1975-मार्च 1977) वाला दौर सबसे ज्यादा चर्चित और दिलचस्प रहा था. क्योंकि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से देश पर लादे गए आपातकाल के खिलाफ वह सबसे बुलंद आवाज उठाने वालों में शामिल थे. इसलिए सरकार की कड़ी निगरानी में रहने वाले प्रमुख विपक्षी नेता भी थे. 

आपातकाल लागू होने के तुरत बाद अटलजी की गिरफ्तारी

आपातकाल लगाए जाने के तुरत बाद अटल बिहारी वाजपेयी को बेंगलोर में गिरफ्तार किया गया था. प्रसिद्ध पॉलिटिकल साइंटिस्ट विनय सीतापति ने अपनी किताब जुगलबंदी में इस बारे में लिखा है, 'वाजपेयी सादे जीवन के आदी नहीं थे और आडवाणी के चिंता हुई कि उनके मित्र जेल के हालात को नहीं झेल पाएंगे. आपातकाल लागू होने के एक सप्ताह बाद 1 जुलाई 1975 को आडवाणी ने घटाटे को तार भेजकर उन्हें अटलजी के घर से ऊनी कपड़े और अटलजी की मेडिकल रिपोर्ट्स लाने को कहा.'

इलाज के लिए बेंगलोर जेल से एम्स दिल्ली भेजे गए अटलजी

उन्होंने आगे लिखा, 'जब घटाटे बेंगलोर जेल तो उन्होंने देखा कि वाजपेयी जेल द्वारा उपलब्ध गर्म कपड़े पहने हुए थे. उन्होंने मजाक में कहा, 'अब इंदिरा गांधी ही खाना देंगी और इंदिरा ही मुझे कपड़े देंगी. मैं अपनी जेब से तो एक पैसा भी खर्च नहीं करने वाला.' 12 दिनों बाद वाजपेयी को अपेंडिक्स के दर्द के कारण बेंगलोर के विक्योरिया हॉस्पिटल ले जाया गया. फिर उन्हें दिल्ली के एम्स भेजा गया, जहां उनकी रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन किया गया. ठीक होने के दौरान वाजपेयी ने अपना हास्यबोध बनाए रखा.'

किसी में नहीं होती थी एम्स में अटलजी से मुलाकात की हिम्मत

विनय सीतापति ने लिखा है कि उस दौर में एम्स में भर्ती अटल बिहारी वाजपेयी से मुलाकात करने की हिम्मत किसी में नहीं होती थी. आपातकाल के दौरान एम्स में वाजपेयी के कमरे को जेल की तरह माना जाता था और उस पर जेल के नियम लागू होते थे. संघ परिवार के जनसंघ या विहिप जैसे कुछ संगठनों के अलावा कोई उनसे मिलने की सोच भी नहीं पाता था. हालांकि, ब्यूरोक्रेट अशोक सैकिया इसके अपवाद थे. बाद के दिनों में वह प्रधानमंत्री कार्यालय में महत्वपूर्ण सदस्य बने. 

अटलजी से मुलाकात के लिए आती थीं इंदिरा गांधी की रिश्तेदार

अशोक सैकिया रामजस कॉलेज में वाजपेयी के पारीवारिक मित्र बीएन कौल के स्टूडेंट रह चुके थे. वहीं, सैकिया के अलावा बीएन कौल की पत्नी राजकुमारी कौल हर सप्ताह अटल बिहारी वाजपेयी को देखने एम्स आती थीं. उन्हें मुलाकात के लिए हर बार सरकार की इजाजत लेने के लिए घंटों तक इंतजार करना पड़ता था. जबकि, उच्च शिक्षित कश्मीरी पंडित मिसेज कौल का प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से पारीवारिक नाता था. वह दोनों आपस में करीबी रिश्तेदार थीं.

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एम्स में दूसरे के रोने से पसीजे अटलजी ने लिखी थी मार्मिक कविता

आपातकाल के दौरान एम्स में रहते हुए अटलजी के साथ ऐसा अनुभव हुआ कि उन्होंने एक मार्मिक कविता लिख दी. अटलजी ने अपना यह अनुभव 2002 में आए एल्बम 'संवेदना' में जाहिर किया था. मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह (अब दिवंगत) ने अटलजी की कविताओं पर आधारित इस एल्बम को आवाज दी थी. इस 'संवेदना' में एक फेमस कविता 'दूर कहीं कोई रोता है' के पहले अटलजी की स्पीच शामिल की गई थी. उसमें उन्होंने बेंगलोर जेल और एम्स की यादों को दोहराया था.

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अटलजी ने कहा, "इमरजेंसी के दौरान जब मेरी तबीयत खराब हुई तो मुझे बैंगलोर जेल से ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टीट्यूट लाया गया था. चौथी या पांचवीं मंजिल पर रखा गया था. कड़ा पहरा था, लेकिन रोज सबेरे मेरी आंख अचानक खुल जाती थी. कारण यह था कि रोने की आवाज आती थी. मैंने पता लगाने का प्रयास किया कि आवाज कहां से आ रही है? किसकी आवाज है? तो मुझे बताया गया कि मेडिकल इंस्टीट्यूट में रात में जिन मरीजों का देहांत हो जाता है. घरवालों को उनकी लाश सबेरे दी जाती है. सबेरे उन्हें यह जानकारी मिलती है कि उनका प्रियजन नहीं रहा. रोने की आवाज मुझे विचलित कर गई. दूर से आवाज आती थी. मगर ह्रदय को चीरकर चली जाती थी." 

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