सीएम योगी आदित्यनाथ का घर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर के पंचूर में हैं. अब सीएम योगी के पौड़ी स्थित घर पर भतीजे की शादी होने वाली है तो योगी दो दिनों के लिए उत्तराखंड जा रहे हैं.
सीएम योगी आदित्यनाथ का मूल नाम अजय सिंह बिष्ट है. वह बेहद कम उम्र में ही घर त्याग संन्यास ले लिया था. महंत अवेद्यनाथ के शिष्य बनने के बाद नाथ संप्रदाय की पीठ गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर के पद पर सीएम योगी विराजमान हैं.
जानकारी के मुताबिक, सीएम योगी 22 साल की उम्र में ही संन्यास ले लिया था. इसके चार साल बाद ही सीएम योगी आदित्यनाथ महज 26 साल की उम्र में ही सांसद बन गए थे.
संन्यास लेने के बाद सीएम योगी ने कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाया, लेकिन उनके लाखों समर्थक और उन्हें मानने वाले लोग उनका जन्मदिन मनाते हैं.
बताया गया कि सीएम योगी चार भाई और तीन बहन समेत कुल 7 भाई बहनों में 5वें नंबर के हैं. सीएम योगी का जन्म जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौढ़ी गढ़वाल जिले के पंचूर गांव में हुआ.
सीएम योगी के पिता का नाम आनंद सिंह बिष्ट और माता का नाम सावित्री देवी है. शुरुआती शिक्षा दीक्षा पौड़ी में ही हुई. इसके बाद ग्रेजुएशन हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय से किया.
ग्रेजुएशन की पढ़ाई के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए गोरखपुर आ गए. उसी समय वह राम मंदिर के लिए हो रहे आंदोलन से जुड़ गए. साल 1993 में पढाई से उनका ध्यान भटका.
इसके बाद साल 1994 में गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ से दीक्षा लेकर वह योगी बन गए और सांसारिक जीवन को त्याग कर संन्यास ले लिया. तब उनकी उम्र 22 साल ही थी.
साल 1998 में महंत अवैद्यनाथ ने सीएम योगी को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. तब उनकी उम्र महज 26 साल थी. इसी समय वह लोकसभा का चुनाव भी लड़ गए. इसके बाद सबसे कम उम्र में सांसद बने.
साल 1999 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद वह 2004, 2009 और 2014 में चुनाव जीते. कुल पांच बार लोकसभा का चुनाव जीते. 2017 में जनसंख्या की लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बने.
बताया जाता है कि सीएम योगी 1993 में अपना घर छोड़कर गोरखपुर पहुंचे थे. यहां से संन्यास के 4 साल बाद वह अपने गांव पंचूर पहुंचे थे. संन्यासी के रूप में योगी आदित्यनाथ की यह पहली पहली यात्रा थी.
योगी की यह यात्रा परिवार को देखने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें एक संन्यासी जीवन का एक महत्वपूर्ण विधान पूरा करना था. वह था अपने माता-पिता से संन्यासी के रूप में भिक्षा लेने का. भिक्षा के रूप में उन्हें चावल, फल, और सिक्के मिले.
साल 14 जनवरी 1994 को दीक्षा लेने के बाद योगी की सभी क्रियाओं को पूरा कर वह 'योगी' बन गए. इसके बाद वह योगी आदित्यनाथ बन गए. उनके वस्त्र आजीवन भगवा रहने वाले थे.