UP News: कानपुर में भिखारी गिरोह का शिकार बना युवक प्रताड़ना को याद कर आज भी सिहर उठता है. उसे इस कदर प्रताड़ित किया गया कि उसकी आंखों की रोशनी चली गई और भला चंगा इंसान अपाहिज बन गया. जानिए पूरा मामला...
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कानपुर: कानपुर में भिखारी गैंग के शिकार युवक का मामला सामने आने के बाद से हड़कंप मचा हुआ है. पुलिस अभी तक गिरोह के सरगना तक नहीं पहुंच सकी है. वहीं, इस गिरोह का शिकार बना युवक प्रताड़ना को याद कर आज भी सिहर उठता है. बता दें कि उसे इस कदर प्रताड़ित किया गया कि उसकी आंखों की रोशनी चली गई और भला चंगा इंसान अपाहिज बन गया. कानपुर में मजदूरी की तलाश कर रहे युवक को भिखारी गैंग ने अपना शिकार बनाया था. दरअसल, नौबस्ता इलाके में रहने वाले सुरेश मांझी को विजय नाम के शख्स ने जाल में फंसाया था. उसने अपाहिज बना कर दिल्ली के एक गैंग के हवाले कर दिया.
रोजाना लगाया जाता था नशे का इंजेक्शन
आपको बता दें कि भिखारी गैंग उसे रोजाना नशे का इंजेक्शन लगाकर भीख मांगवाता था. नशे और दर्द का इंजेक्शन इसलिए लगाया जाता था कि वह 12 घंटे तक अपाहिजों वाली ट्राई साइकिल में बैठ सके. इसके अलावा उसे दर्द का एहसास ना हो सके. नशे के इंजेक्शन के चलते हैं उसकी आंखों की रोशनी चली गई. किसी तरीके से भिखारी गैंग के चंगुल से छूट कर वापस लौटे सुरेश मांझी का काशीराम ट्रामा सेंटर में इलाज चल रहा है. सुरेश मांझी का कहना है कि जिस इलाके में उसे रखा गया वहां पर झुग्गी झोपड़ी थी.
सुरेश माझी ने कहा
झोपड़ियों में उसके जैसे कई और लोगों को भी बंधक बनाकर रखा गया था. भिखारी गैंग के सदस्य उसे सुबह 3:00 बजे सुबह उन्हें उठा देता था और 4 बजे नशे और दर्द का इंजेक्शन देने के बाद ट्राई साइकिल पर बिठा कर देख मंगवाने के लिए निकल पड़ता था. उन्हें अलग-अलग स्थानों पर ले जाकर देख मंगवाई जाती थी. सुरेश माझी का कहना है कि वह एक दिन में 1000 से 3000 रुपये भीख में पा जाता था. वहीं, शाम को उसे महज एक रोटी खाने को दी जाती थी. कानपुर की अगर बात की जाए तो पिछले 7 सालों में 18 साल से कम उम्र के 102 नाबालिग में लापता हुए, जिनका कुछ भी पता नहीं चल सका.
सुरेश मांझी के भाई ने दी जानकारी
सुरेश माझी की दास्तान सामने आने के बाद ही आशंका जताई जा रही है. कहीं यह लोग भी भिखारी गैंग का शिकार तो नहीं हो गए. वहीं, अस्पताल में सुरेश मांझी का इलाज करा रहे उसके भाई दरोगा मांझी ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि उसके भाई का ऐसा हश्र करने वालों को कठोर से कठोर सजा मिलनी चाहिए. उनके लिए फांसी की सजा भी कम है. जब उन्हें भाई वापस मिला तो उसकी हालत देखकर वह उसे पहचान भी नहीं सके. उनका भाई 6 महीने पहले हट्टा-कट्टा नौजवान था, जो अब पूरी तरीके से अपाहिज नजर आता है. अब वह आंखों से देख नहीं सकता.
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