Crime News: जिंदगी की एक-एक सांस के लिए जंग लड़ती रही मासूम, हुई मौत
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Crime News: जिंदगी की एक-एक सांस के लिए जंग लड़ती रही मासूम, हुई मौत

Etah News: एटा वीरांगना अवंतीबाई लोधी स्वशासी राज्य मेडिकल कॉलेज में बुखार पीड़ित चार वर्षीय मासूम बच्ची ऑक्सीजन के अभाव में दो घंटे तड़पती रही. गंभीर हालत होने पर उसे ऑक्सीन लगाई गई तो पाइपलाइन में लगा वॉल्व ही धोखा दे गया. जिसके बाद बच्ची को आगरा के लिए रेफर कर दिया गया, जहां मासूम की मौत हो गई. बता दें कि लगातार एक के बाद एक दो एंबुलेंस आईं, लेकिन दोनों में ऑक्सीन नहीं थी. तीसरी एंबुलेंस आने पर उसे आगरा भेजा गया.

Crime News: जिंदगी की एक-एक सांस के लिए जंग लड़ती रही मासूम, हुई मौत

धनंजय भदौरिया/एटा: क्या हो जब आपको जिंदगी की एक सांस ना मिले और तड़प-तड़प कर आपकी मौत हो जाए.  वह बेबसी और लाचारी क्या होती है वो शायद आप समझे या ना समझे यह आप पर है. यूपी के एटा से ऐसा ही दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है. जहां एक मासूम ने ऑक्सीजन के अभाव में तड़प-तड़प कर जान दे दी. पूरा मामला एटा वीरांगना अवंतीबाई लोधी स्वशासी मेडिकल कॉलेज का है.

मेडिकल कॉलेज के ऑक्सीजन पाइप लाइन ने दिया धोखा
आपको बता दें कि एटा वीरांगना अवंतीबाई लोधी स्वशासी राज्य मेडिकल कॉलेज में बुखार पीड़ित चार वर्षीय मासूम बच्ची ऑक्सीजन के अभाव में दो घंटे तड़पती रही. गंभीर हालत होने पर उसे ऑक्सीन लगाई गई तो पाइपलाइन में लगा वॉल्व ही धोखा दे गया. जिसके बाद बच्ची को आगरा के लिए रेफर कर दिया गया, जहां मासूम की मौत हो गई. बता दें कि लगातार एक के बाद एक दो एंबुलेंस आईं, लेकिन दोनों में ऑक्सीन नहीं थी. तीसरी एंबुलेंस आने पर उसे आगरा भेजा गया.

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निधौली कलां के नगला फकीर गांव का मामला
आपको बता दें कि थाना निधौली कलां के नगला फकीर गांव निवासी मुकेश कुमार की चार वर्षीय बेटी मन्नू को शनिवार सुबह इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया. जहां चिकित्सकों ने बुखार और निमोनिया बताया. सीनियर रेजीडेंट की अनुपस्थिति में जूनियर रेजीडेंट डॉ. शिवम ने उपचार शुरू किया. तभी अचानक बच्ची के मुंह से छाग निकलने लगा. जिसके बाद उसे ऑक्सीजन लगाया गया.

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108 एंबुलेंस में ही नहीं थी ऑक्सीजन
अफसोस, ऑक्सिजन लाइन का बॉल्व खराब होने की वजह से बच्ची को ऑक्सीजन नहीं मिली. काफी जोर आजमाइश करने के बाद उसे दूसरे बेड पर लिटाया गया. तब जाकर ऑक्सीजन मिल सकी. हालात गंभीर देख उसे रेफर कर दिया गया. जब उसे आगरा ले जाने के लिए 108 एंबुलेंस पहुंची, तो पता चला कि उसमें ऑक्सीजन ही नहीं थी. जिसके बाद दूसरी एंबुलेंस बुलाई गई. उसमें भी ठीक वही स्थिति थी. 

लापरवाही ने ले ली जान
दरअसल, ऐसी स्थिति में बच्ची दो घंटे तक बिना ऑक्सीजन के ही जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करती रही. नन्ही सी जान आखिर कब तक जिंदगी के लिए मौत से लड़ती. आखिर में वह आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में जिंदगी की जंग हार गई.

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