हिंदू धर्म के अनुसार जब किसी के घर में मौत हो जाती है तो 13 दिन तक गरुड़ पुराण का पाठ सुनने या सुनाने की मान्यता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह मान्यता क्यों और कैसे जन्मी और इसके पीछे का तर्क क्या है.
शास्त्रों में बताया गया है कि केवल शरीर मरता है और आत्मा दूसरा जन्म लेने के लिए निकल पड़ती है. कोई आत्मा तत्काल दूसरा शरीर ले लेती है तो कुछ आत्मा ऐसी होती हैं जो विभिन्न कारणों से लंबे समय तक भटकती रहती हैं.
गरुड़ पुराण में मृत्यु से पहले और बाद की स्थिति के बारे में बताया गया है, इसलिए जो भी इसे सुनता है उसे शरीर और आत्मा की यात्रा का ज्ञान हो जाता है.
एक बार गरुड़ देव ने भगवान विष्णु से प्राणियों की मृत्यु और उसके बाद आत्मा की यात्रा के बारे में अनेक गूढ़ प्रश्न भगवान विष्णु से पूछे तो भगवान ने इनका उत्तर विस्तार से दिया. इन्हीं प्रश्नों के उत्तर की श्रृंखला को गरुड़ पुराण कहा जाता है.
कहा जाता है कि मरने के बाद मनुष्य की आत्मा 13 दिन तक अपनों के बीच ही रहती है, इसलिए इस दौरान गरुड़ पुराण का पाठ करने से मृतक की आत्मा स्वर्ग, नरक, सद्गति, अधोगति आदि विभिन्न गतियों के बारे में जान लेती है.
मृत्यु के बाद आत्मा किस-किस पड़ाव से गुजरेगी, उसे किस तरह मुश्किलों और मार्ग से गुजरना होगा, गरुड़ पुराण में यही सब बताया जाता है.
गरुड़ पुराण के पाठ से आत्मा ही नहीं मृतक के परिवार वाले भी यह जान लेते हैं कि बुराई क्या है, स्वर्ग किस तरह के कर्मों से प्राप्त होता है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग क्या है.
गरुड़ पुराण सुनने से बुराई और नरक का ज्ञान होता है तो वहीं मनुष्य सत्कर्मों को करने के लिए प्रेरित होता है ताकि मृत्यु के बाद उसकी आत्मा को कष्ट न झेलने पड़ें.
आत्मा पर चिंतन ही गरुड़ पुराण का मुख्य विषय है. इसमें दिये गए हजारों श्लोकों से धर्म, नीति, रहस्य, व्यावहारिक जीवन, नर्क, स्वर्ग और मोक्ष जैसे विषयों का ज्ञान प्राप्त होता है.
मान्यता है कि गरुड़ पुराण सुनने से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है. उसे इस संसार से मुक्ति का मार्ग पता चल जाता है. वह अपने सारे दुखों और कष्टों को भूलकर प्रभु की भक्ति के लिए सद्गति को प्राप्त कर पितरलोक में चला जाता है.
दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. हम इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं करते