पिछले साल लखनऊ जिला जज के पद से जब वे सेवामुक्त हुए थे तो बार एसोसिएशन ने उनका फेयरवेल किया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले ही उनकी रिटायरमेंट की मियाद बढ़ा दी थी.
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लखनऊ: बाबरी विध्वंस केस में सीबीआई अदालत ने आज फैसला सुना दिया है. इस केस का फैसला जज सुरेंद्र कुमार यादव सुनाया. खास बात यह है कि फैसला देते ही वह रिटायर हो गए. सुप्रीम कोर्ट ने पांच साल पहले उन्हें इस मुकदमे में विशेष न्यायाधीश नियुक्त किया था. जज सुरेंद्र कुमार यादव सितंबर 2019 में ही रिटायर हो गए होते.
पिछले साल लखनऊ जिला जज के पद से जब वे सेवामुक्त हुए थे तो बार एसोसिएशन ने उनका फेयरवेल किया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले ही उनकी रिटायरमेंट की मियाद बढ़ा दी थी और उन्हें विशेष न्यायालय (अयोध्या प्रकरण) के पीठासीन अधिकारी के पद पर बने रहकर बाबरी मस्जिद विध्वंस केस की सुनवाई पूरी करने के लिए कहा. यानी वो जिला जज के रूप में रिटायर हो गए, मगर विशेष न्यायाधीश बने रहे.
रिटायर होने जा रहे किसी न्यायाधीश का किसी एक ही मामले के लिए कार्यकाल का बढ़ाया जाना अपने आप में ऐतिहासिक था क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिले अधिकार का इस्तेमाल किया था. इस अनुच्छेद के तहत सुप्रीम कोर्ट को ये अधिकार है कि 'मुकम्मल इंसाफ' के लिए अपने सामने लंबित किसी भी मामले में वो कोई भी जरूरी फैसला ले सकता है.
पूर्वी उत्तर प्रदेश है जन्मभूमि
जज सुरेंद्र कुमार यादव पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले से संबंध रखते हैं. उनका जन्म पखानपुर गांव में हुआ. 31 वर्ष की उम्र में वह राज्य न्यायिक सेवा के लिए चयनित हुए थे. उनकी पहली पोस्टिंग फैजाबाद में एडिशनल मुंसिफ के पद पर हुई. इसके बाद उन्हे यूपी के कई जिलों में बतौर जज सेवा दी. इनमें हरदोई, सुल्तानपुर, गाजीपुर, इटावा, गोरखपुर और अपने रिटायरमेंट के समय राजधानी लखनऊ के जिला जज तक पहुंचे.
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