UP Weather Forecast: जाते-जाते UP को बारिश से भिगोएगा मानसून, जानें सूखे की मार झेल रहे किन जिलों को मिलेगी राहत
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UP Weather Forecast: जाते-जाते UP को बारिश से भिगोएगा मानसून, जानें सूखे की मार झेल रहे किन जिलों को मिलेगी राहत

UP Weather Forecast: यूपी में जल्द ही लोगों को गर्मी और उमस से राहत मिलने वाली है. जाते-जाते मानसून प्रदेश को भिगोकर जाएगा. मौसम विभाग ने 15 सितंबर तक यूपी में बारिश का अलर्ट जारी किया है. 

फाइल फोटो.

UP Weather Update: यूपीवासियों के लिए राहत भरी खबर है. जल्द ही गर्मी और उसम से राहत मिल सकती है. माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में दक्षिणी-पश्चिमी मानसून विदाई की बेला में मेहरबान हो सकता हैं. अगले सप्‍ताह यूपी में अच्‍छी बारिश होने के आसार हैं. मौसम विभाग के मुताबिक, यूपी के कुछ हिस्‍सों में लगातार दो-तीन दिनों तक बारिश हो सकती है. 

इन हिस्सों में भारी बारिश के आसार 
आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र निदेशक जे.पी.गुप्‍ता के मुताबिक मॉनसून की टर्फ लाइन ऊपर आएगी और यूपी से होकर जाएगी. ऐसे में 14 और 15 सितंबर को मध्य प्रदेश से सटे जिलों के साथ पूर्वी और पश्चिमी यूपी में भारी बारिश का अनुमान जताया गया है. 
उप निदेशक सी. पी. श्रीवास्‍तव का कहना है कि इस बारिश से धान की फसल को फायदा हो सकता है. कृषि उत्‍पादन आयुक्‍त मनोज सिंह ने बताया कि प्रदेश में जून से 8 सितंबर तक 47.7 फीसदी यानी 699.0 मिमी बारिश होनी चाहिए थी. जबकि महज 333.9 मिली बारिश हुई. उन्होंने बताया कि पिछले 35 साल में हर महीने सामान्‍य से कम बारिश हुई है. 

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इन 28 जिलों में 40 फीसदी से भी कम बारिश 
40 फीसदी से कम बारिश वाले 28 जिले हैं. इसमें मिर्जापुर, हरदोई, बहराइच, उन्नाव, सम्भल, बरेली, बुलंदशहर, मऊ, अमेठी, पीलीभीत, बलिया, शामली, बस्ती, अमरोहा, गोण्डा, रामपुर, संतकबीरनगर, शाहजहांपुर, बागपत, कानपुर देहात, कौशाम्बी, रायबरेली, जौनपुर, चंदौली, कुशीनगर, फरूखाबाद, गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद का नाम शामिल है. 

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साहित्यकार डॉ. रामबहादुर मिश्र ने बारिश को लेकर कही ये बात 
वहीं, अवधी भाषा के विद्वान और साहित्यकार डॉ. रामबहादुर मिश्र कहते हैं "का बरखा जब फसल सुखानि." उन्होंने बताया कि मघा नक्षत्र में इस बार बारिश नहीं हुई. जबकि कहावत कही जाती है कि "मघा के बरसे, माता के परसे".अर्थात जैसे मां थाली परोसे तो भूख शांत होती है. वैसे ही मघा नक्षत्र में बारिश से धरती तृप्त होती है. उन्होंने बताया कि कास एक किस्म की घास होती है. जब गांवों और खेतों में इसमें फूल आने लगे तो समझ लीजिए कि अब बारिश के आसार नहीं हैं. 

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