Swami Prasad Maurya: स्वामी प्रसाद मौर्य ने महात्मा गांधी के साथ हुए पुराने वाकये का सहारा लेते हुए फिर दिया भड़काऊ बयान
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Swami Prasad Maurya: स्वामी प्रसाद मौर्य ने महात्मा गांधी के साथ हुए पुराने वाकये का सहारा लेते हुए फिर दिया भड़काऊ बयान

Swami Prasad Maurya: स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार विवादों में घिरे हुए हैं. इसी बीच एक बार फिर उन्होंने एक भड़काऊ बयान दिया है. इस बयान में उन्होंने गांधीजी का सहारा लेते हुए विरोधियों पर हमला बोला है.

Swami Prasad Maurya File Photo

Swami Prasad Maurya: समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार अपने बयानों को लेकर चर्चा में बने हुए हैं. रामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयान देने के बाद लगातार उनका विरोध हो रहा है, लेकिन स्वामी प्रसाद अपने बयान पर कायम हैं. वह लगातार साधु-संतों पर पलटवार भी कर रहे हैं. गुरुवार को एक बार फिर सपा के राष्ट्रीय महासचिव ने ट्वीट कर हमला बोला है. इस बार स्वामी प्रसाद मौर्य राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ हुए एक वाकये को लेकर विरोधियों को आड़े हाथ लिया है. 

गाली देने वाला गाली की पीड़ा नहीं समझ सकता: सपा नेता मौर्य 
स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर लिखा, "इंडियंस आर डाग कहकर अंग्रेजों ने जो अपमान व बदसलूकी ट्रेन में गांधी जी से किया था, वह दर्द गांधी जी ने ही समझा था. उसी प्रकार धर्म की आड़ में जो अपमानजनक टिप्पणियां महिलाओं व शूद्र समाज को की जाती हैं, उसका दर्द भी महिलायें और शूद्र समाज ही समझता है". 

इससे पहले स्वामी प्रसाद ने ट्वीट करके कहा था, "समस्त महिला समाज व शूद्रवर्ण के सम्मान की बात क्या किया, मानो पहाड़ टूट गया. जिन दंभी, पाखंडी, छद्मभेशी बाबाओं ने सिर काटने वालो को 21लाख ₹ देने की घोषणा की थी, वही बाबा फोटो को तलवार से काटकर अपने शैतान होने की पुष्टि कर दी. अब इन्हे पलटी मार बाबा कहें या थूककर चाटने वाला हैवान".

रामचरितमानस को लेकर दिया था विवादित बयान
बता दें कि पूर्व मंत्री समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि रामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर मुझे आपत्ति है. सपा नेता ने कहा, रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है. तुलसीदास की रामायण में कुछ ऐसे अंश हैं, जिन पर हमें आपत्ति है. किसी भी धर्म में किसी को गाली देने का हक नहीं है. तुलसीदास की रामायण में चौपाई है.

इसमें वह शूद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं. धर्म के नाम पर विशेष जाति का अपमान किया गया है. तुलसीदास ने ग्रंथ को अपनी खुशी के लिए लिखा था. करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते. इस ग्रंथ को बकवास बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए.  

 

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