NATO Weapons Terrorists: डिफेंस एक्सपर्ट सुशील सिंह पठानिया के मुताबिक, 'ये हथियार अगर आतंकियों के पास आ रहे हैं तो उस पर हमें थोड़ा गंभीर होना पड़ेगा कि ये हथियार इनको कौन दे रहा है.'
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Jammu-Kashmir Elections: जम्मू कश्मीर में चुनावी सरगर्मी के बीच आतंकियों की हलचल भी तेज है. लेकिन सुरक्षाबल की मुस्तैदी के आगे उनके नापाक मंसूबों पर पानी फिर रहा है. बुधवार को कठुआ में सुरक्षा बल ने मुठभेड़ में तीन आतंकवादियों को मार गिराया. लेकिन उनके पास से जिस तरह के हथियार बरामद हुए वो चौंकाने वाला है. जम्मू पुलिस ने माना कि उनके पास से NATO के इस्तेमाल हथियार मिले हैं, जिसमें M सीरीज के असॉल्ट राइफ़ल शामिल हैं.
कश्मीर की शांति भंग करना चाहता है पाक
ये साफ तौर पर पाकिस्तान के उस प्लान को एक्सपोज़ करता है जिसमें वो चाहता है कि जम्मू-कश्मीर में लगातार आतंकी हमले करवाकर जम्मू कश्मीर में जो शांति बनी है उसे यहां पर कहीं ना कहीं खराब किया जाए. जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं.
ये वो हथियार हैं जिन्हें अफगानिस्तान छोड़ते वक्त नाटो की सेना छोड़ कर गई थी.जो इन आतंकवादियों के हाथ लग गए. जिसे डिफेंस एक्सपर्ट गंभीर बता रहे हैं. डिफेंस एक्सपर्ट सुशील सिंह पठानिया के मुताबिक, 'ये हथियार अगर आतंकियों के पास आ रहे हैं तो उस पर हमें थोड़ा गंभीर होना पड़ेगा कि ये हथियार इनको कौन दे रहा है.'
अब आपके अंदर ये सवाल आया होगा कि यूरोपीय गुट नाटो की राइफल आखिर जम्मू कश्मीर तक कैसे पहुंच गई...इस सवाल का जवाब है अफगानिस्तान...जहां अब तालिबान की कथित इस्लामिक अमीरात चलती है...किस तरह तालिबान के अफगानिस्तान से आतंकियों को हथियार सप्लाई होते हैं.
बदरी 313 तालिबानी फौज की इलीट यूनिट मानी जाती है...इस यूनिट के पास सभी हथियार और उपकरण नाटो के हैं...साल 2021 में जब अमेरिका की अगुवाई में नाटो की फोर्स अफगानिस्तान से लौटी तो अपने हथियारों का बड़ा भंडार पीछे छोड़ गई...जो पहले तालिबान के हाथ लगे और फिर उनकी कालाबाजारी होने लगी.
तालिबान से ही लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद को ये हथियार मिले हैं, जो जम्मू कश्मीर में आतंक फैलाने आतंकियों को दिए जाते हैं. घाटी के आतंकियों के पास नाटो के हथियार होने का पहला सबूत भी साल 2021 में सामने आया था. अवंतीपोरा में सुरक्षाबलों और आतंकियों के एक गुट के बीच एनकाउंटर हुआ था.
इस एनकाउंटर में जैश ए मोहम्मद के चीफ मौलाना मसूद अजहर का भतीजा मोहम्मद इस्माइल अलवी मारा गया था. अलवी के फोन से कुछ फोटो मिले थे जिनमें वो नाटो की M-4 राइफल के साथ नजर आया था. माना जाता है पहले जैश ए मोहम्मद के कमांडरों को ही M-4 राइफल और नाइट विजन डिवाइस दिए जाते थे.
लेकिन जैसे जैसे अफगानिस्तान से सप्लाई बढ़ने लगी तो जैश ने सभी आतंकियों को M-4 जैसे खतरनाक हथियार देने शुरु कर दिए. M-4 राइफल की रेंज और टारगेट को भेदने की क्षमता AK-47 से ज्यादा है. इसी वजह से जैश ए मोहम्मद के आतंकी अब जम्मू में घुसपैठ करने वाले आतंकियों को भी ऐसे हथियार दे रहे हैं. ताकि सेना और सुरक्षाबलों को ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सके.
आतंकियों ने शुरू की गोलीबारी, फिर हुआ एनकाउंटर
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले के बसंतगढ़ के ऊपरी इलाकों में बुधवार को आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी, जिसके बाद उन्होंने अभियान शुरू किया. एक अधिकारी ने कहा, "जब सुरक्षाबल छिपे हुए आतंकवादियों के करीब पहुंचे, तो उन्होंने गोलीबारी शुरू कर दी. इसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गई. मारे गए तीन आतंकवादियों के शव अब तक बरामद नहीं हुए हैं, क्योंकि तलाशी दल पर बचे हुए आतंकवादियों की ओर से गोलीबारी की गई. इलाके में अतिरिक्त बल भेजा गया है." सुरक्षा बल कड़ी निगरानी रख रहे हैं और आतंकवादियों पर नजर रखने के लिए हवाई साधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
8 विधानसभाओं में 18 सितंबर को वोटिंग
चिनाब घाटी में डोडा, किश्तवाड़ और रामबन जिलों के आठ विधानसभा क्षेत्रों के साथ-साथ दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां और कुलगाम जिलों की 16 सीटों पर विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 18 सितंबर को मतदान होगा.
जम्मू, कठुआ और सांबा जिलों में 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को दूसरे और तीसरे चरण के तहत मतदान होगा. जम्मू संभाग के पुंछ, राजौरी, डोडा, कठुआ, रियासी और उधमपुर के पहाड़ी जिलों में पिछले दो महीनों में सेना, सुरक्षाबलों और आम नागरिकों के खिलाफ आतंकवादी हमले हुए हैं. ऐसी रिपोर्ट मिलने के बाद कि इन हमलों के लिए 40 से 50 की संख्या में कट्टर विदेशी आतंकवादियों का एक समूह जिम्मेदार है, सेना ने चार हजार से अधिक प्रशिक्षित सैनिकों को तैनात किया है, जिनमें इन जिलों के घने जंगलों में स्थित पर्वतीय युद्ध में प्रशिक्षित पैरा कमांडो शामिल हैं.
गुरिल्ला हमले की आतंकियों ने बनाई रणनीति
आतंकवादियों ने इन पहाड़ी इलाकों में गुरिल्ला हमलों की रणनीति अपनाई है। हमला करने के बाद वे जंगलों में छिप जाते हैं. हालांकि, सेना और सीआरपीएफ की तैनाती के साथ-साथ स्थानीय लोगों की ओर से प्रबंधित ग्राम रक्षा समितियों (वीडीसी) को मजबूत करने से हाल के दिनों में आतंकवादियों औचक हमलों को रोकने में मदद मिली है. जम्मू संभाग और कश्मीर घाटी दोनों में सुरक्षाबलों द्वारा आतंकवादियों के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने के बाद, अब आतंकवादियों के मुठभेड़ की घटनाएं बढ़ रही हैं. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, 'वे या तो ऐसी मुठभेड़ों के दौरान मारे जाते हैं या भाग जाते हैं.'