दरअसल, नोएडा एक्सप्रेसवे पर दो अंडरपास को लेकर आईआईटी रुड़की को डिजाइन बनाने का काम दिया गया था. IIT रुड़की ने डिजाइन को अब मंजूरी मिल गई है. इसके बाद अंडरपास बन सकेगा.
IIT रुड़की की मंजूरी के बाद प्राधिकरण के सीईओ ने भी हरी झंडी दे दी है. प्राधिकरण के अधिकारियों के मुताबिक, झट्टा गांव और सुल्तानपुर गांव के सामने दो नए अंडरपास बनाए जाएंगे.
दोनों अंडरपास के लिए टेंडर प्रक्रिया निकाली जाएगी. इसके बाद निर्माण कंपनी का चयन कर काम शुरू कर दिया जाएगा. माना जा रहा है कि फरवरी मार्च से काम शुरू हो सकता है.
दोनों नए अंडरपास बनाने में करीब छह महीने का समय लगेगा. इसके बनने से 30 आवासीय सेक्टर और 15 गांव के लोगों को आवागमन में सीधा फायदा होगा.
प्राधिकरण के अधिकारियों के मुताबिक, पहला अंडरपास एक्सप्रेसवे पर 16.900 किलोमीटर की दूरी पर सेक्टर-145, 146 155 और 159 के बीच बनाया जाएगा. इसकी लंबाई 800 मीटर होगी.
इसके निर्माण में करीब 131 करोड़ का खर्च आएगा. इससे सेक्टर-151, 153, 154, 155, 156, 157, 158, 159, 162 और एक्सप्रेसवे के नौ गांवों की राह आसान होगी.
वहीं, दूसरा अंडरपास सुल्तानपुर के पास एक्सप्रेसवे पर 6.10 किलोमीटर की दूरी पर सेक्टर-128, 129, 132 और 108 के बीच बनेगा. इसकी लंबाई 731 मीटर की होगी.
इसे बनाने में करीब 106 करोड़ का खर्च आएगा. आईआईटी ने इस कम करके 98 करोड़ कर दिया है. इस अंडरपास से सेक्टर-104, 105, 106, 107, 108, 135 समेत 11 गांवों को फायदा होगा.
इसके अलावा हरियाली को बढ़ावा देने के लिए 6 स्थानों पर वर्टिकल गार्डन बनाने का फैसला लिया गया है. पहला वर्टिकल गार्डन शाहदरा ड्रेन ब्रिज पर बनेगा. इसके दोनों ओर छोटे गमलों में पेड़ों को लगाया जाएगा.
नोएडा सेक्टर-14, 59, 61, 62 और सेक्टर-63 मेट्रो पिलर पर वार्टिकल गार्डन बनाए जाएंगे, जो कंपनी इनको बनाएगी, उसको दो साल तक इसका रखरखाव भी करना होगा.
इन छह स्थानों पर करीब 91 लाख 46 हजार रुपये में वर्टिकल गार्डन का निर्माण होगा. प्राधिकरण ने इसके लिए टेंडर जारी कर दिया गया है. 29 जनवरी तक कंपनियां आवेदन कर सकती हैं.
बता दें कि नोएडा एक्सप्रेसवे पर करीब 10 से ज्यादा सेक्टर और गांव बसे हैं. अंडरपास न होने की वजह से इन सेक्टर के लोगों को आने-जाने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है.
अंडरपास बनवाने के लिए नोएडा अथॉरिटी दो बार डिजाइन बना चुका है. अब तीसरी बार नोएडा प्राधिकरण ने आईआईटी रुड़की को डिजाइन भेजा था, जिसे आईआईटी रुड़की ने मंजूरी दे दी.
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