Election Commission : चुनाव आयोग ने देश में कागजों पर चले रहे 339 राजनीतिक दलों की मान्यता खत्म कर दी है. इसमें उत्तर प्रदेश में सक्रिय 110 दलों की लिस्ट शामिल है.
Trending Photos
Registered Political Parties : चुनाव आयोग (Election Commission) ने सिर्फ कागजों में चल रही सैकड़ों राजनीतिक पार्टियों की मान्यता रद्द कर दी है. साथ ही 200 से ज्यादा निष्क्रिय दलों को भी सूची से हटा दिया है. ऐसी 86 राजनीतिक पार्टियों की मान्यता निर्वाचन आयोग ने रद्द कर दी है. चुनाव आयोग ने रजिस्टर्ड लेकिन गैर मान्यता प्राप्त दलों की सूची से 253 निष्क्रिय हो चुके राजनीतिक दलों को भी हटा दिया है. 253 पंजीकृत अमान्यताप्राप्त राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई का असर मुख्यतया सात राज्यों पर पड़ा है.बिहार, दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से प्राप्त रिपोर्टों के आधार पर लिया गया है. इन 253 दलों ने नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया है. न तो राज्यों के विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में, न ही वर्ष 2014 और 2019 में लोकसभा सीट (Lok Sabha Election) पर कोई चुनाव नहीं लड़ा. इन पार्टियों के चुनाव चिह्न भी रद्द कर दिए गए हैं.
यूपी विधानसभा मानसून सत्र के पहले दिन सपा के धरना-प्रदर्शन को लेकर बवाल, कई विधायक हिरासत में
आयोग ने 86 ऐसे दलों को डीलिस्ट किया है, जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं मिला.न तो उन्होंने चुनाव लड़ा न ही दफ्तर या कहीं कोई पता ठिकाना है.निर्वाचन आयोग ने 253 पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों (RUPP) को निष्क्रिय घोषित किया है. उन्हें प्रतीक आदेश 1968 का लाभ उठाने से वर्जित किया. अनुपालन न करने वाले इन 339 (86 253) पंजीकृत अमान्यताप्राप्त राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने से 25 मई 2022 से ऐसा ऐक्शन झेलने वाली पार्टियों की संख्या बढ़कर 537 हो गई है. पंजीकृत अमान्यताप्राप्त राजनीतिक दलों को नियमों का पालन करने के लिए चुनाव आयोग ने कार्रवाई शुरू की थी.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार और निर्वाचन आयुक्त अनूप चन्द्र पाण्डेय की अगुवाई में भारत निर्वाचन आयोग ने बुधवार को 86 पंजीकृत अविद्यमान अमान्यताप्राप्त राजनीतिक दलों को सूची से हटा दिया. अतिरिक्त 253 पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों को निष्क्रिय घोषित किया गया. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29क के अंतर्गत सांविधिक अपेक्षाओं के अनुसार, प्रत्येक राजनीतिक पार्टी को अपने नाम, प्रधान कार्यालय, पदाधिकारियों, पते, पैन में किसी भी प्रकार के बदलाव की सूचना चुनाव आयोग को बिना किसी देरी के देनी होती है.
86 पंजीकृत अमान्यताप्राप्त राजनीतिक दल या तो संबंधित राज्यों/संघ राज्य-क्षेत्रों के संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारियों द्वारा किए गए प्रत्यक्ष सत्यापन के बाद या डाक प्राधिकारी से संबंधित पंजीकृत अमान्यताप्राप्त राजनैतिक दलों के निबंधित पते पर भेजे गए अवितरित पत्रों/नोटिसों की रिपोर्ट के आधार पर अविद्यमान पाए गए हैं. भारत निर्वाचन आयोग ने आदेश 25 मई 2022 और 20 जून 2022 के जरिए क्रमशः 87 RUPP और 111 RUPPs को सूची से हटा दिया था. इस तरह सूची से हटाए गए आरयूपीपी की संख्या कुल मिलाकर 284 हो गई थी.
चुनाव आयोग ने पाया कि ये दल न तो चुनाव लड़ रहे थे और न ही निर्वाचन प्रक्रिया में भाग ले रहा था.ऐसी पार्टियों द्वारा निर्वाचन लड़े बिना तमाम राजनीतिक सुविधाओं (छूट) का लाभ उठाया जा रहा था. यह चुनाव राजनीतिक दलों की भीड़ को भी बढ़ाता है. साथ ही मतदाताओं के लिए भ्रमित करने वाली स्थिति भी पैदा करता है. कई सारे दल वोट काटने और डमी प्रत्याशी उतारने के हथियार के तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं. चुनाव आयोग देखता है कि इन नियमों का पालन करना जरूरी है.
इन शर्तों का पालन करना जरूरी
1. पार्टी को अपने पंजीकरण के पांच साल के भीतर निर्वाचन आयोग द्वारा आयोजित निर्वाचन लड़ना चाहिए और उसके बाद निर्वाचन लड़ना जारी रखना चाहिए.
2. अगर पार्टी लगातार छह साल तक चुनाव नहीं लड़ती है, तो पार्टी को पंजीकृत पार्टियों की सूची से हटा दिया जाएगा.
3. पार्टियों को अपने सभी तरह के वित्तीय लेनदेन और राजनीतिक चंदे संबंधी जानकारी भी समय-समय पर देनी अनिवार्य होती है.
4. राजनीतिक पार्टियों को संविधान और सांगठनिक चुनाव भी तय नियमावली के तहत कराना चाहिए.
5. सियासी दलों को शीर्ष पदाधिकारियों के स्तर पर भी निर्वाचन प्रक्रिया का पूरा पालन करना होगा.
यूपी विधानसभा मानसून सत्र के पहले दिन ही हंगामा देखने को मिला