लोकसभा 2024 को लेकर अभी से सियासी शतरंज की चाहें तय की जा रही हैं. सपा ने जाति जनगणना का दांव चला तो केशव प्रसाद मौर्य अब ओबीसी को राष्ट्रवादी बताकर सपा में सेंध की कोशिश कर रहे हैं. सवाल है कि 2024 में किसकी नैया पार लगाएंगे ओबीसी मतदाता?
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लखनऊ : यूपी में पिछले 8 साल से दो लोकसभा और दो विधानसभा चुनाव में बुरी तरह मात खा चुकी समाजवादी पार्टी ने मिशन 2024 की रणनीति साफ कर दी है. सपा ने यूपी में 55 फीसदी के करीब आबादी वाले पिछड़ा वर्ग पर पूरी तरह दांव खेलने का मन बना लिया है. कोलकाता में सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में तय हुआ है, पार्टी जाति जनगणना के मुद्दे पर बीजेपी को घेरेगी. बताया जा रहा है कि सपा के ये रणनीति ओबीसी वोटबैंक को साधने की रणनीति का हिस्सा है. पार्टी ने 80 में से 50 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है. 2022 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने पिछड़ा वर्ग पर सबसे अधिक जोर दिया था. इसकी मदद से पार्टी को 32 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 111 विधानसभा सीटों पर जीत भी मिली थी. सपा की इस सियासी चाल से राज्य की चुनावी शतरंज की बिसात को व्यवहारिक रूप से ध्रुवीय राजनीति में बदल दिया था.
जाति जनगणना के जरिए 2017 विधानसभा चुनाव के मुकाबले पार्टी ने उत्तर प्रदेश में अपनी सीटों की संख्या दोगुनी से ज्यादा कर ली थी. अब 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का लक्ष्य 50 सीटों पर जीत का परचम लहराना है. बताया जा रहा है कि पार्टी कमजोर सीटों पर अन्य दलों के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन करेगी.
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उधर बीजेपी हर हाल में सपा के ओबीसी वोट बैंक पर सेंध लगाना चाहती है. 19 मार्च को कानपुर में बीजेपी ओबीसी वर्ग की प्रान्तीय कार्यसमिति की बैठक हुई. इस मीटिंग में शिरकत करने पहुंचे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ''यादव जितना जातिवादी उतना राष्ट्रवादी है, 2024 में बीजेपी का साथ देगा. पूरा देश पीएम मोदी के साथ खड़ा है''
उन्होंने कहा कि "2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में 80 में 80 सीट जीत कर लाएंगे. इस बार पिछड़ा मोर्चा बहुत फायदे में है. यादव जितना जातिवादी है, उतना ही राष्ट्रवादी है. OBC के सबसे बड़े नेता नरेंद्र मोदी हैं. 2024 में कांग्रेस का बुरा हाल होगा."
क्या कहता है सियासी समीकरण
2019 के दौरान हालांकि सपा का ओबीसी और मुस्लिम गठजोड़ टूटता नजर आया. लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन किया था. इस गठबंधन के तहत सपा ने 37 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन उसकी झोली में सिर्फ पांच सीट ही आई.
केशव प्रसाद मौर्य ने संभाला मोर्चा
फिलहाल बीजेपी नेतृत्व ने भले ही जातिगण जनगणना चुप्पी साध रखी है. लेकिन यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य खुद ओबीसी से ताल्लुक रखते हैं. ऐसे में पार्टी ने उन्हें ही इस मुद्दे पर विपक्ष को घेरने की जिम्मेदारी सौंपी है. मौर्य का बयान इसलिए मायने रखता है, क्योंकि प्रदेश में कई ऐसी ओबीसी पार्टियां हैं, जो बीजेपी को समर्थन तो दे रही हैं, लेकिन जातिगत जनगणना की मांग भी कर रही हैं. इनमें निषाद पार्टी के साथ-साथ सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) भी शामिल हैं, जो दोबारा बीजेपी के करीब आ रही हैं.
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