दिवाली के दिन विशेष रूप से मां लक्ष्मी और गणेश जी का पूजन किया जाता है. इस दिन इनको लाई खील और खिलौने का भोग लगाया जाता है. क्या आपको पता है कि इन चीजों का अपना एक महत्व है. आइए बताते हैं...
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Diwali 2024: इस समय देशभर में दिवाली को लेकर उत्साह का माहौल है. दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और गणेश जी का पूजन किया जाता है. इस पूजन को लेकर लोगों ने बाजार से लक्ष्मी -गणेश की मूर्ति व अन्य चीजें खरीद ली हैं. दिवाली की रात लक्ष्मी गणेश का पूजन होगा और इसके पश्चात उनको भोग लगाया जाएगा. मां लक्ष्मी और गणेश जी को जो चीजें प्रसाद के रूप में चढ़ती हैं उनमें लाई-खील, गट्टा व खिलौने का विशेष महत्व होता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये चीजें मां लक्ष्मी और गणेश जी को क्यों चढ़ाई जाती हैं. आइए इन चीजों का महत्व आपको बताते हैं.
विद्वान बताते हैं कि चूंकि भारत कृषि प्रधान देश है तो ऐसे में हर फसल पहले देवी देवता को चढ़ाई जाती है. सबसे पहले देवी-देवताओं को उपज अर्पित करने का रिवाज हमारे यहां रहा है. उत्तर भारत में दिवाली से पहले धान और गन्ने की फसल घर आती है. धान से लाई व खील बनती है, जबकि गन्ने से गट्टे खिलौने व बतासे बनते हैं. इसी कारण से दिवाली के दिन लक्ष्मी और गणेश जी को इन चीजों का भोग लगाया जाता है.
लाई: धान से चावल निकालकर जब उसे गर्म रेत -नमक में पकाया जाता है तो लाई तैयार होती है. यह प्रक्रिया हमें सिखाती है कि किसी भी हालात का सामना करने को तैयार रहना चाहिए.
चूरा : धान को जब आंच में तपाकर कूटा जाता है तो चूरा बनता है. इसका अर्थ होता है आपके ऊपर भले चोट हो लेकिन आपने निखरना ही है.
खील : धान को गर्म करने पर खील बनती है. यह सिखाता है कि इंसान को जिंदगी में खिलने या आगे बढ़ते रहना चाहिए.
गट्टा और खिलौना : ये दोनों चीजें गन्ने से बनती हैं. हम लक्ष्मी और गणेश जी को यह चढ़ाते हैं क्योंकि हमारे जीवन में मिठास बनी रहे.
ज्योतिषियों की मानें तो लाई, गट्टा, खील, खिलौना व चूरा पांचों ही सफेद रंग के होते हैं, जो चंद्रमा और शुक्र ग्रह का प्रतीक हैं. चंद्रमा हमारे मन का कारक होता है और शुक्र जीवन में सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य व आनंद का. ऐसे में इन्हें खुशहाली के लिए चढ़ाया जाता है.