Complete Story Of Shani Maharaj: शनिदेव नवग्रहों में सबसे अधिक भयभीत करने वाले ग्रह हैं. इनके प्रभाव से राजा भिखारी बन सकता है और इनकी कृपा से छप्पर फाड़ के दौलत बरस सकती है. यहां जानें शनिदेव की पूरी कहानी.
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Complete Story Of Shani Maharaj: शनिदेव दक्ष प्रजापति की पुत्री छाया देवी और सूर्यदेव के पुत्र हैं. शनि नवग्रहों में सबसे ज्यादा भयभीत करने वाला ग्रह है. कोई भी जातक नहीं चाहता कि उनकी कुंडली का शनि नाराज हो जाए. शनि के प्रभाव से एक राशि को ढाई साल से लेकर साढ़े सात साल तक दुख भोगना पड़ता है. शनिदेव की गति अन्य सभी ग्रहों से मंदी है क्योंकि वह लंगड़ाकर चलते हैं. शनि लंगड़ाकर क्यों चलते हैं, इसके संबंध में सूर्यतंत्र में एक कथा है.
कहते हैं एक बार सूर्य देव का तेज सहन न कर पाने की वजह से छाया देवी ने अपने शरीर से अपने जैसी ही एक प्रतिमूर्ति बनाई और उसका नाम संध्या रखा. छाया देवी ने उसे आज्ञा दी कि तुम मेरी अनुपस्थिति में मेरी सारी संतानों की देखरेख करोगी और सूर्य देव की भी सेवा मन लगाकर करनी पड़ेगी. ये आदेश देकर देवी अपने मायके चली गई. संध्या ने भी अपने आप को इस तरह ढाला कि सूर्य देव भी यह रहस्य न जान सके कि यह छाया नहीं है. इस बीच सूर्य देव से संध्या को पांच पुत्र और दो पुत्रियां हुई. अब संध्या अपने बच्चों पर अधिक और छाया की संतानों पर कम ध्यान देने लगी. एक दिन छाया के पुत्र शनि को तेज भूख लगी, तो उसने संध्या से भोजन मांगा. संध्या ने कहा कि अभी इन्तजार करो, पहले मैं तुम्हारे छोटे भाई-बहनों को खिला दूं. यह सुनकर शनि को क्रोध आ गया और उन्होंने माता को मारने के लिए अपना पैर उठाया, संध्या ने शनि को श्राप दिया कि तेरा पांव अभी टूट जाए. सूर्यदेव ने जब यह सुना तो कहा कि टांग पूरी तरह से अलग नहीं होगी हां, तुम आजीवन एक पांव से लंगड़ाकर चलते रहोगे. तब से शनिदेव लंगड़ाकर चलने लगे.
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शनिदेव पर तेल क्यों चढ़ाया जाता है
कहते हैं जब भगवान राम की सेना ने सागर सेतु बांध लिया, तब राम जी ने हनुमान को उसकी देखभाल की पूरी जिम्मेदारी सौंपी. एक शाम हनुमान जी राम के ध्यान में मग्न थे, तभी सूर्य पुत्र शनि ने अपना काला कुरूप चेहरा बनाकर क्रोधपूर्वक कहा- सुना है, तुम बहुत बलशाली हो, उठो, आंखें खोलो और मुझसे युद्ध करो. हनुमान जी ने विनम्रतापूर्वक कहा- आप मेरी पूजा में बाधा मत बनिए, मैं युद्ध नहीं करना चाहता. लेकिन शनि लड़ने पर उतर आए. तब हनुमान जी ने शनि को अपनी पूंछ में कस दिया. जोर लगाने पर भी शनि उस बंधन से मुक्त नहीं हो सके और दर्द से तड़पने लगे. हारकर शनिदेव ने हनुमान जी से प्रार्थना की कि मुझे बंधन मुक्त कर दीजिए मैं अपने अपराध की सजा पा चुका हूं. इस पर हनुमान जी बोले तुम मुझे वचन दो कि श्रीराम के भक्त को कभी परेशान नहीं करोगे. शनि ने राम भक्त को परेशान न करने का वचन दिया. हनुमान ने शनिदेव को छोड़ दिया, मान्यता है कि हनुमान जी ने शनिदेव को तेल दिया जिसे लगाकर शनिदेव की पीड़ा मिट गई. उसी दिन से शनिदेव को तेल चढ़ता है, जिससे उनकी पीड़ा शांत हो जाती है और वे प्रसन्न होकर इच्छा पूरी करते हैं.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.