मायावती सरकार में दर्ज मुकदमे में राजा भैया बरी, धुल गया 14 साल पुराना दाग
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मायावती सरकार में दर्ज मुकदमे में राजा भैया बरी, धुल गया 14 साल पुराना दाग

Raja Bhaiya : साल 2010 में ब्‍लॉक प्रमुख के चुनाव थे. 19 दिसंबर 2010 को ब्‍लॉक प्रमुख चुनाव के लिए बीडीसी सदस्‍य का अपहरण हो गया. इसको लेकर तत्‍कालीन बसपा नेता मनोज शुक्‍ला और राजा भैया के बीच अदावत हो गई थी.

Raghuraj Pratap Singh

Raghuraj Pratap Singh Urf Raja Bhaiya : अपहरण और थाने में फायरिंग करने के मामले में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया समेत 20 लोगों को कोर्ट ने निर्दोष ठहराया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ खंड पीठ ने यह फैसला सुनाया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद राजा भैया और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई. समर्थक एक-दूसरे को मिठाई खिला रहे हैं. 

यह है 14 साल पुराना मामला 
दरअसल, यह मामला 14 साल पुराना है. साल 2010 में ब्‍लॉक प्रमुख के चुनाव थे. 19 दिसंबर 2010 को ब्‍लॉक प्रमुख चुनाव के लिए बीडीसी सदस्‍य का अपहरण हो गया. इसको लेकर तत्‍कालीन बसपा नेता मनोज शुक्‍ला और राजा भैया के बीच अदावत हो गई थी. बताया जाता है कि हाईवे पर करीब दो घंटे तक दोनों तरफ से गोलीबारी की गई थी. इस घटना ने प्रदेश में बसपा सरकार में कानून व्‍यवस्‍था पर सवाल खड़े कर दिए थे.

जेल भी जाना पड़ा था 
इसके बाद बसपा नेता मनोज शुक्‍ला की शिकायत पर कुंडा कोतवाली में राजा भैया, एमएलसी गोपालजी, विधायक विनोद सरोज और कौशांबी के तत्‍कालीन सांसद शैलेंद्र समेत 20 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. इतना ही नहीं इस मामले में राजा भैया, गोपालजी, विनोद सरोज और शैलेंद्र को जेल भी जाना पड़ा था. हालांकि, सरकार बदलने पर वह जेल से बाहर भी आ गए थे.  

हाई कोर्ट ने सभी को बरी किया 
इसके बाद शासन ने 2014 में मुकदमा वापस लाने का आदेश दिया था. वहीं, एमपी-एमएलए कोर्ट ने मुकदमा वापसी की अनुमति नहीं दी थी. इसके बाद राजा भैया ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए राजा भैया समेत सभी 20 लोगों को निर्दोष ठहराते हुए बरी कर दिया. इसी के साथ राजा भैया पर लगे 14 साल पुराने दाग धुल गए.  

राजा भैया और मायावती की राजनीतिक अदावत 
बता दें कि राजा भैया और बसपा सुप्रीमो मायावती से राजनीतिक अदावत की कहानी किसी से छिपी नहीं है. 2 नवंबर 2002 को तड़के सुबह चार बजे राजा भैया को आतंकवाद निरोधक अधिनियम (POTA) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था. इतना ही नहीं राजा भैया की भदरी रियासत की हवेली में मायावती ने पुलिस ने छापेमारी करवाई. इसके अलावा मायावती ने साल 2003 में राजा भैया के प्रतापगढ़ स्थित भदरी रियासत की कोठी के पीछे 600 एकड़ में फैले बेंती तालाब को भी खुदवा दिया था. कहा जाता है कि खुदाई में इस तालाब से नरकंकाल मिले थे, इसके बारे में कई कहानियां हैं. 

सत्‍ता बदली तो छा गए राजा भैया 
इसके बाद मायावती ने 16 जुलाई 2003 को इस तालाब को सरकारी कब्जे में ले लिया था. इसे भीमराव आंबेडकर पक्षी विहार घोषित कर दिया था. तालाब की चहारदिवारी के पास ही एक गेस्ट हाउस भी बनवा दिया. हालांकि, इसके बाद जैसे ही यूपी में सत्‍ता परिवर्तन हुआ. मायावती की सरकार गिरते ही सपा की सरकार आई और मुलायम सिंह यादव मुख्‍यमंत्री बने. मुलायम सिंह के शपथ ग्रहण करने के 25 मिनट के अंदर राजा भैया की रिहाई के आदेश जारी कर दिए गए थे. 

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