Baba Bokh Naag: नागराज के मंदिर में नवविवाहित-निसंतान लगाते हैं नंगे पैर हाजिरी, जानें बाबा बौख नाग देवता की मान्यता
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Baba Bokh Naag: नागराज के मंदिर में नवविवाहित-निसंतान लगाते हैं नंगे पैर हाजिरी, जानें बाबा बौख नाग देवता की मान्यता

Baba Bokh Naag: सुरंग हादसे को स्थानीय लोग ‘बाबा बौख नाग देवता’ का प्रकोप होने का दावा कर रहे थे, जिनके मंदिर को दिवाली से कुछ दिन पहले निर्माण कंपनी ने तोड़ दिया था. आसपास के क्षेत्रों में ये मंदिर काफी प्रसिद्ध है.. इसी के कारण हर साल मार्गशीर्ष माह के मौके पर यहां पर मेले का आयोजन भी किया जाता है. 

Baba Bokh Naag: नागराज के मंदिर में नवविवाहित-निसंतान लगाते हैं नंगे पैर हाजिरी, जानें बाबा बौख नाग देवता की मान्यता

Baba Bokh Naag Temple: अभी हाल ही में उत्तराखंड के उत्तरकाशी की एक टनल में 41 मजदूर फंस गए थे. इन सभी मजदूरों को मंगलवार को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. इस हादसे पर स्थानीय लोगों का कहना है कि सुरंग बनाने के दौरान बिल्डरों ने सिल्कयारी में प्राचीन मंदिर को नष्ट कर दिया गया था, जिसके कारण बाबा बौख नाथ नाराज हो गए और ये बड़ा हादसा हो गया. अब टनल के मुहाने पर बाबा बौख नाग का मंदिर बनाया जाएगा. आइए जानते हैं कि बाबा बौख नाग जी कौन हैं और उनका इस सुरंग से क्‍या संबंध है.  

टनल के मुहाने पर बनेगा बाबा बौख नाग का मंदिर
इस बीच उत्तराखंड के सीएम पुष्‍कर सिंह धामी ने कहा है कि बाबा बौख नाग जी की असीम कृपा और करोड़ों देशवासियों की प्रार्थना एवं रेस्क्यू ऑपरेशन में सभी मजदूर सुरक्षित बाहर आ गए हैं.  सीएम धामी ने मजदूरों के सकुशल बाहर निकलने के बाद कहा कि हम सभी ने फैसला लिया है कि टनल के मुहाने पर बाबा बौखनाथ का मंदिर स्थापित किया जाएगा.

पहाड़ों के देवता बाबा बौख नाग
उत्तराखंड के उत्तरकाशी के नौगांव में बाबा बौख नाग जी का मंदिर है. बाबा का मंदिर पहाड़ों के बीच बना हुआ है. हर साल हजारों श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं. ऐसी मान्‍यता है कि इस मंदिर तक नंगे पैर आकर दर्शन करने से हर इच्छा पूरी होती है. प्राचीन मान्यता के अनुसार  विशेष तौर पर नवविवाहित जोड़ा और निसंतान कपल सच्चे मन से यहां पर आता है तो उनकी मनोकामना पूरी होती है.  मान्‍यता है कि ऐसा करने से उन्हें संतान की प्राप्ति होती है. 

नागराज का मंदिर, लगता है भव्य मेला
स्थानीय लोगों के मुताबिक यहां पर बाबा बौख नाथ की उत्पत्ति नाग के रूप में हुई थी.यह नागराज मंदिर है.  इनकी पूजा-अर्चना करके इलाके की रक्षक की कामना की जाती है. ये भी कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण टिहरी जिले में सेम-मुखेम से पहले यहां आए थे इसलिए  हर साल सेम मुखेम और दूसरे साल बौख नाग में भव्य मेला आयोजन होता है. इस मेले में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और बाबा बौख नाग के आगे अपनी अर्जी लगाते हैं. 

मजदूरों की निकासी के लिए पूजा-अर्चना
जब से उत्तरकाशी का यह सुरंग हादसा हुआ है, तब से यहां लगातार पूजा-अर्चना की गई. विदेश एक्‍सपर्ट ने भी यहां पर दर्शन किए. माना जा रहा है कि बाबा का मंदिर हटाने के कारण वह काफी नाराज हुए और इसके कारण ये घटना हटी. ऐसे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ अंतर्राष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने सिल्क्यारा सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को निकासी के लिए पूजा-अर्चना की.

कैसे पहुंचे बाबा बौख नाग मंदिर?
आपको बता दें कि देहरादून से सिल्क्यारा गांव की दूरी करीब 135 किलोमीटर है.  उत्तराखंड के उत्तराकाशी के राडी कफनौल मोटर मार्ग के निकट 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है.  बौख नाग जाने के लिए करीब 4 किलोमीटर पैदल यात्रा करनी पड़ती है.

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