Vivah Panchami 2023: विवाह पंचमी का दिन बहुत खास होता है, इस दिन भगवान राम और मां सीता का विवाह हुआ था. आइए पढ़ें कथा. इसे पढ़ने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है.
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Vivah Panchami 2023: हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन 'विवाह पंचमी' का त्योहार मनाया जाता है. हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व बताया गया है. प्रचलित कथाओं और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और मां सीता का इसी दिन विवाह हुआ. इसलिए विवाह पंचमी को भगवान राम और माता सीता के विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है. इस साल यह तिथि 17 दिसंबर 2023 को पड़ रही है. इस पावन मौके पर पूरे विधि विधान से श्रीराम और माता सीता की पूजा की जाती है. आइए इस लेख में जानते हैं कि विवाह पंचमी कब है और इसका शुभ मुहूर्त क्या है. पुराणों में विवाह पंचमी के दिन मां जानकी और राम जी के विवाह प्रसंग को सुनने का भी विधान बताया गया है. हम इस लेख में आसान शब्दों में पढ़ते हैं देवी सीता और प्रभु राम की विवाह की कथा.
कब है विवाह पंचमी
17 दिसंबर 2023
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विवाह पंचमी की कथा
भगवान राम विष्णु के अवतार हैं और उनका जन्म अयोध्या नगरी के राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र के रूप में हुआ था. मार्गशीर्ष माह की पंचमी तिथि को भगवान राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण और गुरु विश्वामित्र के साथ देवी सीता की जन्मभूमि जनकपुरी गए थे. उस समय सीता के विवाह के लिए राजा जनक ने स्वयंवर का आयोजन किया था. यह वही शुभ समय था,जब इस स्वयंवर में भगवान राम भी शामिल हुए. मां सीता से विवाह करने के लिए कई शक्तिशाली राजा भी आए. राजा जनक की यह शर्त थी कि जो उनके पास मौजूद भगवान शिव के धनुष को तोड़ देगा वही मां सीता के लिए सुयोग्य वर होगा. वहां पर आए तमाम वीरों ने अपनी ताकत लगाई पर धनुष को तोड़ नहीं पाए. जिसके बाद श्रीराम अपने गुरू विश्वामित्र की आज्ञा से भगवान राम ने ऐसा कर दिखाया. जैसे ही उन्होंने शिव का धनुष उठाया उसके दो टुकड़े हो गए और वहां मौजूद हर कोई हैरान रह गया. इसके बाद विधि के अनुसार मां सीता का विवाह मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के साथ से हुआ.
विवाह पंचमी का महत्व (Vivah Panchami Significance)
विवाह पंचमी पर सीता-राम के मंदिरों में भव्य उत्सव का आयोजन किया जाता है. इस दिन को भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह की वर्षगांठ का उत्सव मनाया जाता है. अयोध्या में इस तिथि पर लोग खूब सारे आयोजन करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि संत तुलसीदास ने इस दिन ही रामचरितमानस रचना पूरी की थी. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन पूजन अनुष्ठान से दांपत्य जीवन में प्रसन्नता फैलती है.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.
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