Gupt Navratri 2023: इस शुभ योग में शुरू हो रही है माघ गुप्त नवरात्रि, जानें घटस्थापना मुहूर्त और पूजा विधि
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Gupt Navratri 2023: इस शुभ योग में शुरू हो रही है माघ गुप्त नवरात्रि, जानें घटस्थापना मुहूर्त और पूजा विधि

Gupt Navratri 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार साल में 4 बार नवरात्रि आती हैं. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार बात करें तो साल 2023 की पहली गुप्‍त नवरात्रि 22 जनवरी से शुरू हो रही हैं. माघ गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ माघ शुक्ल प्रतिपदा से होता है, जो नवमी तिथि तक होती है.

Gupt Navratri 2023: इस शुभ योग में शुरू हो रही है माघ गुप्त नवरात्रि, जानें घटस्थापना मुहूर्त और पूजा विधि

Gupt Navratri 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्रि पर्व की शुरुआत होती है. इस साल 22 जनवरी 2023, रविवार से गुप्त नवरात्रि शुरू होगी और नौ दिन के दौरान मां दुर्गा के 9 अवतारों की आराधना की जाती है.  इस साल गुप्त नवरात्रि 22 जनवरी से 30 जनवरी तक रहेगी. गुप्त नवरात्रि को गुप्त साधना और विद्याओं की सिद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है.  इन 9 दिनों में मां भगवती की उपासना गुप्त रूप से की जाएगी.

सिद्धि योग में होगी गुप्त नवरात्रि आरंभ 
22 जनवरी को माघ गुप्त नवरात्रि का आरंभ सिद्धि योग में होगा. सुबह 10:06 बजे तक वज्र योग है और उसके बाद से सिद्धि योग लगेगा. सिद्धि योग अगले दिन यानि 23 जनवरी को प्रातः 05:41 बजे तक है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस योग में पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को सर्वाधिक लाभ मिलता है।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार कलश स्थापना 22 जनवरी को अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12:10 से 12:54 के बीच किया जाने का विधान है.

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साल में आती हैं 4 नवरात्रि

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, साल भर में कुल चार नवरात्रि आते हैं जिसमें से दो चैत्र और शारदीय और दो गुप्त नवरात्रि होती हैं. आषाढ़ मास में पड़ने वाले नवरात्रि को आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. 

होती है इन देवियों की पूजा
गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धुम्रावती, मां बंगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है. 

ऐसे करें नवरात्रि की पूजा 
सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें साफ सुथरे कपड़े पहनें. सभी पूजा-सामग्री को एकत्रित करें. एक मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोयें नवमी तक हर दिन इसमें पानी का छिड़काव करें. पूर्ण विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करें. इसके लिए पहले कलश में गंगा जल भरें. फिर उसके बाद कलश के मुख पर आम की पत्तियां लगाएं और ऊपर नारियल रखें. कलश को लाल कपड़े से लपेंटे और कलावे के माध्यम से उसे बांधें. अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें.

(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Upuk इनकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें)

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