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मुगल बादशाहों जैसा 200 करोड़ का शाही सिंहासन, महाकुंभ में गोल्डन बाबा की गूंज, दिल्ली में भी लगता है दरबार

प्रयागराज महाकुंभ में एक तरफ जहां रोज कोई न नामी हस्ती और वीआईपी संगम स्नान के लिए पहुंच रहे तो वहीं IIT वाले बाबा, रुद्राक्ष वाले बाबा जैसे दर्जनों संत चर्चा का विषय बने हुए हैं, लेकिन एक बाबा ऐसे भी हैं जिनके दर्शन से आपकी आंखें चौंधिया जाएंगी.

251 किलो का सोने का सिंहासन बना आकर्षण केंद्र

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251 किलो का सोने का सिंहासन बना आकर्षण केंद्र

अवधूत बाबा या गोल्डन बाबा के नाम से मशहूर महामंडलेश्वर अरुण गिरी को उनके एक शिष्य ने 251 किलो सोने का सिंहासन भेंट किया है. इस सिंहासन की कीमत 200 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है और इसे कुंभ क्षेत्र के सेक्टर 14 में उनके शिविर में रखा गया है. 

श्रद्धालुओं की भारी भीड़

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श्रद्धालुओं की भारी भीड़

मेला क्षेत्र के सेक्टर 14  में रखा गया यह सोने का सिंहासन महाकुंभ आने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. सिंहासन को देखने के लिए बाबा के शिविर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है. लोग इसे आध्यात्म और भव्यता का अनोखा मेल मान रहे हैं.  

गोल्डन बाबा का असली नाम

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गोल्डन बाबा का असली नाम

बाबा को उनके भक्त गोल्डन बाबा कहते हैं, लेकिन उनका असली नाम एसके नारायण गिरि है. बाबा ने बताया कि उन्होंने निरंजनी अखाड़े से दीक्षा ली है और अब वे आवाहन अखाड़े के पीठाधीश्वर हैं. 

6 करोड़ रुपये का सोना पहनते हैं बाबा

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6 करोड़ रुपये का सोना पहनते हैं बाबा

गोल्डन बाबा यानी नारायण गिरी ने बताया कि वे करीब 6 करोड़ रुपये के सोने के आभूषण पहनते हैं. उनके पास सोने की घड़ी, कंगन, अंगूठियां, और यहां तक कि सोने की छड़ी भी है.  

आभूषणों का आध्यात्मिक महत्व

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आभूषणों का आध्यात्मिक महत्व

गोल्डन बाबा नारायण गिरी के मुताबिक, उनके हर गहने में आध्यात्मिक शक्ति है. उनका कहना है कि यह सोना दिखावे के लिए नहीं, बल्कि उनके गुरु और साधना को समर्पित श्रद्धा का प्रतीक है.  

दिल्ली में रहते हैं बाबा

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दिल्ली में रहते हैं बाबा

गोल्डन बाबा फिलहाल दिल्ली में रहते हैं, हालांकि उनका मूल निवास केरल में है. बाबा धर्म के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं और इसे समाज में बदलाव का जरिया मानते हैं. 

67 साल के गोल्डन बाबा

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67 साल के गोल्डन बाबा

67 वर्षीय गोल्डन बाबा का कहना है कि उनका हर काम साधना और आध्यात्मिक जीवन से जुड़ा हुआ है. उनके अनुसार, उनकी साधना और आभूषणों के बीच एक गहरा संबंध है.

धर्म और शिक्षा को साथ लेकर चलने की प्रेरणा

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धर्म और शिक्षा को साथ लेकर चलने की प्रेरणा

बाबा का मानना है कि धर्म और शिक्षा को साथ लेकर समाज में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है. वे अपने कार्यों के जरिए लोगों को आध्यात्म और शिक्षा का महत्व समझाने का प्रयास कर रहे हैं.  

Disclaimer

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Disclaimer

लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. जी यूपीयूके इसकी प्रामाणिकता का दावा या पुष्टि नहीं करता.