संगम की रेती पर टेंट सिटी लगाने वाले ठेकेदारों से मिली जानकारी के अनुसार टैंट सिटी 4 हजार हैक्टेयर में बनी है और इसे बनाने में 68 लाख बल्लियां इस्तेमाल की गई हैं जिन्हें अगर लंबाई में जोड़ लिया जाए तो संगम से अमेरिका तक की दूरी से भी डेढ़ गुना ज्यादा है. वहीं टेंट बनाने के लिए करीब 100 कि.मी. लंबा कुल कपड़ा लगा है. टेंट सिटी बनाने की जिम्मेदारी कुल 10 वेंडर्स को दी गई है. जिसमें सबसे ज्यादा ठेके 9 ठेके लल्लू जी एंड संस के पास हैं. जबकि 10वां ठेका हरिद्वार के वृंदावन टेंट हाउस को दिया गया है. आईइये आपको बताते हैं महाकुंभ कितने प्रकार के टेंट लगे हैं और उनकी खूबियां क्या-क्या हैं.
वाईआईपी कैटेगरी का ये टैंट प्लाई से बनता है, 20 लंबे और चौड़े इस टेंट को बनाने में एक लाख रुपये खर्चा आता है. इसमें हवा तक पास नहीं हो पाती है. इस टैंट में अखाड़ों के आचार्य, महामंडलेश्वर और बड़े प्रशासनिक अफसर ठहरते हैं.
ये टेंट फ्लोर प्लाई और प्लास्टिक से बनता है. इसकी खासियत यह कि चाहें कितनी भी तेज बारिश हो इसमें बारिश की एक बूंद तक नहीं टपकती है. और अगर ठीक से कवर कर दिया जाए तो हवा भी नहीं आती है.
जैसा कि इसके नाम से ही जाहिर है ये विदेशी मेहमानों को खूब भाता है. यह प्लास्टिक का होता है और मैटिंग में शानदार कालीन लगी होती है. 20 बाई 20 का ये टेंट करीब 30 हजार की लागत से बनता है. अखाड़ों के श्रीमहंत, महंत और महामंडलेश्वर ऐसे ही टेंटों में ठहरते हैं.
ईपी टेंट देखने में तो स्वीस कॉटेज जैसा ही दिखता है. लेकिन इसमें मोटा कपड़ा और थोड़ी हल्की मैटिंग का इस्तेमाल होता है. इसमें राजपत्रित अफसर और मुख्य संत ठहरते हैं.
जैसा कि इसके नाम से जाहिर है यह साधारण परिवारों के लिए परफेक्ट है इसमें 8-10 लोग आराम से ठहर सकते हैं. लेकिन यह कथा प्रवचन के लिए भी खूब इस्तेमाल होता है. इसकी लागत 10 हजार रुपये आती है.
यह टेंट कपड़े का बना होता है जिसमें नीचे दरी बिछी होती है. इसमें फैमिली टेंट की अपेक्षा 15-20 लोग ठहर सकते हैं.
दरबारी टेंट की लागत बस 7-8 हजार रुपये आती है इसका कपड़ा दूसरे टेंटों के मुकाबल हल्की क्वालिटी का होता है. लेकिन इसमें 15-20 चारपाई या पलंग आ जाते हैं.
यह टेंट उन श्रद्धालुओं के लिए ठीक है जो स्नान करके ही लौट जाते हैं यह सबसे छोटा होता है, इसकी लागत भी ज्यादा नहीं होती है.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है.एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.