Diabetes के रोगियों में जानिए क्यों अधिक होता है हेपेटाइटिस का जोखिम, ऐसे करें बचाव
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Diabetes के रोगियों में जानिए क्यों अधिक होता है हेपेटाइटिस का जोखिम, ऐसे करें बचाव

शरीर में लगातार बढ़ता शुगर लेवल हमारे खतरे की घंटी है. इसका लेवल बढ़ने से हमारे शरीर में मोटापे का श‍िकार हो जाता है. इस वजह से शरीर में हार्ट से जुड़ी बीमार‍ियां भी हो सकती हैं. इसका अंदाजा आप ऐसे भी लगा सकते है कि हमारा शरीर थकावट महसूस करने लगता है.

Diabetes के रोगियों में जानिए क्यों अधिक होता है हेपेटाइटिस का जोखिम, ऐसे करें बचाव

Diabetes Prevention: शरीर में लगातार बढ़ता शुगर लेवल हमारे खतरे की घंटी है. इसका लेवल बढ़ने से हमारे शरीर में मोटापे का श‍िकार हो जाता है. इस वजह से शरीर में हार्ट से जुड़ी बीमार‍ियां भी हो सकती हैं. इसका अंदाजा आप ऐसे भी लगा सकते है कि हमारा शरीर थकावट महसूस करने लगता है. डायबिटीज के कारण हमें क‍िडनी की बीमारी, स्‍ट्रोक, हार्ट अटैक, डायब‍िटीज रेट‍िनोपैथी और हेपेटाइटिस का खतरा भी बढ़ जाता है. इसलिए आप ब्‍लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने का संकल्‍प लें.

अगर हम विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों की मानें तो विश्व में लगभग 42.2 करोड़ लोग डायबिटीज की गंभीर स्थिती के शिकार हैं. चौंकाने वाली बात ये है कि हर साल शुगर को रोगियों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है, जो काफी चिंताजनक है. बता दें कि जिन लोगों को डायबिटीज है, उनमें अन्य कई प्रकार की स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाते हैं. इसके अलावा उन रोगियों में डायबिटीज के मरीजों को हेपेटाइटिस का खतरा बढ़ जाता है.

आपको बता दें कि शुगर के मरीज के शरीर में की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है. ऐसे रोगी किसी भी तरह के वायरल इंफेक्शन और बैक्टीरियल इंफेक्शन की चपेट में आसानी से आ सकते हैं. अगर मरीज लंबे समय से डायबिटीज से पीड़ित है, तो उनमें गुर्दे का विकार होना स्वाभाविक है. ऐसे मरीज कई बार डायलिसिस पर होते हैं, जिन्हें डायबिटीज और हेपेटाइटिस दोनों होता है.

दरअसल, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी दोनों ही संक्रमित खून के कारण फैलते हैं, जबकि हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई दूषित खानपान के कारण हो सकता है. हेपेटाइटिस ए और ई किसी सामान्य व्यक्ति में उतना कॉमन न भी हो लेकिन डायबिटीज के मरीजों को आसानी से हो सकता है. इसे इंफेक्टेड हेपेटाइटिस कह सकते हैं.

अस्पताल में भर्ती मरीजों, डायलिसिस मरीजों को हेपेटाइटिस बी और सी का खतरा बहुत ज्यादा होता है, यानी जिन मरीजों में किसी भी तरह से ब्लड इंटिमेशन होता है, उनमें खून से ट्रांसफर होने वाला हेपेटाइटिस का वायरस पहुंच सकता है। जो सामान्य लिवर के मरीज होते हैं, उन्हें हेपेटाइटिस की ग्रेडिंग यानी रोग के स्तर व गंभीरता के मुताबिक कई दवाएं दी जाती हैं। इसलिए डायबिटीज की दवाएं भी बदलती रहती हैं, क्योंकि डायबिटीज की ज्यादातर दवाएं लिवर पर असर डालती है। ऐसे में अगर लिवर गड़बड़ है तो डायबिटीज की दवाएं साइड इफेक्ट्स भी कर सकती हैं.

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