Kaushambi ka Itihaas:प्राचीन काल का कोसम कैसे बना कौशांबी? जानें भगवान राम-सम्राट अशोक से लेकर बुद्ध नगरी कौशांबी का इतिहास
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand2547875

Kaushambi ka Itihaas:प्राचीन काल का कोसम कैसे बना कौशांबी? जानें भगवान राम-सम्राट अशोक से लेकर बुद्ध नगरी कौशांबी का इतिहास

Kaushambi ka Itihaas: वैसे तो यूपी के शहर ऐतिहासिक रूप से काफी महत्वपूर्ण हैं, कई शहर ऐसे भी हैं, जो ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से भी फेमस हैं. उनमें एक कौशांबी भी है. यह 4 अप्रैल 1997 को प्रयागराज से अलग होकर नया जिला बना था. आज हम इसी शहर के इतिहास का जिक्र करेंगे. 

Kaushambi ka Itihaas

Kaushambi ka Itihaas: कौशांबी...यूपी का एक ऐसा जिला जो न सिर्फ ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि धार्मिक नगरी भी है. यह कभी प्रयागराज का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन 1997 में अलग हो गया. कौशांबी, जैन धर्म के 6वें तीर्थंकर श्री पद्मप्रभ जी के जन्म स्थान और बुद्ध काल की परम प्रसिद्ध नगरी, जो वत्स देश की राजधानी थी. इसका अभिज्ञान, तहसील मंझनपुर जिला प्रयागराज में प्रयाग से 24 मील पर स्थित कोसम नाम के गांव से किया गया है. प्राचीन तीर्थकर ऋषभदेव ने वत्स देश में गंगा यमुना संगम पर तप और ज्ञान प्राप्त किया था. वहीं, मगध सम्राट अशोक ने अपनी राजकीय देख-रेख के लिए इसे उप राजधानी बनाया था.

रिपोर्ट्स की मानें तो कौशांबी मौर्य, शुंग, कुषाण और गुप्त काल में ही यह नगरीय कला और वाणिज्य की केन्द्र थी. कौशाम्बी में जैन मन्दिर बड़ी संख्या में है. यहां के खण्डहर से हजारों प्राचीन मूर्तियां और सिक्के मिले हैं, जिन्हें इलाहाबाद संग्रहालय में संग्रहित किया गया है.  

क्या है यहां का इतिहास?
कौशांबी से ही सम्राट अशोक का प्रसिद्ध तीर्थ स्तम्भ प्रयाग किले में ले जाया गया. इस स्थान को सतपथ ब्राह्मण, गोपथ ब्राह्मण और तैतरीय ब्राह्मण एक बड़ा विद्यापीठ बताया गया है. मत्स्य एवं हरिवंश पुराण में भी कौशाम्बी का जिक्र मिलता है. कहा जाता है कि संस्कृत व्याकरण के प्रसिद्ध आचार्य कात्यायन ऋषि का जन्म यहीं हुआ था. ऐसा कहा जाता है कि राजा कुटुम्ब ने इस जगह को बसाया था, जिसकी वजह से इसका नाम कौशांबी पड़ा. कुटुम्ब चन्द्रवंशी नरेश पुरूरवा से दसवीं पीढ़ी में हुए थे. इसी स्थान को हस्तिनापुर के गंगा की बाढ़ में बहने से नेमचन्द्र ने राजधानी बनाया था. 

यह भी पढ़ें: Muzaffarnagar Ka Itihas: हस्तिनापुर-कुरुक्षेत्र जैसे महाभारत युद्ध का गवाह रहा मुजफ्फरनगर, शाहजहां ने कैसे बदला शहर का इतिहास?

श्रीराम से बुद्ध तक कनेक्शन
जिनका जिक्र प्राचीन भारतवर्ष के जनपदों (राज्यों) में हुआ, उनमें गन्धर्व, कम्बोज, हिमादि, कैकय, सप्त, सिन्धव, ब्रह्मवैवर्त, कुरू, मत्स्य, चेदि, अवन्ति, वत्स, मगध, विदेह, कौशल, तथा काव्य काल के विदेह, काशी, अयोध्या, प्रयाग, वत्स, कान्यकुब्ज, पांचाल, हस्तिनापुर, मथुरा, शूरसेन, इन्दप्रस्थ , तक्षशिला, गांधार का नाम शामिल था. इसका प्राचीन नाम वत्स या वत्स पटन था. महाराजा रामचन्द्र जब अयोध्या से चलकर श्रृगवेरपुर के घाट को पारकर प्रयाग की ओर बढ़े तो वे वत्स देश पहुंचे, जिसकी राजधानी कौशाम्बी थी.

कहते हैं कि पाण्डवों ने अज्ञातवास का 13वां साल इसी जगह पर व्यतीत किया था. इतना ही नहीं, गौतमबुद्ध ने अपने साधु जीवन का 6वां और 9वां साल यहीं व्यतीत किया था. संस्कृत साहित्य में बाणभट्ट की रचनावली नाटिका तथा कालिदास के मेघदूत और माघ के स्वप्नवासवदत्ता में राजा उदयन की चर्चा है, जिससे बुद्ध की मूर्ति कौशाम्बी में स्थापित है.

घूमने लायक जगहें
इतिहास प्रेमियों के लिए कौशाम्बी एक बेहतरीन जगह है. कड़ा, प्रभास गिरि और कौशांबी मुख्य इस क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल हैं. यह जिला ऐतिहासिक स्थलों से समृद्ध है. हर समय का इतिहास जिले के महत्व को उजागर करता है. यह जिला मंदिरों से भरा हुआ है, जिसमें कड़ा धाम का शीतला मंदिर और प्रभोसा का जैन मंदिर मुख्य आकर्षण हैं.

यह भी पढ़ें: Gorakhpur ka Itihaas: रामग्राम-सरयूपार से गोरक्षपुर तक... 2600 सालों में कैसे बदला गोरखपुर का इतिहास?

Trending news