Shri Krishn Janmabhoomi: श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट के द्वारा मथुरा कोर्ट में भगवान कृष्ण को नाबालिग बताते हुए उनके संरक्षक की नियुक्ति के लिए अदालत में याचिका दायर की गई. जानें क्या है पूरा मामला....
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Mathura News: अयोध्या में जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए जिस तरह रामलला को वादी बनाकर केस लड़ा गया, उसी तरह श्री कृष्ण जन्मभूमि शाही मस्जिद विवाद केस में भी श्रीकृष्ण को पक्षकार बनाकर मामला आगे बढ़ाने की तैयारी तेज हो गई है. श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट ने प्रधान परिवार न्यायाधीश की अदालत में एक याचिका दायर की है. इसमें तर्क दिया गया है कि भगवान कृष्ण को नाबालिग माना जाना चाहिए. उनके लिए एक अभिभावक नियुक्त किया जाना चाहिए. कोर्ट से यह अनुरोध किया गया है कि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में उनके बाल रूप में पूजा करने की परंपरा पर आधारित है. भगवान श्री कृष्ण नाबालिग हैं, इसलिए उनका संरक्षक डीएम या फिर किसी अन्य को न्यायालय के द्वारा नियुक्त किया जाए. इस मामले में अब 18 मार्च को सुनवाई होगी.
ट्रस्ट के अध्यक्ष आशुतोष पांडेय द्वारा इससे पहले भी पूर्व में न्यायालय में वाद दायर किया गया था कि शाही मस्जिद ईदगाह का वक्फ बोर्ड में पंजीकरण फर्जी तरीके से कराया गया था. इसमें गलत दस्तावेज लगाए गए हैं. इसलिए शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के सचिव तनवीर अहमद के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज की जाए. इस मामले में मंगलवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन नहीं हो सकी. अब इसमें सुनवाई 19 मार्च को होगी.
श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट के द्वारा की गई याचिका में विशेष रूप से मथुरा में एक बच्चे के रूप में कृष्ण की पूजा करने की धार्मिक प्रथा को देखते हुए, देवता की संपत्ति और कल्याण की देखरेख के लिए जिला मजिस्ट्रेट या एक न्यायाधीश को संरक्षक के रूप में नियुक्त करने की मांग की गई है. मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को तय की गई है.
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मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर 13.37 एकड़ में फैला है, भूमि के एक हिस्से पर वर्तमान में शाही ईदगाह मस्जिद का कब्जा है. विभिन्न सामाजिक संगठनों ने मंदिर परिसर से मस्जिद को हटाने की मांग करते हुए निचली अदालतों, उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में मामले दायर किए हैं. ये मामले फिलहाल न्यायिक समीक्षा के अधीन हैं.
श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट के अध्यक्ष आशुतोष पांडे ने देवता की संपत्ति और देखभाल के लिए एक संरक्षक होने के महत्व पर जोर दिया, विशेष रूप से मथुरा में धार्मिक प्रथाओं पर विचार करते हुए जो भगवान कृष्ण को उनके बाल रूप में सम्मान देते हैं. 18 मार्च को होने वाली सुनवाई इस कानूनी विचार को आगे बढ़ाएगी.
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