Ramcharitmanas row: मुंबई में संत रविदास (संत रोहिदास) की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम को आरएसएस प्रमुख ने किया संबोधित.
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Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत रविवार को मुंबई पहुंचे. यहां उन्होंने रामचरितमानस विवाद के बीच जातिवाद को लेकर बड़ा बयान दिया. भागवत ने कहा कि हमारे समाज के बंटवारे का फायदा उठाकर दूसरे देश ने आक्रमण किया और बाहर से आए लोगों ने इसका फायदा उठा लिया. उन्होंने कहा कि भगवान ने हमेशा बोला है कि हमारे लिए कोई जाति, वर्ण नहीं है. लेकिन पंडितों ने श्रेणी बांट दी है जो कि बहुत गलत था. देश में विवेक और चेतना सभी एक हैं. इसमें कोई भी अंतर नहीं है. बस सबका मत अलग-अलग है.
संत रविदास ने सभी के मन को जीता
वह रविवार को मुंबई में संत रविदास (संत रोहिदास) की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि संत रविदास, तुलसीदास, कबीर दास और सूरदास से ऊंचे थे. इसीलिए वह संत शिरोमणि थे. संत रविदास भले ही शास्त्रार्थ में ब्राह्मणों से ना जीत सके हो लेकिन उन्होंने सभी के मन को जीत लिया था और सभी को विश्वास दिलाया कि भगवान है. संत रविदास ने समाज को सत्य, करुणा, अंतर पवित्र, सतत परिश्रम और चेष्टा के मंत्र दिए थे. उन्होंने कहा था कि धर्म के अनुसार कर्म करो, पूरे समाज को जोड़ो, समाज के उन्नति के लिए काम करो. यही आपका धर्म कहता है. सिर्फ अपने बारे में सोचना और अपना पेट भरना ही धर्म नहीं है.
गुणी बनों और धर्म का पालन करो
मोहन भागवत ने कहा कि काशी का मंदिर टूटने के बाद शिवाजी महाराज ने औरंगजेब को पत्र लिखा और कहा कि हिंदू हो या मुस्लिम हम सभी ईश्वर के बच्चे हैं. यदि यह बात आप को अमान्य होगा तो उत्तर में आप से युद्ध करने के लिए आना पड़ेगा. समाज और धर्म को विद्वेष नजर से ना देखो, गुणी बनो और धर्म का पालन करो. संत रविदास ने कहा था कि लगातार कोशिश करते रहो एक दिन समाज जरूर बदलेगा. आज पूरी दुनिया में भारत को एक सम्मान से देखा जा रहा है.
भारत आगे चलकर बड़ा देश बने
उन्होंने कहा कि संत रविदास का नाम लेते ही उनका काम आगे लेकर जाने वाले महात्मा फूले, अंबेडकर का नाम याद आता है. संत रविदास ने जो काम अपने जीवन में किया था. वह समाज में समानता, समर सत्ता बनाने का है. हमारे हिंदू धर्म के अनुसार हमारा भारत देश आगे चलकर और बड़ा बने. पूरी दुनिया का कल्याण करें. आज हम ऐसी स्थिति में है कि यह सब सोच सकते है.