School Job Scam: पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की अगुवाई वाली टीएमसी (TMC) सरकार ने शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में कलकत्ता HC के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. शिक्षक भर्ती घोटाले में पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और कई तृणमूल पदाधिकारियों के साथ ही राज्य शिक्षा विभाग के अफसर जेल जा चुके हैं.
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Teachers recruitment scam: पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की अगुवाई वाली टीएमसी (TMC) सरकार ने शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में कलकत्ता HC के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. गौरतलब है कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने अपने 22 अप्रैल को दिए फैसले में 2016 में की गई शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की लगभग 24,000 नियुक्तियों को रद्द कर दिया था. इसके साथ हाईकोर्ट ने भर्ती को अवैध बताते हुए इन कर्मचारियों को अपना वेतन वापस करने का आदेश दिया था.
राज्य सरकार की याचिका में क्या है?
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में राज्य सरकार ने आरोप लगाया है कि हाईकोर्ट ने सिर्फ मौखिक दलीलों के आधार,किसी हलफनामे के रिकॉर्ड पर लिए बिना ही मनमाने ढंग से नियुक्तियां रद्द कर दी हैं. इसके चलते स्कूलों में कर्मचारियों की कमी हो जाएगी.
क्या है शिक्षक भर्ती घोटाला?
बंगाल के शिक्षा विभाग ने इन भर्तियों को निकाला था. हाईकोर्ट में पेश दस्तावेजों के मुताबिक यह घोटाला साल 2014 में हुआ. इस स्कैम में बंगाल के तत्काली शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की भूमिका पाई गई थी. उनके करीबियों के ठिकानों से करोड़ों का कैश मिला था. घोटाले का आरोप लगाकर कई अभ्यर्थी हाईकोर्ट गए थे. उन्होंने अपनी याचिका में ये दावा भी किया था कि भर्ती घोटाले में कुछ ऐसे भी उम्मीदवारों को नौकरी दी गई, जिन्होंने TET परीक्षा भी पास नहीं की थी. जबकि राज्य में शिक्षक भर्ती के लिए TET परीक्षा पास होना कंपलसरी है.
हाईकोर्ट गए याचिकाकर्ताओं का ये भी आरोप था कि जिन उम्मीदवारों के नंबर कम थे उन्हें मेरिट लिस्ट में ऊपर स्थान मिला. एक-दो शिकायतें ऐसी भी थीं, जिनमें कहा गया था कि कुछ कैंडिडेट्स का मेरिट लिस्ट में नाम न होने पर भी उन्हें नौकरी दे दी गई.
फैसले पर कहीं खुशी-कहीं गम
हाईकोर्ट के इस फैसले से कई सालों से नौकरी कर रहे शिक्षक मायूस हैं. इन्हें सांतावना देते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही थी और बुधवार को याचिका लगा दी गई है. अब सभी की निगाहें इस फैसले पर टिकी हैं कि सर्वोच्च अदालत सुनवाई के बाद इस पर क्या फैसला सुनाएगी.