Land Allotment: मेला क्षेत्र में भूमि आवंटन का कार्य तीव्र गति से पूरा किया जा रहा है. अब तक 4,268 संस्थाओं को भूमि आवंटित की जा चुकी है, और शेष संस्थाओं का कार्य 31 दिसंबर तक पूर्ण कर लिया जाएगा. महाकुंभ क्षेत्र एक जनवरी 2025 तक पूरी तरह तैयार हो जाएगा.
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Allotment of Lands: महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं. आस्था के इस महायज्ञ में शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचेंगे. महाकुंभ के आयोजन को भव्य और व्यवस्थित बनाने के लिए मेला क्षेत्र में भूमि आवंटन का कार्य तीव्र गति से पूरा किया जा रहा है.
अब तक '4,268 संस्थाओं' को भूमि आवंटित की जा चुकी है, और शेष संस्थाओं का कार्य '31 दिसंबर' तक पूर्ण कर लिया जाएगा. इस बार महाकुंभ में '8,000 से 10,000 संस्थाओं' के आने की संभावना है.
अखाड़ों और संस्थाओं का भूमि आवंटन लगभग पूरा
जूना अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा, आवाहन अखाड़ा सहित सभी प्रमुख अखाड़ों को उनकी भूमि मिल चुकी है. साथ ही, महामंडलेश्वर, खालसा, दंडीवाड़ा, आचार्यवाड़ा और खाकचौक जैसे प्रमुख समूहों को भी भूमि आवंटित की जा चुकी है. प्रयागवाल और नई संस्थाओं को भूमि आवंटन का कार्य प्रगति पर है, जिसे '31 दिसंबर' तक पूरा करने का लक्ष्य है.
भूमि आवंटन की प्रक्रिया में तेजी
अब तक 19 अखाड़ों को भूमि आवंटित की गई है. महामंडलेश्वर को 460, खालसा को 750, दंडीवाड़ा को 203, आचार्यवाड़ा को 300 और खाकचौक को 300 भूखंड दिए गए हैं. अन्य संस्थाओं को 1,766 भूखंड आवंटित किए जा चुके हैं.
31 दिसंबर तक आवंटन कार्य पूर्ण
प्रयागवाल को अब तक 450 भूखंड दिए गए हैं, और शेष प्रक्रिया 12 से 31 दिसंबर के बीच पूरी होगी. नई संस्थाओं के लिए भूमि आवंटन का कार्य 16 दिसंबर से शुरू हुआ और इसे भी 31 दिसंबर तक पूरा किया जाएगा.
सजावट और निर्माण कार्य जोरों पर
जिन संस्थाओं को भूमि आवंटित हो चुकी है, वे अपनी परंपराओं के अनुसार टेंट लगाने और सजावट के कार्य में जुटी हैं. झूंसी क्षेत्र में अखाड़ों की छावनियां सजाई जा रही हैं. प्रशासन ने चेकर्ड प्लेटें बिछाने, साइनेज लगाने, और लाइटिंग जैसी बुनियादी सुविधाओं को पूरा करने में तेजी दिखाई है. जूना और आवाहन अखाड़े का छावनी प्रवेश हो चुका है, जबकि अग्नि अखाड़े का छावनी प्रवेश भी संपन्न हुआ है.
एक जनवरी तक होगा महाकुंभ क्षेत्र तैयार
भूमि आवंटन से लेकर सजावट तक के सभी कार्य 'एक जनवरी 2024' तक पूरे कर लिए जाएंगे. महाकुंभ 2025 न केवल आस्था का संगम होगा, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का भव्य प्रदर्शन भी करेगा.
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