आगरा में लोग कुत्ते और बंदरों के खतरे का सामना कर रहे हैं. समस्या और तब बढ़ जाती है जब जिला अस्पतालों में एंटी रेबीज इंजेक्शन की कमी हो जाती है. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अलीगढ़ नगर निगम से कुत्ता पकड़ने वालों की तीन टीमें गठित की हैं. एक दर्जन से अधिक कुत्ते पकड़े गए.
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आगरा में कुत्तों का आतंक ऐसा हो गया है कि लोग सड़क पर निकलने से बचने लगे हैं. कुत्ते लगातार लोगों पर हमला कर रहे हैं. यहां 500 लोगों को रोज कुत्ते अपना निशाना बनाते हैं. कुत्तों के कई मामलों में लोगों की मौत भी हुई है. वहीं आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद में कुत्तों से बढ़ते खतरे को रोकने के लिए कार्रवाई की मांग की गई है.
इससे पहले यहां लोग बंदरों के आतंक से परेशान हैं. जानकारी के मुताबिक, नगर निगम का अनुमान है कि आगरा में अवारा कुत्तों की संख्या 60 हजार से अधिक है. इस शहर में हर दिन कुत्तों के काटने के 500 से ज्यादा केस सामने आ रहे हैं. विभाग ने बताया कि पिछले 6 महीनों में 10,000 से अधिक कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है.
आगरा के पशु कल्याण अधिकारी अजय सिंह ने बताया कि हमारा 60 हजार आवारा कुत्तों की नसबंदी का लक्ष्य है. जिन लोगों पर कुत्तों ने हमला किया उन परिवारों ने कहा कि ये कुत्ते हिंसक हो गए थे. बीते दिनों में यहां कुत्तों ने कई लोगों पर हमला किया है. हाल ही में मालपुरा इलाके में 2 साल की बच्ची को कुत्तों ने नोच-नोच कर मार डाला था. वहीं, यूपी के अलीगढ़ में भी कुत्तों ने सुबह के समय हमला कर दिया था.
अलीगढ़ यूनिवर्सीटी की अपील पर नगर निगम ने कुत्तों को पकड़ने के लिए तीन टीमों का गठन किया है. इन्होंने दर्जनों कुत्तों को पकड़ा भी है. साथ ही निगम ने यूनिवर्सिटी को इस बात का आश्वासन दिया है कि यूनिवर्सिटी में समय-समय पर कुत्तों को पकड़ने का अभियान चलाया जाएगा. इस खतरे से निपटने के लिए हर संभव मदद की जाएगी.
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