Barabanki News: बाराबंकी के जिला महिला अस्पताल में गुरुवार को नवजात बच्चा बदलने को लेकर दो परिवार आमने-सामने आ गए. दरअसल, एक परिवार के बच्चे की मौत हो गई थी, जबकि दूसरे परिवार का बच्चा स्वस्थ है. अब हॉस्पिटल दोनों बच्चों का डीएनए टेस्ट करेगा. ताकि भ्रम दूर हो सके.
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नितिन श्रीवास्तव/बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी (Barabanki News) में जिला महिला अस्पताल में नवजात बच्चा बदलने (Newborns Changed) को लेकर दो परिवार आमने-सामने आ गये. इस दौरान दोनों परिवार के बीच जमकर बवाल हुआ. अस्पताल में उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब एक परिवार के बच्चे की मौत हो गई. जबकि दूसरे परिवार का बच्चा एकदम स्वस्थ था. डाक्टरों ने जब एक परिवार को उनके बच्चे की मौत की खबर दी, तो वह आक्रोशित हो गये. अस्पताल प्रशासन पर बच्चा बदलने का आरोप लगाने लगे. परिवार ने सीएमओ ऑफिस से लेकर नगर कोतवाली तक हंगामा किया. परिजन बच्चों के डीएनए टेस्ट की मांग पर अड़ गये. जिसके बाद अस्पताल प्रशासन दोनों बच्चों का डीएनए टेस्ट कराने जा रहा है, ताकि विवाद शांत कराया जा सके. वहीं दूसरा परिवार भी अस्पताल प्रशासन के फैसले से सहमत है. यानी कौन-सा बच्चा किसका है, यह फैसला अब डीएनए टेस्ट करेगा.
क्या है पूरा मामला?
पूरा मामला बाराबंकी जिला महिला अस्पताल से जुड़ा हुआ है. जहां हर्षिता वर्मा नाम की एक महिला फतेहपुर सीएचसी से रेफर होकर डिलिवरी के लिए आयी थी. उसे गीता देवी नाम की आशा बहू लेकर आई थी. हर्षिता के ऑपरेशन से पैदा हुए नवजात बच्चे को डाक्टरों ने एसएनसीयू (सिक न्यू बॉर्न चाइल्ड यूनिट) वार्ड में मशीन में रखने को कहा. परिजनों ने वैसा ही किया. डाक्टरों के मुताबिक, हर्षिता के बच्चे को सांस की नली में कुछ दिक्कत थी. ऐसे में परिजनों को आज सुबह लखनऊ रेफर करने की सलाह दी गई थी. जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई. इसकी जानकारी इलाज कर रहे डाक्टरों ने अपने आलाधिकारियों के साथ बच्चों के परिजनों को दे दी.
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अस्पताल प्रशासन पर बच्चा बदलने का लगाया आरोप
इसी बीच जिला महिला अस्पताल में जैदपुर से रेफर होकर नीलम देवी नाम की एक महिला का नवजात बच्चा वार्ड में भर्ती कराया गया. जिसकी खोपड़ी गोल नहीं थी. हालांकि, इलाज के बाद अब पूरी तरह से स्वस्थ है. वहीं, हर्षिता वर्मा के बच्चे की मौत के बाद उसके परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन ने बच्चे को बदल दिया है. हर्षिता वर्मा के परिजन जीवित बच्चे को अपना बताने लगे. बच्चा बदलने की बात को लेकर हंगामा करना शुरू कर दिया. हर्षिता का कहना है कि उनका बच्चा कल रात में पैदा हुआ था और वह एकदम स्वस्थ था.
बच्चों का होगा DNA टेस्ट
अस्पताल प्रशासन पर बच्चा बदलने का आरोप लगाकर हर्षिता के पति और बाकी परिजनों ने बाराबंकी सीएमओ ऑफिस से लेकर नगर कोतवाली तक हंगामा किया. दोनों बच्चों के डीएनए टेस्ट की मांग पर अड़ गये. जिसके बाद अस्पताल प्रशासन अब बच्चों का डीएनए टेस्ट कराकर परिजनों के भ्रम को खत्म करने की बात कह रहा है. वहीं, जैदपुर से आये नीलम देवी के बच्चे के साथ उसके पति विक्रम और आशा बहू रीता देवी भी डीएनए टेस्ट कराने की बात पर सहमत हैं. उनका कहना है कि डीएनए टेस्ट हो जाये, जिससे उनका बच्चा उन्हें मिल सके.
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अस्पताल के डॉक्टर ने दिया बयान
वहीं, अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात डाक्टर एम.ए. खान ने बताया कि जिला महिला चिकित्सालय के एसएनसीयू वार्ड में सुबह 10:55 बजे हर्षिता नाम की महिला का एक बच्चा भर्ती किया गया था. जिसकी सांस नली में कुछ दिक्कत थी और उसे झटके भी आ रहे थे. डॉक्टर ने बताया कि बच्चा रात में पैदा हुआ था. रात भर चले उसके इलाज के बाद जब उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ तो उनके परिजनों को बच्चे को लखनऊ रेफर करने की जानकारी दी गई. जिसके बाद उसके परिजन बच्चा बदलने की बात कहकर बवाल करने लगे. जबकि नीलम देवी का बच्चा जो जैदपुर से इलाज के लिये भर्ती किया गया था, उसे वह लोग अपना बताने लगे. इस दौरान हर्षिता के बच्चे की सुबह करीब 11:55 बजे मौत हो गई. जबकि उसके परिजन नहीं मान रहे हैं. ऐसे में दोनों बच्चों का डीएनए टेस्ट कराया जाएगा. जिससे यह भ्रम की स्थिति खत्म हो सके. साथ ही विधिक कार्रवाई के लिये नगर कोतवाली को सूचना दे दी गई है.
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