Election Result 2023: देश में मुस्लिमों का रहनुमा बनने चले ओवैसी तेलंगाना में अपना किला क्यों नहीं बचा पाए, जानें 5 वजहें
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Election Result 2023: देश में मुस्लिमों का रहनुमा बनने चले ओवैसी तेलंगाना में अपना किला क्यों नहीं बचा पाए, जानें 5 वजहें

Telangana Election Result 2023: तेलंगाना विधानसभा चुनाव नतीजों (Telangana Election Results 2023) में कांग्रेस पार्टी का दबदबा बरकरार है. कांग्रेस पार्टी का सत्ता में आना तय लग रहा है.

 

Asaduddin owaisi (File)

Telangana Assembly Elections 2023 News: तेलंगाना में केसीआर को लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने की उम्मीद थी, लेकिन कांग्रेस ने उनका यह सपना तोड़ते हुए बहुमत हासिल कर लिया. वहीं केसीआर के सहयोगी रहे असदुद्दीन ओवैसी, जो देश में खुद को मुस्लिम का रहनुमा बनना चाहते हैं, वो अपने किले को ही नहीं बचा पाए. ओवैसी महज सात सीटों पर सिमट गई. बिहार के सीमांचल में पांच सीटें जीतने के बाद ओवैसी ने लगातार दूसरे राज्यों में पैर पसारने की कोशिश की है, लेकिन उसे यूपी जैसे कई राज्यों में मुंह की खानी पड़ी है.

ओवैसी ने नौ सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारा था. माना जा रहा था खंडित जनादेश आया तो असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM किंगमेकर की भूमिका में रह सकती है. यानी ओवैसी तेलंगाना की सियासत में तुरुप के इक्का साबित हो सकते हैं? लेकिन बीजेपी ने खुद आठ सीटें जीतकर एआईएमआईएम को चौथे स्थान पर धकेल दिया. ओवैसी की धमक हैदराबाद की राजनीति में काफी समय से है. ओवैसी के पिता 6 बार हैदराबाद से जीते हैं.

तेलंगाना विधानसभा चुनाव परिणाम 2023

कुल सीटें-119

कांग्रेस-64
BRS-39
AIMIM-7
BJP-8
OTH-1

जनादेश के लिए धन्यवाद देता हूं- मल्लिकार्जुन खड़गे
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, मैं तेलंगाना के लोगों को हमें मिले जनादेश के लिए धन्यवाद देता हूं. मैं उन सभी को भी धन्यवाद देता हूं जिन्होंने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हमें वोट दिया. इन तीन राज्यों में हमारा प्रदर्शन निस्संदेह निराशाजनक रहा है, लेकिन दृढ़ संकल्प के साथ, हम इन तीन राज्यों में खुद को पुनर्निर्माण और पुनर्जीवित करने के अपने मजबूत संकल्प पर काम करेंगे. 

कांग्रेस की जीत का जश्न

कांग्रेस तेलंगाना में बड़ी जीत का जश्न मना रही है, पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख रेवंत रेड्डी ने हैदराबाद में रोड शो किया. रेवंत रेड्डी सीएम पद की दौड़ में सबसे आगे हैं. 

इन 9 सीटों पर चुनावी मैदान में AIMIM
बता दें कि AIMIM के अभी 7 विधायक हैं. ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) तेलंगाना विधानसभा चुनाव में 9 सीटों पर चुनावी मैदान में भाग्य आजमा रही है. इनमें से 7 सीटें ओल्ड हैदराबाद के इलाके की हैं.  बता दें कि ओल्ड हैदराबाद की 7 सीटों पर पहले भी AIMIM चुनाव लड़ती रही है, लेकिन इस बार कुल मिलाकर 9 सीटों पार्टी ने अपने प्रत्याशी उतारे हैं. तेलंगाना में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस और ओवैसी के बीच जमकर जुबानी जंग हुई थी. जनसभाओं में कांग्रेस के नेता और ओवैसी एक-दूसरे पर हमले करते हुए देखे गए. 

ओवैसी बन सकते हैं किंगमेकर
तेलंगाना विधानसभा में 119 सीटें हैं और यहां बहुमत का आंकड़ा 60 था. कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए किसी की जरूरत नहीं पड़ेगी. कांग्रेस के साथ न तो बीजेपी और न ही ओवैसी के साथ आने की संभावना है. 

