मथुरा: स्कूल के बच्चों ने टीचर के लिए बना दिया कुर्सियों का पुल! सही या गलत पर छिड़ी बहस
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मथुरा: स्कूल के बच्चों ने टीचर के लिए बना दिया कुर्सियों का पुल! सही या गलत पर छिड़ी बहस

Mathura Kids made Bridge of Chairs: सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें आप देख सकते हैं कि एक सरकारी स्कूल में टीचर के लिए एक बच्चों ने कुर्सियों से पुल तैयार कर दिया. वीडियो वायरल हुआ तो सवाल खड़े होने लगे कि यह बच्चों का शिक्षक के प्रति आत्मसमर्पण है या फिर बच्चों पर किया गया जुल्म?

मथुरा: स्कूल के बच्चों ने टीचर के लिए बना दिया कुर्सियों का पुल! सही या गलत पर छिड़ी बहस

कन्हैयालाल शर्मा/मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक स्कूल के बच्चों का अपने टीचर के प्रति प्यार एक अनोखी तरह से देखने को मिला. छात्रों ने अपने टीचर के लिए पानी में कुर्सियों का पुल बना दिया. शिक्षक के प्रति छात्रों का यह आत्मसमर्पण चारों ओर चर्चा का विषय बना हुआ है और बच्चों के इस भाव की तारीफ भी खूब हो रही है. हालांकि, कुछ लोग इसे गलत भी बता रहे हैं. 

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बच्चों से बनवाया कुर्सियों का पुल
मामला बलदेव इलाके के ग्राम पंचायत दघेटा के प्राथमिक विधालय का है. यहां पर बारिश की वजह से स्कूल में पानी भर गया, लेकिन जब छुट्टी हुई तो विद्यालय की सहायक अध्यापिका के पद पर तैनात पल्लवी ने गंदे पानी के ऊपर से निकलने के लिए बच्चों से पानी मे कुर्सियां लगवा दीं और फिर कुर्सियों के ऊपर होकर निकल गईं.

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल
स्कूल में पानी से भरे गड्ढों के बीच कुर्सियों का पुल बनाकर टीचर की मदद करने का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद इस वीडियो को लेकर सब अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. कोई इसे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बता रहा है, तो कोई स्कूल में पढ़ाई पर सवाल उठा रहा है. वहीं, कई लोग इसे बच्चों का टीचर के प्रति आदर भाव बताकर इसकी तारीफ कर रहे हैं.

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प्राथमिक विद्यालय में हैं और अध्यापक
गौरतलब है कि बलदेव के गांव दघेटा के प्राथमिक विद्यालय में 7 टीचर हैं, जिसमें 4 महिला और 3 पुरुष शामिल हैं. लेकिन केवल पल्लवी ही इनमें से एक थीं, जो बच्चों द्वारा बनाए गए कुर्सियों के पुल से होकर निकलीं. 

बारिश के पानी से ग्रामीण भी परेशान
ग्रामीणों की ओर से भी जानकारी मिल रही है कि आए दिन जरा सी बारिश से स्कूल में पानी भर जाता है. इस वजह से बच्चों को स्कूल पहुंचने और बाहर निकलने में तो परेशानी होती ही है, साथ ही बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. ग्रामीणों का आरोप है कि इस ओर न तो ग्राम पंचायत ध्यान देती है और न ही कोई अधिकारी.

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