Sambhal Ka Itihaas: इन दिनों संभल खूब सुर्खियों में है. यह शहर शासकों और सम्राटों का घर माना जाता है. ऐसे में आज हम जानेंगे यूपी के इस जिले का इतिहास क्या है? साथ ही यह भी जानेंगे कि आखिर इस शहर का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
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Sambhal Ka Itihaas: यूपी का वो शहर, जिसे शासकों और सम्राटों का घर कहा जाता है. यह शहर जितना इन दिनों चर्चाओं में है, उतना ही इसका इतिहास भी समृद्ध है. लोदी से लेकर मुगलों तक, 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 16वीं शताब्दी तक, यह किसी न किसी सम्राट के शासन के अधीन रहा है. वह शहर है संभल. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हस्तशिल्प उत्पादों के मामले में फेमस यह शहर 28 सितंबर, 2011 को उत्तर प्रदेश के तीन नए जिलों में से एक के तौर पर सामने आया. कहा जाता है कि सतयुग में इस जगह का नाम सत्यव्रत था, त्रेता में महदगिरि, द्वापर में पिंगल और कलयुग में संभल नाम से मशहूर है.
संभल में बनने वाले हस्तशिल्प उत्पाद देश-विदेश में काफी फेमस हैं. यहां निर्मित किए जाने वाले हॉर्न-बोन उत्पाद विदेशों में निर्यात भी किए जाते हैं. यहां के कारीगरों को विश्व स्तर पर बेहतरीन सजावटी सामान के उत्पादन के लिए जाना जाता है. यहां के हस्तशिल्पियों की बनाई गई शानदार ज्वेलरी को सात समंदर पार विदेशी भी पसंद करते हैं, क्योंकि ये कम दाम में आकर्षक दिखते हैं. संभल की हड्डी-सींग के डेकोरेशन से बनने वाली तमाम ज्वेलरी दुनिया भर में मशहूर है.
शासकों और सम्राटों का घर
5वीं शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान, सम्भल पांचाल शासकों का घर था. इसके बाद राजा अशोक के साम्राज्य का एक हिस्सा बना. ऐसा कहा जाता है कि 12वीं शताब्दी के दौरान, संभल में दिल्ली के अंतिम हिंदू शासक पृथ्वीराज चौहान ने दो भयंकर युद्ध लड़े थे. दोनों ही गाजी सैयद सालार मसूद के खिलाफ थे. आपको बता दें, गाजी सैयद सालार मसूद गजनी साम्राज्य के शासक महमूद गजनी का भतीजा था. पहले युद्ध में चौहान ने जीत हासिल की. वहीं, दूसरे युद्ध में इसके विपरीत हुआ. हालांकि, इसे साबित करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है. जिसकी वजह से इसे एक किंवदंती के रूप में माना जाता है.
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कैसा है संभल का इतिहास?
रिपोर्ट्स की मानें तो 14 वीं शताब्दी की शुरुआत में दिल्ली के पहले मुस्लिम सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक ने संभल पर कब्जा किया और उसे अपने साम्राज्य में शामिल कर लिया. इसके बाद, संभल में एक हिंदू शासक ने उसके कई आदमियों की हत्या कर दी. इससे नाराज होकर दिल्ली के दूसरे सुल्तान फिरोज शाह तुगलक ने संभल शहर पर हमला कर दिया. फिर हिंदू शासक की सेना को हराने और उसे गुलाम बनाने के लिए वहां मुस्लिम शासन लागू कर दिया. वहीं, 15वीं शताब्दी ईसा पूर्व में लोदी साम्राज्य के दूसरे शासक सिकंदर लोदी ने संभल को अपने विशाल साम्राज्य की राजधानी बनाया, जो चार साल तक रही. जब लोघी साम्राज्य का अंत हुआ तो बारी मुगलों की आई. यह जगह राजधानी बनने के लिए एकदम ठीक थी.
संभल से मुगलों का कनेक्शन
रिपोर्ट्स की मानें तो संभल में पहले मुगल शासक बाबर ने पहली बाबरी मस्जिद बनवाई थी, जिसे आज भी एक ऐतिहासिक स्मारक माना जाता है. बाद में उसने अपने बेटे हुमायूं को संभल का गवर्नर बनाया. फिर हुमायूं ने अपने बेटे अकबर को शासन सौंप दिया. ऐसा कहा जाता है कि अकबर के शासन में संभल का विकास हुआ था, लेकिन बाद में जब अकबर का बेटा शाहजहां यहां का प्रभारी बना तो इसकी लोकप्रियता कम हो गई. भले ही संभल एक छोटा सा शहर है, लेकिन पर्यटन के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है. मंदिर हो या मस्जिद या फिर कोई दूसरी ऐतिहासिक इमारतें यह शहर एक समृद्ध इतिहास को अपने भीतर समेटे हुए है.