Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 के दौरान लगभग सात लाख श्रद्धालु गंगा और यमुना के तट पर एकत्रित होंगे. इस बार तप, साधना और संयम की त्रिवेणी बहने वाली है. पौष पूर्णिमा से आरंभ होने वाले कल्पवास के लिए योगी सरकार ने भव्य और विशेष तैयारियां की हैं.
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Mahakumbh 2025: पौष पूर्णिमा से आरंभ होने वाले कल्पवास के लिए योगी सरकार ने विशाल शिविर तैयार किया है. 30 दिनों के कल्पवास में सात लाख श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था गंगा और यमुना के तट पर की गई है.
गंगा तट पर होंगे सात लाख श्रद्धालु
महाकुंभ के इस आयोजन में कल्पवासियों के लिए प्रशासन ने लगभग 900 बीघा भूमि पर शिविर लगाए हैं. एडीएम महाकुंभ विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इन्हें गंगा तट के पास बसाया गया है, ताकि सुबह-सुबह स्नान के लिए लंबी दूरी तय न करनी पड़े.
स्वच्छता पर विशेष जोर
महाकुंभ को स्वच्छ और भव्य स्वरूप प्रदान करने के लिए प्रशासन ने खास इंतजाम किए हैं. एसडीएम मेला अभिनव पाठक ने बताया कि कल्पवासियों के शिविरों में सूखे और गीले कचरे के लिए कलर-कोडेड डस्टबिन लगाए जाएंगे. गंगा के किनारे भी कूड़ा जमा न हो, इसके लिए डस्टबिन रखे गए हैं. सिंगल-यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने के लिए शिविरों के बाहर पोस्टर और जागरूकता अभियान चलाया जाएगा.
शीत लहर से बचाव के इंतजाम
माघ मास की कड़ाके की ठंड को देखते हुए प्रशासन ने बुजुर्ग श्रद्धालुओं और कल्पवासियों के लिए खास इंतजाम किए हैं. प्रत्येक शिविर के पास अलाव जलाने की व्यवस्था की जाएगी, ताकि शीत लहर से बचाव किया जा सके. इससे कल्पवासियों को तप और साधना में किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े.
कल्पवास का उल्लेख रामचरितमानस में भी
सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ कल्पवास प्रारंभ होता है. शास्त्रों में कल्प का अर्थ ब्रह्मा जी का दिन बताया गया है. कल्पवास का उल्लेख रामचरितमानस और महाभारत जैसे ग्रथों में भी मिलता है. कल्पवास की अवधि एक या तीन रात, एक महीने, तीन या छह महीना, 6 या 12 वर्ष या आजीवन भी हो सकती है.
धार्मिक आस्था का भव्य संगम
महाकुंभ 2025 का आयोजन दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन के रूप में आयोजित किया जा रहा है. यहां जप, तप, संयम, भक्ति और अध्यात्म का समागम होगा. योगी सरकार की ओर से कल्पवासियों की सुविधा के लिए किए गए ये इंतजाम न केवल उनकी आस्था को नया आयाम देंगे, बल्कि प्रयागराज महाकुंभ को वैश्विक पहचान भी दिलाएंगे.
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