मथुरा का सबसे फेमस टेंपल बांके बिहारी मंदिर है. यह वृंदावन में भगवान कृष्ण को समर्पित हिंदू मंदिर है. यह मंदिर वृंदावन के ठाकुर के 7 मंदिरों में से एक है. इसमें श्री राधा वल्लभ जी, श्री गोविंद देव जी समेत चार अन्य मंदिर हैं. बांके बिहारी मंदिर की इमारत राजस्थान शैली में बनाई गई है.
बांके बिहारी मंदिर में भगवान कृष्ण की छवि एक बच्चे के रूप में दिखाई देती है. यह मूर्ति त्रिभंगा स्थिति में खड़ी दिखाई देती है. खास बात यह है कि इस मंदिर में कोई घंटी या शंख नहीं है. भगवान को इन वाद्ययंत्रों की आवाज पसंद नहीं है.
प्रेम मंदिर का निर्माण साल 2001 में जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज ने करवाया था. इसे भगवान का प्रेम मंदिर भी कहा जाता है. यह मंदिर राधा कृष्ण के साथ-साथ सीता राम को भी समर्पित है. प्रेम मंदिर पवित्रता और शांति से आच्छादित है. यहां आरती के समय भक्तों की सबसे ज्यादा भीड़ होती है.
वृंदावन के बाहरी इलाके में स्थित यह मंदिर 54 एकड़ के परिसर में है. यह मंदिर श्री कृष्ण की कई आकृतियों के कारण अद्वितीय है जो उनके पवित्र परिवेश के आसपास की महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाती हैं.
नंद गांव बरसाना से करीब 8 किलोमीटर और मथुरा शहर से 50 किमी दूर स्थित है. यह नंदीश्वर पहाड़ी की तलहटी में स्थित एक विचित्र शहर है. इस पहाड़ी का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, नंद गांव में भगवान कृष्ण के पालक माता-पिता का घर था.
राधा कुंड पवित्र गोवर्धन पर्वत की तलहटी में पूजनीय स्थल है. यह जल निकाय भगवान कृष्ण की पत्नी राधा को समर्पित है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान कृष्ण ने राक्षस अरिस्टासुर को मारने के अपने पाप को धोने के लिए एक कुंड बनाया था जिसे श्याम कुंड कहा जाता है. देवी राधा ने अपनी झील बनाई जिसे राधा कुंड के नाम से जाना जाता है. इसे भगवान कृष्ण ने पवित्र किया था.
विश्राम घाट, जंक्शन रोड से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर है. विश्राम घाट मथुरा में घूमने के लिए सबसे बेहतरीन जगहों में से एक है. जैसे की नाम से ही लग रहा है कि विश्राम का मतलब आराम करना. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, कंस को हराने के बाद भगवान कृष्ण ने यहीं पर विश्राम किया था.
वृंदावन में ही भूतेश्वर महादेव का मंदिर है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. यह शक्तिपीठों में से एक है. यहां माता सती के शरीर के नष्ट होने के बाद उनकी अंगूठी गिरी थी. आमतौर पर मथुरा में स्थित अधिकांश मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित हैं, हालांकि यह एक अपवाद है.
मथुरा संग्रहालय की स्थापना साल 1874 में हुई थी. पहले इसे कर्जन पुरातत्व संग्रहालय के नाम से जाना जाता था. यह संग्रहालय पुरातत्वविदों द्वारा की गई खोजों को प्रदर्शित करता है. यह शोध, अध्ययन और विरासत के संरक्षण के लिए एक प्रमुख केंद्र है.
इन सबके अलावा मथुरा-वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली, इस्कान टेंपल, माता वैष्णो देवी मंदिर, रंगनाथ मंदिर, निधिन वन और पागल बाबा का मंदिर भी है. इन मंदिरों को भी घूम सकते हैं.
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