Naga Sadhu Diksha Rituals: प्रयागराज महाकुंभ में शनिवार को जूना अखाड़े की चारों मढ़ियों में नागा साधु बनाने की प्रक्रिया धर्मध्वजा के नीचे पुकार के साथ आरंभ हुई. नागा साधु बनने को इच्छुक साधुओं ने पुकार होने पर हाजिरी लगाई. गुरु के चरणों में दक्षिणा अर्पित की. आइए जानते हैं कि कैसे बनते हैं नए नागा साधु.
कुंभ नगरी प्रयागराज में शनिवार (18 जनवरी 2025) को नए नागा साधुओं के लिए 24 घंटे की तपस्या शुरु हुई. 48 घंटे लंबी प्रक्रिया के बाद इन साधुओं का नागा संस्कार पूरा होगा. जूना अखाड़े की 16 मढ़ी, 13 मढ़ी, 14 मढ़ी और चार मढ़ी में नागा बनने के इच्छुक साधुओं की पुकार हुई.
नागा साधु बनने के लिए कार्यवारी के पास अखाड़े के खाते में 5,100 रुपये की पर्ची भी कटाई 13 मढ़ी में सर्वाधिक करीब 300 साधुओं ने पर्ची कटाई. इसी तरह अन्य मढ़ियों में भी साधुओं ने पर्ची कटाई.
अब योग्य साधुओं को 24 घंटे की तपस्या करनी होगी. तपस्या पूरी होने के सभी साधु संगम तट पर ही मुंडन, जनेऊ और पिंडदान समेत अन्य संस्कार कराए जाएंगे. यह सभी प्रक्रिया पूरी होने में 48 घंटे लगेंगे. इसके बाद इन साधुओं की नागा दीक्षा पूरी होगी.
नागा साधु बनने की प्रक्रिया कठिन और लम्बी होती है. नागा साधुओं के पंथ में शामिल होने की प्रक्रिया में लगभग छह साल लगते हैं. इस दौरान नए सदस्य एक लंगोट के अलावा कुछ नहीं पहनते. कुंभ मेले में अंतिम संकल्प लेने के बाद वे लंगोट भी त्याग देते हैं और जीवन भर दिगंबर ही रहते हैं.
अखाड़ा अच्छी तरह जांच-परख कर योग्य व्यक्ति को ही प्रवेश देता है. पहले उसे लम्बे समय तक ब्रह्मचारी के रूप में रहना होता है, फिर उसे महापुरुष और फिर अवधूत बनाया जाता है. अंतिम प्रक्रिया महाकुंभ के दौरान होती है जिसमें उसका स्वयं का पिण्डदान और दण्डी संस्कार आदि शामिल होता है.
एक संन्यासी को नागा साधु बनाने की प्रक्रिया मौनी अमावस्या से पहले शुरू हो जाती है. परंपरा के अनुसार, पहले दिन मध्यरात्रि में एक विशेष पूजा की जाएगी, जिसमें दीक्षा ले चुके संन्यासी को उनके संबंधित गुरु के सामने नागा बनाया जाएगा. संन्यासी मध्यरात्रि में गंगा में 108 डुबकी लगाएंगे. इस स्नान के बाद, उनकी आधी शिखा (चोटी) काट दी जाएगी.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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