UP में बीएल संतोष ने दिया बीजेपी नेताओं को जीत का 6 मंत्र, टैक्सी और ट्रक ड्राइवर भी रणनीति में शामिल
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UP में बीएल संतोष ने दिया बीजेपी नेताओं को जीत का 6 मंत्र, टैक्सी और ट्रक ड्राइवर भी रणनीति में शामिल

UP news: लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी यूपी के विपक्षी दलों में बड़ी सेंधमारी कर सकती है. वहीं दूसरी ओर मिशन 80 के लिए पार्टी के संगठन महामंत्री ने 6 सूत्रीय रणनीति तैयार की है.

UP में बीएल संतोष ने दिया बीजेपी नेताओं को जीत का 6 मंत्र, टैक्सी और ट्रक ड्राइवर भी रणनीति में शामिल

विशाल सिंह/लखनऊ: लोकसभा चुनाव से पहले यूपी भाजपा ने बड़ी बैठक की है. रविवार को दो दिन तक चली बैठक का समापन हुआ. बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष ने प्रदेश बीजेपी के नेताओं को जीत का मंत्र दिया है. मीटिंग के दूसरे दिन बीएल संतोष ने प्रशिक्षण टोली को कई अहम निर्देश दिए हैं.मीटिंग में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी महामंत्री संगठन धर्मपाल और प्रदेश पदाधिकारी भी मौजूद है. बीएल संतोष ने फेरी वाले,दूध वाले और टिफिन वालों को जोड़ने का लक्ष्य दिया है. इससे पहले शनिवार को उन्होंने प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक में लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण का रोडमैप तैयार किया. 

बैठक के बाद नरेंद्र कश्यप मंत्री यूपी एवं प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी मोर्चा ने कहा है कि अगले दो महीने में विपक्ष के कई नेताओं की ज्वाइनिंग होगी. ओबेसी वर्ग के मौजूदा विधायक,पूर्व सांसद,पूर्व विधायकों को भाजपा में जगह मिलेगी. बताया जा रहा है कि अलग-अलग क्षेत्रों से मिशन 80 के लिए ओबीसी नेताओ की जॉइनिंग होगी. माना जा रहा है कि बीजेपी जाति समीकरण को बैलेंस करने के लिए पूर्वांचल और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा और बीएसपी के कई नेताओं को भगवा ब्रिगेड में शामिल कर सकती है.

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बीएल संतोष ने बनाया जीत का रोडमैप
1.लोकसभा चुनाव में सभी 80 सीटें जीतने के लिए अब बूथ पर जातीय समीकरण पर नजर
2.युवा, महिला, शिक्षक, ट्रक डाइवर, टैक्सी ड्राइवर, डिलीवरी मैन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और संविदा कर्मियों के बीच मौजूदगी
3.टैक्सी ड्राइवर और डिलीवरी मैन बड़ा वोट बैंक हैं, उन्हें जोड़ने के लिए अभियान
4.व्यापारियों, खिलाड़ियों, किसानों और समाज के विभिन्न वर्ग से संवाद
5.छोटे छोटे समूहों से संवाद स्थापित करें. उन्हें यह लगना चाहिए कि भाजपा केवल राजनीतिक दल नहीं बल्कि एक सामाजिक संगठन भी है. 
6.पार्टी के कार्यकर्ता की पहचान सिर्फ एक नेता के रूप में नहीं बल्कि सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी होनी चाहिए. 

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