Shahjahanpur Jutamaar Holi 2023: शाहजहांपुर में लाट साहब का जुलूस निकालने की यह परंपरा बरसों पुरानी है. इसके जरिए लोग अंग्रेजों के प्रति अपना दर्द और आक्रोश बेहद अनूठे ढंग से प्रदर्शित करते हैं.
Trending Photos
Holi 2023: बरसाने की लट्ठमार होली, लड्डू होली या फिर मिथिला की कीचड़ होली के बारे में तो आप सभी ने सुना होगा. लेकिन शाहजहांपुर में देश की सबसे अनोखी होली मनाई जाती है. यहां जूते मार होली खेली जाती है. ये जूतेमार होली अंग्रेजों के प्रति अपना आक्रोश प्रकट करने के लिए मनाई जाती है. होली का रंग धार्मिक स्थलों पर ना पड़े और माहौल ना बिगड़े इसके लिए शहर के सभी मुस्लिम धार्मिक स्थलों को तिरपाल से ढक दिया गया है. इसके अलावा बड़ी संख्या में पीएसी और रैपिड एक्शन फोर्स लगाई गई है. जो धार्मिक स्थलों की सुरक्षा करेगी.
क्या है परंपरा?
शाहजहांपुर पर होली की यह परंपरा बरसों पुरानी है. अंग्रेजों के हिन्दुस्तानियों पर किये जुल्मों का दर्द आज भी हर किसी के दिल में मौजूद है. यहां के लोग अंग्रेजों के प्रति अपना दर्द और आक्रोश बेहद अनूठे ढंग से प्रदर्शित करते हैं. यहां लाट साहब के दो बड़े जुलूस निकलते हैं. जिसमें अंग्रेज के रूप में एक व्यक्ति को भैंसा गाड़ी पर बिठाते हैं. उसे जूते और झाड़ू से पीटते हुए पूरे शहर में घुमाया जाता है. जहां-जहां से लाट साहब गुजरता है, लोग जूतों की बौछार करते हैं. इस लाट साहब के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं होता है, लेकिन जब ये जुलूस मेन रोड पर आता है तो उसको एक पन्नी की चादर से ढक दिया जाता है.
यह भी पढ़ें- बाजार में नहीं दिखेगी चीनी पिचकारी, होली पर 25 हजार करोड़ का बिजनेस बनाने की रणनीति
पुलिस की निगरानी में निकलता है जुलूस
इस जुलूस में हजारों की संख्या में हुड़दंगी जमकर हुड़दंग मचाते हैं. ये जुलूस शहर में दो स्थानों से निकाला जाता है. पहला बड़े चौक से और दूसरा सराय काईया से, जिसमें हुड़दंगी हर साल कोई न कोई बलवा जरूर खड़ा कर देते हैं. यूं तो किसी को सरेआम पीटना गैर कानूनी होता है लेकिन यहां किसी को जूतों और झाड़ू से पीटने का ये पूरा खेल पुलिस की निगरानी में ही होता है.
दरअसल, जुलूस के दौरान हुडदंगी धार्मिक स्थलों पर रंग फेंक देते हैं. ऐसे में सांप्रदायिक माहौल खराब ना हो इसलिए शहर भर के सभी मुस्लिम धार्मिक स्थलों को तिरपाल से ढक दिया जाता है. धार्मिक स्थलों के बाहर बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए जाते हैं. हालांकि धार्मिक स्थलों को ढकने का धर्मगुरु विरोधी करते हैं, लेकिन पुलिस प्रशासन का कहना है कि सांप्रदायिक माहौल खराब ना हो इसके लिए मस्जिदों को तिरपाल से ढक दिया गया है.
यह भी पढ़ें- अखिलेश के करीबी नेता पर 25 हजार का इनाम, EX MLA की क्रिमिनल हिस्ट्री तलाश रही पुलिस
यह भी देखें- WATCH: ब्रज की होली में रंगीं हेमा मालिनी, जनता में बांटे फल और मिठाई