ओवैसी के पिता 6 बार हैदराबाद से जीते
ओवैसी के पिता सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी हैदराबाद की लोकसभा सीट से कुल 6 बार सांसद चुने गए. साल 2004 में पिता की राजनीतिक विरासत बेटे असदुद्दीन ओवैसी ने संभाली. वह मौजूदा समय  में भी हैदराबाद की लोकसभा सीट से सांसद हैं. रंगारेड्डी, निर्मल, विकाराबाद, निजामाबाद, जहीराबाद और सेलिनापल्ली भी AIMIM का गढ़ माना जाता है. इन सभी सीटों पर ओवैसी और उनकी परिवार के सदस्‍य विधायक हैं. हैदराबाद के मुस्लिम मतदाताओं पर ओवैसी की जबरदस्त पकड़ है.

45 सीटों पर ओवैसी का प्रभाव
ओवैसी की पार्टी का राज्‍य में सत्‍ताधारी दल बीआरएस से गठबंधन है. राज्‍य की 119 सीटों में से 45 सीट ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोट बैंक का रुझान काफी मायने रखता है.ओवैसी पहले ही लोगों से ये अपील कर चुके हैं कि जिन सीटों पर एआईएमआईएम चुनाव नहीं लड़ रही है, वहां मुस्लिम मतदाता बीआरएस को वोट दें. यही कारण है कि कांग्रेस ने तेलंगाना विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान एआईएमआईएम को जमकर निशाना बनाया. 

2018 विधानसभा चुनाव में स्थिति
तेलंगाना में 2018 विधानसभा चुनाव में ओवैसी की AIMIM को 7 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं BJP को तब महज 1 सीट से समझौता करना पड़ा था, जबकि 2013 के चुनाव में BJP के पास 5 सीट.

नौ साल से सत्ता में KCR
साल 2014 में तेलंगाना राज्य अस्तित्व में आने के बाद BRS (पहले टीआरएस) सत्ता में है. राज्य के पहले विधानसभा चुनाव में बीआरएस ने 63 सीटों पर जीत हासिल की थी. केसीआर मुख्यमंत्री बने थे. तब से वे राज्य के मुख्यमंत्री हैं. पहला कार्यकाल पूरा होने से 9 महीने पहले ही केसीआर ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और विधानसभा को भंग करवाया. फिर 2018 के विधानसभा चुनाव में BRS को बहुमत मिला. इस चुनाव में पार्टी को 88 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस ने 19, जबकि AIMIM ने 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

कांग्रेस ने बढ़ाईं ओवैसी की मुश्किलें
Congress ने ओवैसी को उनके घर में ही घेरने के लिए जबरदस्त तरीके से सियासी चक्रव्यूह रचा. 
ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ कांग्रेस ने भी मुस्लिम नेताओं पर दांव खेला. 
कांग्रेस ने हैदराबाद की सीटों पर अपनी पूरी ताकत झोंकी.
बीजेपी ने तेलंगाना में हिंदुत्व का एजेंडा सेट करने की कोशिश की और उसके लिए ओवैसी को टारगेट किया. 
बीजेपी ने जितना आक्रमक प्रचार किया, उससे ओवैसी को मुस्लिम वोटों को अपने पक्ष में करना का मौका मिल गया.

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बिहार विधानसभा चुनाव में पांच सीटों पर विजय पताका
वहीं ,ओवैसी ने बिहार विधानसभा चुनाव में पांच सीटों पर विजय पताका फहराई थी और 1.25 फीसदी वोट बटोरने में कामयाब हो गए थे, जिसके बाद से वह अधिकतर राज्यों में अपनी धाक बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं.

यूपी में 100 सीटों पर प्रत्याशी उतारे
वहीं उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2021 में ओवैसी की पार्टी ने यूपी की 403 विधानसभा सीटों में से 100 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. यहां एआईएमआईएम को 1% से भी कम वोट मिले और एक उम्मीदवार के सिवाय कोई अपनी जमानत तक नहीं बचा पाया. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में 20 फीसदी मुस्लिम आबादी है. 

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