uttar pradesh foundation day 2023 : उत्तर प्रदेश 24 जनवरी को अपना 74वां स्थापना दिवस मना रहा है. आजादी के पहले यह संयुक्त प्रांत के नाम से जाना जाता था. फिर स्वतंत्रता के बाद इसे उत्तर प्रदेश के नाम मिला.
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uttar pradesh foundation day 2023 : यूपी दिवस यानी उत्तर प्रदेश का स्थापना दिवस की तैयारी तेज हैं, ये हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है.लेकिन इसकी कहानी बड़ी दिलचस्प है. United Province के 120 साल पहले यूपी बनने की कहानी दिलचस्प है. कैसे अनौपचारिक तौर पर यूपी स्थापना दिवस 1989 से महाराष्ट्र में मनाया जाने लगा और फिर कैसे 2018 में योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस पर मुहर लगाई. आइए जानते हैं यूपी के गठन (UP Diwas 2023 ) से जुड़ी दिलचस्प बातें...
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UP Foudation Day 2023 : भारत के 15 अगस्त 1947 को आजादी के बाद 24 जनवरी 1950 को संयुक्त प्रांत की जगह इसका नाम बदलकर उत्तर प्रदेश किया गया. वैसे महाराष्ट्र में उत्तर प्रदेश के नेताओं द्वारा यूपी दिवस 1989 से मनाया जा रहा था. बीजेपी नेता अमरजीत मिश्र इसका आयोजन करते थे. उन्होंने बाद में राम नाईक के उत्तर प्रदेश का गवर्नर बनते ही इसका सुझाव दिया. लेकिन समाजवादी पार्टी सरकार ने इसे मंजूर नहीं किया. फिर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मई 2017 से हर वर्ष 24 जनवरी को यूपी दिवस मनाने का ऐलान किया.
ब्रिटिश काल में 1902 में नार्थ वेस्ट प्रोविंस का नाम बदल कर यूनाइटेड प्रॉविंस ऑफ आगरा एंड अवध (United Province to UP) रखा गया. आम बोलचाल यानी शार्टकट में इसे यूपी कहा जाने लगा. 1920 में यूपी की राजधानी इलाहाबाद से लखनऊ ट्रांसफर की गई. हालांकि राज्य का हाईकोर्ट पहले की तरह इलाहाबाद में ही कायम रहा. लखनऊ में उच्च न्यायालय की एक हाईकोर्ट बेंच स्थापित की गई.
यूनाइटेड प्रोविंस बनने के बाद 3 अप्रैल 1937 को नवाब ऑफ छत्री (The Nawab of Chhatri) के तौर पर लेफ्टिनेंट कर्नल सईद उल मुल्क नवाब सर मुहम्मद अहमद सईद खान को यूनाइटेड प्रोविंस का गवर्नर बनाया गया, जो तब मुख्यमंत्री जैसा पद ही था और जुलाई 1937 के चुनाव तक वो पद पर रहे.
वर्ष 1947 में संयुक्त प्रांत (अब का उत्तर प्रदेश) को आजाद भारत की एक प्रशासनिक इकाई बनाया गया. 2 साल बाद टिहरी गढ़वाल और रामपुर की रियासतों को भी संयुक्त प्रांत में शामिल किया गया. 1950 में भारतीय गणराज्य का नया संविधान के लागू होते ही 12 जनवरी 1950 को संयुक्त प्रांत का नामकरण उत्तर प्रदेश किया गया. उत्तर प्रदेश को भारतीय संघ का राज्य बनाया गया.
नेहरू-इंदिरा समेत 8 प्रधानमंत्री दिए
दिल्ली से सीमाएं जुड़ने के साथ ही यूपी को राजनीतिक तौर पर भी दिल्ली का द्वार माना जाता है. इलाहाबाद से सांसद पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री थे. उसके बाद कांग्रेस नेता इंदिरा गांधी भी दो बार प्रधानमंत्री बनीं. बलिया में जन्में समाजवादी नेता चंद्रशेखर, हापुड़ में जन्में किसान नेता चौधरी चरण सिंह भी प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे. अमेठी से लोकसभा सांसद रहे राजीव गांधी भी 1984 में पीएम पद तक पहुंचे. लखनऊ से सांसद रहे अटल बिहारी वाजपेयी और फिर वाराणसी से सांसद के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की सत्ता संभाले हुए हैं.
पहले मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंत
गोविंद वल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे. वहीं सुचेता कृपलानी अक्टूबर 1963 में उत्तर प्रदेश के साथ ही साथ भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल किया. मायावती जून 1995 में पहली बार मुख्यमंत्री बनीं, जो देश में किसी भी राज्य की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री थीं. अब योगी आदित्यनाथ राज्य के सीएम है.
उत्तर प्रदेश का विभाजन कर उत्तराखंड बना
अलग उत्तरांचल राज्य की मांग को लेकर लंबे आंदोलन के बाद उत्तर प्रदेश का वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश का विभाजन हुआ. यूपी के पहाड़ी क्षेत्र गढ़वाल और कुमाऊं मंडल को जोड़कर उत्तरांचल की स्थापना की गई. इसका नाम फिर उत्तराखंड किया गया. उत्तर प्रदेश को आगे भी अवध, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, रुहेलखंड औऱ बुंदेलखंड जैसे पांच हिस्सों में विभाजित करने की मांग हुई, लेकिन इसे कोई राजनीतिक या सामाजिक समर्थन नहीं मिला.
उत्तर प्रदेश में मौजूदा समय में 80 लोकसभा सीटें हैं.जबकि 403 विधानसभा सीटें. आजादी के बाद लंबे समय से कांग्रेस का यूपी में एकछत्र राज्य रहा. आपातकाल के बाद कांग्रेस का राजनीतिक रसूख कम होने के बाद समाजवादी नेता उभरना शुरू हुए. फिर मंडल कमंडल राजनीति के बीच मुलायम सिंह यादव औऱ कल्याण सिंह राज्य के मुख्यमंत्री बने. 2012-2017 तक अखिलेश यादव के बाद मोदी लहर औऱ योगी लहर के बीच योगी आदित्यनाथ दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने.
ब्रिटिशकालीन इतिहास.....
ईस्ट इंडिया कंपनी के 1775 से 1816 के बीच मौजूदा उत्तर प्रदेश और तब यहां मौजूद तमाम रियासतों पर कब्जा कर लिया. 1801 में नवाब, 1803 में सिंधिया रियासत के बाद 1816 में गोरखों से छीने प्रांतों को पहले बंगाल प्रेसीडेंसी में रखा गया. 1833 में पश्चिमोत्तर प्रांत (आगरा प्रेसीडेंसी) गठित हुआ. 1856 में ने अवध पर कब्जे के बाद आगरा एवं अवध संयुक्त प्रांत (अब का उत्तर प्रदेश) के तौर पर इसे 1877 में पश्चिमोत्तर प्रांत में मिलाया गया. वर्ष 1902 में इसका नाम संयुक्त प्रांत रखा गया.
पहला स्वाधीनता संग्राम
1857 में भारत के पहले स्वाधीनता संग्राम में उत्तर भारत की तत्कालीन रियासतों का अहम योगदान रहा. ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ 1857-1859 का विद्रोह पश्चिमोत्तर प्रांत में केंद्रित था. 10 मई 1857 को मेरठ छावनी में सैनिकों के बीच विद्रोह की चिंगारी भड़की. जो 25 से भी ज्यादा बड़े इलाके में फैल गई. बगावत के दमन के बाद ब्रिटिश भारत का प्रशासनिक नियंत्रण ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश महाराजा को सौंप दिया गया.
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