यूपी निकाय चुनाव 2022: बीजेपी ने मुस्लिमों के बीच शुरू की सोशल इंजीनियरिंग, 85 फीसदी पसमांदा आबादी पर सीधी नजर
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यूपी निकाय चुनाव 2022: बीजेपी ने मुस्लिमों के बीच शुरू की सोशल इंजीनियरिंग, 85 फीसदी पसमांदा आबादी पर सीधी नजर

UP Municipal Elections 2022: ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम समाज के प्रदेश अध्यक्ष वसीम राईन ने बीजेपी की इस पहल का स्वागत किया है. 

यूपी निकाय चुनाव 2022: बीजेपी ने मुस्लिमों के बीच शुरू की सोशल इंजीनियरिंग, 85 फीसदी पसमांदा आबादी पर सीधी नजर

नितिन श्रीवास्तव/बाराबंकी: यूपी निकाय चुनाव 2022 (UP Municipal Elections 2022 ) और 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने मुस्लिमों के बीच भी सोशल इंजीनियरिंग की शुरुआत कर दी है. इसी क्रम में भाजपा पसमांदा मुस्लिम बुद्धिजीवी सम्मेलन करने जा रही है. बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा लखनऊ के क्राइस्टचर्च कॉलेज में आज इस सम्मेलन को आयोजित करेगा. माना जा रहा है कि इस सम्मेलन के जरिये बीजेपी पिछड़े और शोषण के शिकार 85 फीसदी पसमांदा मुस्लिम समाज को अपनी ओर खींचने की कोशिश करेगी.

ऐसे में भाजपा का यह दांव विपक्षी पार्टियों का सिरदर्द काफी बढ़ा सकता है, क्योकि पीएम मोदी भी इससे पहले पसमांदा मुस्लिमों के हक को लेकर कई बार बात कर चुके हैं. बाराबंकी जिले में ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम समाज के प्रदेश अध्यक्ष वसीम राईन ने बीजेपी की इस पहल का स्वागत करते हैं. वसीम राईन ने इसके लिये पीएम मोदी, सीएम योगी, संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का धन्यवाद भी किया.

बीजेपी के इस पहल की पसमांदा समाज ने किया स्वागत 
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के प्रदेश अध्यक्ष वसीम राइन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसमांदा मुस्लिमों को मुख्यधारा में लाने की जो सोच है, उसको लेकर बीजेपी आगे बढ़ रही है. जिसका हम पसमांदा समाज के सभी लोग स्वागत करते हैं.  उन्होंने कहा कि बाकी सेक्युलर पार्टियों की तरह बीजेपी ने पसमांदा मुसलमानों को सिर्फ एक वोटबैंक नहीं समझा हैं. बल्कि हमें मुख्यधारा में लाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि पार्टी, संगठन और सरकार में हमें हिस्सेदारी दी जा रही है. 

पसमांदा मुसलमानों को वोट बैंक के तौर पर किया गया इस्तेमाल 
वसीम राईन ने कहा कि देश में मुस्लिमों की जनसंख्या का 85 फीसदी हिस्सा पसमांदा मुसलमानों का है. बाकी 15 प्रतिशत मुस्लिम उच्च वर्ग से ताल्लुक रखते हैं. हमदलित और पिछड़े मुस्लिम माने जाते हैं.  हम सभी शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक आधार पर पिछड़े हैं. पीएम मोदी ने पसमांदा समाज के आरक्षण के लिये एक आयोग का भी गठन किया है. जिसके लिये हम उन्हें बार-बार धन्यवाद देते हैं. क्योंकि पहले सभी सेक्युलर दलों ने पसमांदा मुस्लिमों को केवल वोटबैंक की तरह इस्तेमाल किया है. उन्हें कहीं भी हिस्सेदारी नहीं दी है. 

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