Shaliza Dhami : भारतीय वायु सेना का महिला दिवस पर ऐतिहासिक फैसला, पहली बार किसी महिला को सौंपी फाइटर जेट की जिम्‍मेदारी
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Shaliza Dhami : भारतीय वायु सेना का महिला दिवस पर ऐतिहासिक फैसला, पहली बार किसी महिला को सौंपी फाइटर जेट की जिम्‍मेदारी

IAF Group Captain Shaliza Dhami:  इस महीने की शुरुआत में पहली बार सेना ने मेडिकल स्ट्रीम के बाहर महिला अधिकारियों को कमान सौंपने की शुरुआत की. इनमें से करीब 50 फॉरर्वर्ड सहित ऑपरेशनल एरियाज में यूनिट्स का नेतृत्‍व करेंगी

Shaliza Dhami : भारतीय वायु सेना का महिला दिवस पर ऐतिहासिक फैसला, पहली बार किसी महिला को सौंपी फाइटर जेट की जिम्‍मेदारी

IAF Group Captain Shaliza Dhami: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से ठीक एक दिन पहले भारतीय वायुसेना ने इतिहास में पहली बार किसी महिला को वेस्टर्न सेक्टर में फ्रंटलाइन कॉम्बैट यूनिट की कमान सौंपी है. ग्रुप कैप्‍टन शालिजा धामी वायुसेना में लड़ाकू इकाई की पहली महिला कमांडर होंगी.

2003 में बतौर पायलट नियुक्‍त 
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में पहली बार सेना ने मेडिकल स्ट्रीम के बाहर महिला अधिकारियों को कमान सौंपने की शुरुआत की. इनमें से करीब 50 फॉरर्वर्ड सहित ऑपरेशनल एरियाज में यूनिट्स का नेतृत्‍व करेंगी. यह नार्दर्न और ईस्‍टर्न दोनों कमान में होगा. ग्रुप कैप्‍टन शालिजा धामी 2003 में हेलीकॉप्‍टर पायलट के तौर पर नियुक्‍त हुई थीं. उनके पास 2800 घंटे से ज्‍यादा का फ्लाइंग एक्‍सपीरियंस है. वह एक क्‍वालीफाइड फ्लाइंग इंस्‍ट्रक्‍टर रही हैं. शालिजा वेस्‍टर्न सेक्‍टर में हेलीकॉप्‍टर यूनिट में फ्लाइट कमांडर के तौर पर सेवाएं दे चुकी हैं.

पंजाब के लुधियाना में हुआ जन्‍म 
भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्‍टन को आर्मी में कर्नल के समकक्ष माना जाता है. एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ की ओर से धामी को दो मौकों पर सम्मानित किया जा चुका है. अभी वह फ्रंटलाइन कमांड हेडक्‍वार्टर की ऑपरेशनंस ब्रांच में तैनात हैं. पंजाब के लुधियाना में जन्मीं धामी ने वर्ष 2003 में एचएएल एचपीटी-32 दीपक से पहली बार अकेले उड़ान भरी थी. इसी साल उन्हें भारतीय वायुसेना में एक फ्लाइंग ऑफिसर नियुक्त किया गया था. इसके बाद वर्ष 2005 में उन्हें फ्लाइट लेफ्टिनेंट और वर्ष 2009 में स्क्वाड्रन लीडर के रूप में पदोन्नत किया गया था.

देश को आजादी दिलाने में धामी के गांव का योगदान अहम 
शालिजा का जन्म पंजाब के लुधियाना में शहीद करतार सिंह सराभा गांव में हुआ था. इस गांव का नाम देश की आजादी में सराहनीय योगदान देने वाले शहीद के नाम पर रखा गया. शालिजा के माता-पिता सरकारी नौकरी करते थे. पिता हरकेश धामी बिजली बोर्ड में अधिकारी रहे और मां देव कुमारी जल आपूर्ति विभाग में रहीं. शालिजा की शुरुआती पढ़ाई सरकारी स्कूल से हुई और बाद में उन्होंने घुमार मंडी के खालसा कॉलेज से बीएससी की.

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