सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 'अजन्मे' बच्चे को मिला नया जीवन, अविवाहित लड़की नहीं मिली गर्भपात की इजाजत
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 'अजन्मे' बच्चे को मिला नया जीवन, अविवाहित लड़की नहीं मिली गर्भपात की इजाजत

सर्वोच्च न्यायालय ने एक मामले में 20 साल की अविवाहित लड़की को गर्भपात की इजाजत नहीं दी है. जानिए क्या थी लड़की की मांग और किस आधार पर कोर्ट ने दी ऐतिहासिक सलाह

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 'अजन्मे' बच्चे को मिला नया जीवन, अविवाहित लड़की नहीं मिली गर्भपात की इजाजत

लखनऊ : 29 हफ्ते के अवांछित गर्भ को गिराने को लेकर एक 20 साल की इंजीनियरिंग छात्रा ने सर्वोच्च न्यायाल में अर्जी दायर की. एम्स की रिपोर्ट में भ्रूण के स्वस्थ होने का हवाला देते हुए इस हालत में गर्भपात नहीं करने की सलाह दी गई. न्यायालय के दखल के बाद लड़की बच्चे को जन्म देने के लिए तैयार हो गई है. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि सामाजिक दबाव के चलते लड़की के घरवाले तो बच्चे को अपनाने के लिए तैयार नहीं है, लेकिन एक परिवार बच्चे को गोद लेने के लिए तैयार हो गया है. इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने एम्स और  महिला बाल विकास मंत्रालय को बच्चे का सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित कराने का आदेश दिया. साथ ही कहा कि बच्चे को जन्म के बाद सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता की ओर से सुझाए गए माता-पिता को सौंप दिया जाए.

इंजीनियरिंग की छात्रा का कहना था कि उसे गर्भवती होने की जानकारी 7 महीने बाद मिली. अविवाहित होने के चलते वो गर्भपात कराना चाहती है. एम्स के मेडिकल बोर्ड की ओर से कोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया कि इस स्टेज पर सर्जरी ऑपरेशन के बाद बच्चे के गर्भ से बाहर जीवित  ही आने की संभावना है. ऐसे में उसे नवजात शिशु गृह में रखना होगा. ऐसे में गर्भपात की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी असमंजस में पड़ गया.

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एक दंपत्ति बच्चे को लेगा गोद

गुरुवार को हुई सुनवाई में एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया गया कि लड़की बच्चे को जन्म देने और उसे गोद के लिए तैयार है. हालांकि सामाजिक दबाव के चलते लड़की के घरवाले बच्चे को नहीं अपनाना चाहते लेकिन एक दंपत्ति इसके लिए तैयार है. सुनवाई में मौजूद एसजी तुषार मेहता ने भी बताया कि एक दंपत्ति जिसके नाम का खुलासा वो नहीं करना चाहते,बच्चे को गोद लेने का तैयार है. वह आश्वस्त है कि इस दंपत्ति के पास बच्चे की ठीक से परवरिश हो पाएगी. इस दंपत्ति का CARA(सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स ऑथोरिटी) में पहले से पंजीयन भी है.

एएसजी ने क्या कहा
लड़की के अधिवक्ता की तरफ से  कहा गया है कि लड़की मानसिक रूप से टूट गई है. वह फोन पर भी किसी से बात नहीं कर रही. गर्भवती होने के चलते उसने हॉस्टल छोड़ दिया है और उन्हें डर है कि ऐसी मानसिक हालत में वह कोई गलत कदम उठा सकती है. इस पर एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि यदि आवश्यकता पड़े तो वह लड़की को अपने घर पर रखने के लिए तैयार है. एसजी तुषार मेहता ने भी सर्वोच्च न्यायालय को आश्वस्त किया कि महिला और बाल विकास मंत्रालय लड़की और बच्चे का ध्यान रखेगा.

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