Sawan Special: कालपी को क्यों कहते हैं 'छोटी काशी'? इस धर्मनगरी में सावन में लगता है भक्तों का तांता
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Sawan Special: कालपी को क्यों कहते हैं 'छोटी काशी'? इस धर्मनगरी में सावन में लगता है भक्तों का तांता

Sawan 2022: जालौन (Jalaun) के कालपी (Kalpi) को छोटी काशी कहा जाता है. सावन के महीने में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. सावन मास में शिवालय ऊं नम: शिवाय के जाप से गूंज उठता है. इस खबर में हम आपको इस धर्मनगरी के शिव मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं. 

Sawan Special: कालपी को क्यों कहते हैं 'छोटी काशी'? इस धर्मनगरी में सावन में लगता है भक्तों का तांता

Sawan 2022: जितेन्द्र सोनी/जालौन: धर्म नगरी कालपी (Kalpi) में शिव मंदिरों की लंबी श्रृंखला है. यहां सावन के महीने (Sawan 2022) में इन मंदिरों में ऊं नम: शिवाय का स्वर गूंजता रहता है. मान्यता है कि यहां के भगवान शिव (Lord Shiv) नवेश्वरों के दर्शन से बाबा विश्वनाथ (Kashi Vishwanath) के दर्शन करने के बराबर फल मिलता है. यही वजह है कि इस नगरी को छोटी काशी कहा जाता है. यहां सावन मास में भक्तों का तांता लगा रहता है.

ये हैं कालपी के प्रमुख शिव मंदिर (Kalpi Shiv Mandir)
जालौन में कालपी के प्रमुख शिव मंदिरों में पातालेश्वर, ढोडे़श्वर, तिगडे़श्वर, रामेश्वर, बानेश्वर, गोपेश्वर, भोलेश्वर, कपिलेश्वर, फालेश्वर, नवेश्वर मंदिर हैं. इसके अलावा बलखंड़ी देवी मंदिर स्थित महामृत्युंजय भगवान का मंदिर, आनंदी देवी शिवालय, भूरेलाल का शिवालय आदि हैं. इनकी अपनी अलग-अलग मान्यता है. इन मंदिरों में सालभर श्रृद्धालुओं का आना जाना रहता है, लेकिन सावन के महीने में भक्तों का मेला सा लग जाता है. 

पातालेश्वर मंदिर का शिवलिंग है स्वयंभू
कालपी के नवेश्वररों में पातालेश्वर मंदिर का विशेष महत्व है. यमुना तट पर स्थित पातालेश्वर मंदिर करीब पांच हजार वर्ष से भी ज्यादा प्राचीन बताया जाता है. ऐसी मान्यता है कि मंदिर में प्रतिष्ठित शिवलिंग स्वयंभू है. बता दें कि भगवान शिव किसी कारणवश स्वयं शिवलिंग के रूप में प्रकट होते हैं. इस तरह के शिवलिंग को स्वयंभू शिवलिंग कहते हैं. भारत में स्वयंभू शिवलिंग कई जगहों पर हैं. मंदिर के पुजारी वीरेंद्र पाठक बताते हैं कि जब कोई भक्त इस मंदिर में सुबह पूजा करने पहुंचता है, तो शिवलिंग पहले से पूजित मिलता है. 

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ढोडे़श्वर महादेव मंदिर में घुटनों के बल दर्शन करने पहुंचते हैं भक्त 
वहीं, ढोडे़श्वर महादेव मंदिर का नवेश्वरों में ऊंचा स्थान है. तरीबुल्दा स्थित यह मंदिर करीब ढाई सौ वर्ष पुराना बताया जाता है. इसका निर्माण शंकर गिरि नागा बाबा के शिष्य शिव भक्त ढोडे़ केवट ने कराया था. मंदिर के संत अवधेश महाराज बताते हैं कि जो भक्त यहां घुटनों के बल पर शिवलिंग के दर्शन करते हैं, उसकी सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं.

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परेशानियों को हरते हैं भगवान महामृत्युंजय 
वहीं, बलखंडी देवी मंदिर परिसर में बना महामृत्युंजय भगवान का मंदिर जीवन देने वाला है. मंदिर के महंत जमुनादास कहते हैं कि शिव आराधना के लिए यह अनूठा मंदिर है. भगवान मृत्युंजय मनुष्य के दुखों, परेशानियों और अहंकार का हरण करने वाले हैं.  इसके अलावा नगर में गोपेश्वर महादेव, रामेश्वर महादेव, भोलेश्वर मंदिर भी हैं, जिनकी अपनी प्रतिष्ठा है. 

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